अध्याय 30
जागो, भाइयो! जागो, बहनो! मेरे दिन में देरी नहीं होगी; समय जीवन है और समय को वापस लेना जीवन बचाना है! समय बहुत दूर नहीं है! यदि तुम लोग महाविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में असफल होते हो तो तुम इसके लिए बार-बार पढ़ाई कर सकते हो। लेकिन मेरे दिन में अब और देरी नहीं होगी। याद रखो! याद रखो! मेरे ये प्रोत्साहन के दयालु वचन हैं। दुनिया का अंत खुद तुम्हारी आँखों के सामने प्रकट हो चुका है और महा प्रलय जल्द ही आएगी। अधिक महत्वपूर्ण क्या है : तुम लोगों का जीवन या तुम्हारा सोना, तुम्हारा खाना-पीना और पहनना-ओढ़ना? समय आ गया है कि तुम इन चीजों को तोलो। अब और संशय मत करो! तुम इतने अधिक डरे हुए हो कि इन चीजों को गंभीरता से नहीं ले सकते, है ना?
मानवजाति कितनी दयनीय! कितनी अभागी! कितनी विचारहीन! लोग कितने क्रूर हैं! तुम वास्तव में मेरे वचनों को अनसुना करते हो—क्या मैं व्यर्थ में तुम लोगों से बात कर रहा हूँ? तुम लोग अभी भी बहुत लापरवाह हो, क्यों? ऐसा क्यों है? क्या सच में तुम लोगों के मन में कभी ऐसा विचार नहीं आया? मैं किनके लिए इन बातों को कहता हूँ? मुझ पर विश्वास रखो! मैं ही तुम लोगों का उद्धारकर्ता हूँ! मैं ही तुम लोगों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ! नज़र रखो! नज़र रखो! बीता हुआ समय फिर कभी नहीं आएगा, यह याद रखो! दुनिया में ऐसी कोई दवाई नहीं है जो पछतावे का इलाज कर सके! तो, मैं तुम लोगों से कैसे बात करूँ? क्या मेरे वचन इस योग्य नहीं कि तुम उन पर सावधानीपूर्वक बार-बार सोच-विचार करो? तुम लोग मेरे वचनों के मामले में अत्यधिक लापरवाह हो और अपने जीवन के प्रति बहुत गैर-ज़िम्मेदार हो; मैं इसे कैसे सहन कर सकता हूँ? यह मैं कैसे सह सकता हूँ?
क्यों, इस पूरे समय में, तुम लोगों के बीच में एक उचित कलीसिया जीवन उत्पन्न नहीं हो पाया है? ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम लोगों में विश्वास की कमी है, तुम लोग कीमत नहीं चुकाना चाहते हो, अपने आप को अर्पित करने के इच्छुक नहीं हो, और मेरे सामने अपने आप को खपाने को इच्छुक नहीं हो। जागो, मेरे पुत्रो! मुझ पर विश्वास रखो, मेरे पुत्रो! मेरे प्यारो, मेरे हृदय में जो है उसे तुम समझ क्यों नहीं पा रहे हो?