481  इंसान को परमेश्वर की राह पर कैसे चलना चाहिए

1

ईश्वर की राह पे चलना नियमों का पालन नहीं है।

ये है देखना हर चीजों को जैसे ईश्वर ने व्यवस्थित है किया,

ज़िम्मेदारी जो है तुम्हें प्रदान की गई,

तुम्हें सौंपी गयी कोई चीज़, परीक्षण दिए गए द्वारा उसके।

ईश्वर की राह पे चलते हुये, ईश्वर को नाराज़ न करो।

ईश्वर के स्वभाव का अपमान न करो।

ईश्वर की राह पे चलते हुए।


2

किसी चीज़ का सामना करो जब, होना चाहिए एक स्तर तुम्हारा,

जानकर की ये है आता ईश्वर के हाथ से। ओ...

ईश्वर की राह पे चलते हुये, ईश्वर को नाराज़ न करो।

ईश्वर के स्वभाव का अपमान न करो।

ईश्वर की राह पे चलते हुए।

ओ...


तुम्हे सोचना चाहिए कैसे इस मामले से निपटना चाहिए,

करने को पूरी ज़िम्मेदारियाँ और होने को वफ़ादार उसके प्रति, उसके प्रति।

ईश्वर की राह पे चलते हुये, ईश्वर को नाराज़ न करो।

ईश्वर के स्वभाव का अपमान न करो।

ईश्वर की राह पे चलते हुए। ईश्वर की राह पे चलते हुए। ओ...


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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