192  परमेश्‍वर उन्हें स्वीकार करता है जो उससे प्रेम करते हैं

1

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे उसके प्रति समर्पित होते हैं,

वे हर दिन उसके सामने रहते हैं।

परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन पाकर,

आराम, शांति और आनंद मिलता है।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, उनके दिल ईमानदार होते हैं;

एक बार सत्य की समझ हासिल कर वे उसका अभ्यास करते हैं।

वे सचमुच परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील होते हैं

और उसे संतुष्ट करने के लिए अपना कर्तव्य पूरा करते हैं।

परमेश्वर उन लोगों को आशीष देता है जो उससे प्रेम करते हैं,

उसका न्याय और ताड़ना सदैव उनके साथ होते हैं।

सत्य की खोज करने और रोशनी प्राप्त करने से,

भ्रष्ट स्वभाव स्वच्छ हो जाता है।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे सिद्धांतवादी होते हैं,

वे अपने दृष्टिकोणों और कार्यकलापों में सत्य पर निर्भर रहते हैं।

कोई विनियम या बंधन नहीं होते;

वे सत्य को समझते हैं और मुक्त किए जा चुके हैं।


2

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, उसका भय मानते हैं,

सभी चीजों में वे उसकी जाँच-पड़ताल स्वीकार करते हैं।

वे सामंजस्यपूर्ण ढंग से समन्वय करते हैं और परमेश्वर की सेवा करते हैं,

वे वास्तविकता को जीते हैं और गवाही देते हैं।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे उसके प्रति वफादार होते हैं;

परीक्षणों से गुजरकर उनकी आस्था मजबूत हो जाती है।

वे अपने भविष्य और भाग्य को छोड़ देते हैं,

पूरे दिल से सर्वशक्तिमान परमेश्वर से प्रेम करते हैं।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे सचमुच खुश रहते हैं,

न्याय के जरिए वे उद्धार प्राप्त करते हैं।

वे परमेश्वर के वचनों को अपने जीवन के रूप में प्राप्त करते हैं,

वे उसकी उपस्थिति के प्रकाश में रहते हैं।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे उसकी आराधना करते हैं,

वे परमेश्वर की धार्मिकता और पवित्रता की स्तुति करते हैं।

जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, उनके पास सत्य होता है,

वे हमेशा परमेश्वर की गवाही देंगे और उसकी महिमा गाएँगे।

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