283 अंत के दिनों में विजय-कार्य का सत्य
1 मनुष्यजाति, जो शैतान के द्वारा अत्यधिक भ्रष्ट कर दी गई है, नहीं जानती कि एक परमेश्वर भी है और इसने परमेश्वर की आराधना करनी बंद कर दी है। आरम्भ में, जब आदम और हव्वा को रचा गया था, तो यहोवा की महिमा और गवाही सर्वदा उपस्थित थी। परन्तु भ्रष्ट होने के पश्चात, मनुष्य ने उस महिमा और गवाही को खो दिया, क्योंकि हर किसी ने परमेश्वर से विद्रोह कर उसका भय मानना पूर्णतया बन्द कर दिया। आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण गवाही और उस सम्पूर्ण महिमा को पुनः प्राप्त करने और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, ताकि सृजित प्राणियों के बीच गवाही हो; कार्य के इस चरण के दौरान यही किए जाने की आवश्यकता है।
2 मनुष्यजाति किस प्रकार जीती जानी है? मनुष्य को सम्पूर्ण रीति से कायल करने के लिए इस चरण के वचनों के कार्य का प्रयोग करके; उसे पूरी तरह यकीन दिलाने के लिए, प्रकाशन, न्याय, ताड़ना और निर्मम श्राप का प्रयोग करके; मनुष्य के विद्रोहीपन को उजागर और उसके विरोध का न्याय करके, ताकि वह मानवजाति की अधार्मिकता और मलिनता को जान सके और इस तरह इनका प्रयोग परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की विषमता के रूप में कर सके। मुख्यतः, मनुष्य को इन्हीं वचनों से जीता और पूर्णतः कायल किया जाता है।
3 वचन मनुष्यजाति को अन्तिम रूप से जीत लेने के साधन हैं, और वे सभी जो परमेश्वर की जीत को स्वीकार करते हैं, उन्हें उसके वचनों के प्रहार और न्याय को भी स्वीकार करना चाहिए। अगर तुम इन वचनों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो सकते हो, और अपने मन से कोई चुनाव नहीं करते हो, तब तुम जीत लिए जाओगे और ये उन वचनों का नतीजा होगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (1)