490 ऐसा व्यक्ति बनो जो परमेश्वर को संतुष्ट करे और उसके मन को चैन दे
1 मुझे पता है कि तुम्हारी वफादारी अस्थायी है, ठीक वैसे ही जैसे तुम्हारी ईमानदारी। क्या तुम्हारा संकल्प और तुम जो कीमत चुकाते हो, सिर्फ इस क्षण के लिए नहीं है, न कि भविष्य के लिए? तुम बस एक आखिरी प्रयास करना चाहते हो, एक सुंदर मंजिल की खातिर भरसक कोशिश करने के लिए, जिसका एकमात्र उद्देश्य सौदेबाज़ी है। तुम यह प्रयास सत्य के ऋणी होने से बचने के लिए नहीं करते, और उस कीमत का भुगतान करने के लिए तो बिल्कुल भी नहीं, जो मैंने अदा की है। संक्षेप में, तुम केवल जो चाहते हो, उसे प्राप्त करने के लिए अपनी चतुर चालें चलने के इच्छुक हो, लेकिन उसके लिए खुला संघर्ष करने के लिए तैयार नहीं हो। क्या यही तुम लोगों के अंतरतम विचार नहीं हैं? तुम्हें स्वयं ढोंग नहीं करना चाहिए, न ही अपने गंतव्य के बारे में इतनी माथापच्ची करो कि दिन में तुम्हारी खाने-पीने की इच्छा ही न हो और रात को चैन से सो भी न पाओ। क्या यह सच नहीं है कि अंत में तुम्हारा परिणाम पहले ही निर्धारित हो चुका होगा?
2 तुम लोगों में से प्रत्येक को अपना कर्तव्य खुले और निष्ठावान दिलों के साथ निभाना चाहिए, और जो भी कीमत ज़रूरी हो, उसे चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। जैसा कि तुम लोगों ने कहा है, जब दिन आएगा तो परमेश्वर किसी के साथ भी अनुचित व्यवहार नहीं करेगा, जिसने उसके लिए कष्ट उठाया हो या कीमत चुकाई हो। इस प्रकार का दृढ़ विश्वास बनाए रखने लायक है, और यह सही है कि तुम लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। केवल इसी तरह से मैं तुम लोगों के बारे में निश्चिंत हो सकता हूँ। वरना तुम सदैव ऐसे लोग रहोगे जिनके बारे में मैं निश्चिंत नहीं रह सकता, और तुम हमेशा मेरी घृणा के पात्र रहोगे। अगर तुम सभी लोग अपनी अंतरात्मा का अनुसरण कर सको और अपना सर्वस्व मेरे लिए अर्पित कर सको, अगर मेरे कार्य के लिए कोई कोर-कसर न छोड़ो, और मेरे सुसमाचार के कार्य के लिए अपनी जीवन भर की ऊर्जा अर्पित कर सको, तो क्या फिर मेरा हृदय तुम्हारे लिए अक्सर हर्ष से नहीं उछलेगा? इस तरह से मैं तुम लोगों के बारे में पूरी तरह से निश्चिंत हो सकूँगा, या नहीं?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, गंतव्य के बारे में