879  परमेश्वर ही सबसे ज़्यादा प्यार करता है इंसान को

1  अंत के दिनों में, परमेश्वर मानवता को पूरी तरह से बचाना चाहता है, और आज वह इस प्रकार मानवता को उजागर कर न्याय करने में सक्षम है क्योंकि उसकी प्रबंधन योजना इस चरण तक पहुँच चुकी है। परमेश्वर मनुष्यजाति को बचाता है क्योंकि वह मनुष्यजाति से प्रेम करता है। मनुष्यजाति से प्रेम करने और प्रेम से चालित और प्रेरित होने के कारण वह देहधारी होकर मानवता को बचाने के लिए दानव की मांद में स्वयं घुस जाता है। परमेश्वर ऐसा कर पाता है क्योंकि वह मानवजाति से प्रेम करता है। भ्रष्ट मनुष्यजाति को बचाने के लिए देहधारी बनकर परमेश्वर का अत्यधिक अपमान सहना इसका ठोस सबूत है कि उसका प्रेम महान है। परमेश्वर के वचनों की पंक्तियों के बीच आग्रह, आराम, प्रोत्साहन, सहिष्णुता और धैर्य है; और इससे भी अधिक न्याय, ताड़ना, शाप, सार्वजनिक रूप से प्रकाशन, और अद्भुत वादे हैं। विधि जो भी हो, यह प्रेम से शासित है, और यही उसके कार्य का सार है।

2  ज्यादातर लोग आज इतने उतावले होकर परमेश्वर का इतना करीब से अनुसरण क्यों करते हैं? इसलिए कि वे परमेश्वर के प्रेम को जानते हैं और देखते हैं कि परमेश्वर का कार्य मनुष्यजाति को बचाने के लिए है। परमेश्वर का कार्य अपने समय-निर्धारण में बेहद सटीक है, बिना किसी देरी के प्रत्येक चरण पिछले चरण का बारीकी से अनुसरण करता है। वह देर क्यों नहीं करता? यह मनुष्यजाति को बचाने के लिए है। परमेश्वर लोगों को अधिकतम सीमा तक बचाता है, और बचाए जा सकने वाले किसी भी व्यक्ति को खोने को तैयार नहीं है, जबकि लोगों को खुद अपनी नियति की परवाह नहीं है। इसलिए लोग यह भी नहीं जानते कि दुनिया में उन्हें सबसे अधिक प्रेम कौन करता है। तुम खुद से भी प्रेम नहीं करते, तुम अपने जीवन को सँजोना या उसे निधि मानना भी नहीं जानते, केवल परमेश्वर ही लोगों से सबसे ज्यादा प्रेम करता है।

3  केवल थोड़े-से लोगों ने ही परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया है, और ज्यादातर लोगों को अभी अनुभव होना बाकी है। वे मानते हैं कि खुद के लिए उनका प्रेम ज्यादा भरोसेमंद है, लेकिन उन्हें यह साफ समझ होनी चाहिए कि उन्हें अपने लिए किस प्रकार का प्रेम है। क्या लोग खुद से प्रेम कर खुद को बचा सकते हैं? केवल परमेश्वर का प्रेम ही लोगों को बचा सकता है, सिर्फ वही सच्चा प्रेम है, और तुम बाद में धीरे-धीरे अनुभव कर सकोगे कि सच्चा प्रेम क्या है। अगर परमेश्वर कार्य करने, लोगों के रूबरू होकर रास्ता दिखाने, दिन-रात उनसे मिलने-जुलने और उनके साथ रहने के लिए देहधारी न हुआ होता, तो उन लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम को सचमुच जानना आसान बात नहीं होती। अगर परमेश्वर ने देहधारी होकर इतने सत्य व्यक्त न किए होते, तो लोग उन्हें कभी न जान पाते और किसी को भी उसके प्रेम का ज्ञान नहीं होता।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, क्या तुम मनुष्यजाति के प्रति परमेश्वर का प्रेम जानते हो?

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