314 मैंने ताड़ना और न्याय में परमेश्वर का प्रेम देखा है
1 हे परमेश्वर! यद्यपि मैंने सैकड़ों परीक्षण और क्लेश सहे हैं, यहाँ तक कि मौत को भी करीब से देखा है, उन्होंने मुझे वाकई तुम्हें जानने और सर्वोच्च उद्धार प्राप्त करने की अनुमति दी है। यदि तुम्हारी ताड़ना, न्याय और अनुशासन मुझसे दूर हो गए होते, तो मैं अंधकार में शैतान की सत्ता के अधीन जीवन बिता रहा होता। मनुष्य की देह का क्या लाभ है? यदि तुम्हारी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़कर चले गए होते, तो ऐसा लगता मानो तुम्हारे आत्मा ने मुझे छोड़ दिया है, मानो अब से तुम मेरे साथ नहीं हो। यदि ऐसा हो जाता, तो मैं कैसे जी पाता?
2 तुमने मुझे बीमारी दी और मेरी स्वतंत्रता छीन ली, फिर भी मैं जीना जारी रख सका, परंतु अगर तुम्हारी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़ दें, तो मेरे पास जीने का कोई रास्ता न होगा। यदि मेरे पास तुम्हारी ताड़ना और न्याय न होते तो मैंने तुम्हारे प्रेम को खो दिया होता, तुम्हारा प्रेम इतना गहरा है कि मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। तुम्हारे प्रेम के बिना, मैं शैतान की सत्ता के अधीन जी रहा होता, और तुम्हारे महिमामय मुखड़े को न देख पाता। मैं कैसे जीवित रह पाता? मैं ऐसे अंधकार में, ऐसे जीवन में मुश्किल से ही आगे बढ़ पाता। मेरे साथ तुम्हारे होने का अर्थ है कि जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ तो मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूँ?
3 मैं पूरी ईमानदारी से तुमसे विनती करता हूँ, याचना करता हूँ, तुम मेरा सबसे बड़ा सुकून मत छीनो, भले ही ये तुम्हारे सांत्वना देने वाले वचनों की बस एक फुहार ही हो। मैंने तुम्हारे प्रेम का आनंद लिया है और आज मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता; मैं तुमसे कैसे प्रेम न करूँ? मैंने तुम्हारे प्रेम के कारण दुख में बहुत आँसू बहाए हैं, फिर भी हमेशा यही लगा है कि इस तरह का जीवन अधिक अर्थपूर्ण है, मुझे समृद्ध बनाने में अधिक सक्षम है, मुझे बदलने में अधिक सक्षम है, और वह सत्य हासिल करने में अधिक सक्षम है जो सृजित प्राणियों के पास होना चाहिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान