554  तुम्हारी बेरूख़ी तुम्हें नष्ट कर देगी

परमेश्वर के निष्क्रिय अनुयायी मत बनो, और उसकी खोज मत करो जिससे तुम्हारे भीतर कौतूहल जागता है। इस तरह की दुविधा में पड़कर तुम अपने-आपको बर्बाद कर लोगे और अपने जीवन-विकास में देरी करोगे। तुम्हें स्वयं को ऐसी शिथिलता और निष्क्रियता से मुक्त करके, सकारात्मक चीजों का अनुसरण करने एवं अपनी कमजोरियों पर विजय पाने में कुशल बनना चाहिए, ताकि तुम सत्य को प्राप्त करके उसे जी सको। तुम्हें अपनी कमजोरियों को लेकर डरने की जरूरत नहीं है, तुम्हारी कमियां तुम्हारी सबसे बड़ी समस्या नहीं है। तुम्हारी सबसे बड़ी समस्या, और सबसे बड़ी कमी है तुम्हारा दुविधाग्रस्त होना, और तुममें सत्य खोजने की इच्छा की कमी होना। तुम लोगों की सबसे बड़ी समस्या है तुम्हारी डरपोक मानसिकता जिसके कारण तुम लोग यथास्थिति से खुश हो जाते हो, और निष्क्रिय होकर इंतजार करते हो। यही तुम्हारी सबसे बड़ी बाधा है, यही सत्य की खोज करने में तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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