356  एक हार्दिक पश्चात्ताप

1 निद्रारहित रात में मेरे मन में यादों का दृश्य के बाद दृश्य चला आता है। प्रभु में इतने वर्षों तक विश्वास रखने के बाद भी मैं सांसारिक प्रवृत्तियों का ही अनुसरण करती रही; मैं पाप में जीती रही, व्यभिचार में लिप्त रही और देह के सुखों में डूबी रही। मेरा खयाल था कि अगर मैंने काफी कड़ी मेहनत की, तो मुझे प्रभु द्वारा अस्वीकार नहीं किया जाएगा। फिर मैंने परमेश्वर की वाणी सुनी, और पहचाना कि प्रभु प्रकट हो गया है। मैंने सोचा कि स्वयं परमेश्वर के सामने उन्नत किया जाना मुझे स्वर्ग के राज्य में हिस्सा मिलने की गारंटी है। मैंने कभी परमेश्वर के वचनों के न्याय और प्रकाशन को स्वीकार नहीं किया और न ही आत्मचिंतन किया। मैं अपनी ख्वाहिशों के पीछे भागती रही और मनमर्जी करती रही, और मैंने परमेश्वर के वचनों का तिरस्कार किया। परमेश्वर के वचनों के बारे में सहभागिता करते हुए मैंने सिर्फ सिद्धांतों की बात की, और फिर भी यही माना कि मैंने अच्छा काम किया। जब मेरी काट-छाँट की गई और मुझसे निपटा गया, तो मैंने विरोध किया और बहाने बनाए; जब मैं परीक्षणों से घिरी, तो मैंने हमेशा भागना चाहा। मैंने परमेश्वर के उद्धार को नहीं पहचाना। अब मैं देखती हूँ कि मैं सत्य का बिलकुल भी अनुसरण नहीं कर रही थी। मैं परमेश्वर के वचनों से दूर भटक गई थी और असीम अंधकार में गिर गई थी। परमेश्वर की उपस्थिति का एहसास न कर पाने के कारण मैं भय और बेचैनी से भर गई हूँ। भय और घबराहट के साथ मैं परमेश्वर के सामने झुकती हूँ, मुझे उसे खो देने का डर है। मैं परमेश्वर के वचनों को पढ़ती हूँ और उससे प्रार्थना करती हूँ, मैं उसकी दया के लिए तरसती हूँ।

2 हे परमेश्वर! क्या तुम पश्चात्ताप से भरे मेरे दिल की पुकार सुन सकते हो? तुम्हारी मौजूदगी को गँवा देना कितना अंधकारपूर्ण और पीड़ादायक है! तुम्हारे वचनों के बिना मेरा दिल किसी रोशनी को नहीं जानता। मैं एक भ्रष्ट स्वभाव में जीती हूँ और शैतान मेरे साथ खिलवाड़ करता है। हे परमेश्वर! मैं पश्चात्ताप करना चाहती हूँ, और एक नई शुरुआत करना चाहती हूँ। मैं आशा करती हूँ कि तुम मेरा और अधिक न्याय करोगे, और मुझे और अधिक ताड़ना दोगे। भले ही अधिक कठिन परीक्षण और शुद्धिकरण आए, अगर मैं तुम्हारे सामने रह पाऊँ, तो मैं कुछ भी भुगत सकती हूँ। मैं बहुत गहराई तक भ्रष्ट हो चुकी हूँ; मैं तुम्हारे न्याय के बिना शुद्ध नहीं हो सकती। केवल न्याय ही है, जो मुझे शैतान से बचा सकता है। हे परमेश्वर! मैंने इस तथ्य का स्वाद ले लिया है कि न्याय और ताड़ना प्यार हैं। तुम्हारे वचन सत्य हैं; केवल तुम ही मुझे बचा सकते हो। मैं तुम्हारे वचन सँजोना चाहती हूँ और उनके अनुसार जीवन जीना चाहती हूँ; मैं फिर कभी तुम्हारे प्रेम और श्रमसाध्य प्रयासों के योग्य होने में विफल नहीं होऊँगी। मैं सत्य का अभ्यास करूँगी, इंसान के सदृश जियूँगी, तुम्हारे प्रेम की गवाही दूँगी!

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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