486 परमेश्वर मनुष्य का परिणाम इस आधार पर तय करता है कि क्या उसके पास सत्य है
1 अब वह समय है जब मैं प्रत्येक व्यक्ति का परिणाम निर्धारित करता हूँ, न कि वह चरण जिसमें मैंने मनुष्य पर काम करना आरंभ किया था। मैं अपनी अभिलेख-पुस्तक में एक-एक करके प्रत्येक व्यक्ति के शब्द और कार्य, मेरा अनुसरण करने में उनका मार्ग, उनके अंतर्निहित गुण, उन लोगों द्वारा किया गया आचरण लिखता हूँ। इस तरह, चाहे वे किसी भी तरह के व्यक्ति हों, कोई भी मेरे हाथ से नहीं बच पाएगा, और मेरे आवंटन के आधार पर सभी अपने किस्म के अनुसार छाँटे जाएँगे।
2 मैं प्रत्येक व्यक्ति का गंतव्य उसकी आयु, वरिष्ठता और उसके द्वारा सही गई पीड़ा की मात्रा के आधार पर तय नहीं करता, और सबसे कम, इस आधार पर तय नहीं करता कि वह किस हद तक दया का पात्र है, बल्कि मैं प्रत्येक व्यक्ति का गंतव्य इस बात के अनुसार तय करता हूँ कि उसके पास सत्य है या नहीं। इसके अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है। तुम लोगों को यह समझना चाहिए कि जो लोग परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण नहीं करते, वे सब दंडित किए जाएँगे। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे कोई व्यक्ति बदल नहीं सकता। इसलिए, जो लोग दंडित किए जाते हैं, वे सब इस तरह परमेश्वर की धार्मिकता के कारण और अपने अनगिनत बुरे कार्यों के प्रतिफल के रूप में दंडित किए जाते हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो