255 अंत के दिनों में परमेश्वर का धार्मिक न्याय मनुष्य का उनकी किस्म के अनुसार छँटाई करता है
1 युग का समापन करने के अपने अंतिम कार्य में परमेश्वर का स्वभाव ताड़ना और न्याय का है, जिसमें वह वो सब प्रकट करता है जो अधार्मिक है, ताकि वह सार्वजनिक रूप से सभी लोगों का न्याय कर सके और उन लोगों को पूर्ण बना सके जो सच्चे मन से उसे प्यार करते हैं। केवल इस तरह का स्वभाव ही युग का समापन कर सकता है। अंत के दिन पहले ही आ चुके हैं। सभी चीजें अपने प्रकार के अनुसार छाँट दी गई हैं और अपनी विभिन्न खूबियों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित हैं। ठीक यही वह समय है जब परमेश्वर लोगों के परिणाम और गंतव्य प्रकट करता है। यदि लोग ताड़ना और न्याय का अनुभव नहीं करते हैं तो उनके विद्रोहीपन और अधार्मिकता को उजागर नहीं किया जा सकता। केवल ताड़ना और न्याय के माध्यम से ही सभी चीजों का परिणाम प्रकट किया जा सकता है। लोग केवल तभी अपने वास्तविक रंग दिखाते हैं जब उन्हें ताड़ना दी जाती है और उनका न्याय किया जाता है। बुरे को बुरे के साथ रखा जाएगा, भले को भले के साथ, और सभी लोगों को उनके प्रकार के अनुसार छाँटा जाएगा।
2 ताड़ना और न्याय के माध्यम से सभी चीजों के परिणाम प्रकट किए जाएँगे ताकि बुरे को दंडित किया जा सके और अच्छे को पुरस्कृत किया जा सके, और सभी लोग परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन आत्मसमर्पण कर लें। यह समस्त कार्य धार्मिक ताड़ना और न्याय के माध्यम से पूरा करना होगा। चूँकि मनुष्य की भ्रष्टता अपने चरम पर पहुँच गई है और उसका विद्रोहीपन अत्यंत गंभीर है, इसलिए केवल परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव ही, जो मुख्यतः ताड़ना और न्याय से युक्त है और अंत के दिनों में प्रकट होता है, लोगों को पूरी तरह से परिवर्तित कर सकता है और उन्हें पूर्ण कर सकता है, बुराई को प्रकट कर सकता है, और इस तरह सभी अधार्मिकों को कड़ा दंड दिया जाएगा। इस तरह का स्वभाव युग के महत्व से ओतप्रोत है। प्रत्येक नए युग के कार्य की खातिर परमेश्वर के स्वभाव का प्रकटन और खुलासा होता है। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर अपने स्वभाव को मनमाने और निरर्थक ढंग से प्रकट करता है।
3 मान लो कि लोगों के परिणाम प्रकट करने के अंत के दिनों में परमेश्वर अभी भी लोगों से असीम दया और प्रेमपूर्ण करुणा से प्रेम करता, उनके प्रति प्रेमपूर्ण बना रहता, न कि उन्हें धर्मी न्याय के अधीन करता बल्कि उनके प्रति सहिष्णुता, धैर्य और क्षमा दिखाता और चाहे उनके पाप कितने भी गंभीर क्यों न हों, उन्हें क्षमा कर देता, उन्हें रत्ती भर भी धार्मिक न्याय के अधीन न करता, तो फिर परमेश्वर के समस्त प्रबंधन का समापन कब होता? ऐसा स्वभाव कब लोगों को मानवजाति के उचित गंतव्य तक ले जाने में सक्षम होगा? अंत के दिनों के दौरान केवल धार्मिक न्याय ही लोगों को उनकी किस्म के अनुसार छाँट सकता है और उन्हें एक नए क्षेत्र में ला सकता है। इस तरह से परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के धार्मिक स्वभाव के माध्यम से समस्त युग का अंत किया जाता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)