38. नवागतों के सिंचन में आने वाली समस्याएँ
मैं कलीसिया में नए लोगों का सिंचन करती हूँ। सितंबर 2008 की एक रात मैं हमेशा की तरह अपने घर सभा के लिए दम्पति यू हुई और शिन मिंग के आने का इंतजार कर रही थी। उन्होंने हाल ही में अंत के दिनों का परमेश्वर का कार्य स्वीकारा था। लगभग एक घंटा बीत गया था, लेकिन वे नहीं आए यह सोचकर मैं चिंतित और बेचैन होने लगी थी, “जब से इस युवा जोड़े ने परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकारा है, वे हर सभा में हमेशा सक्रिय रहे हैं। हमेशा समय पर पहुँचते हैं और शायद ही कभी देर से आते हैं। आज रात क्या हो रहा है? रात काफी हो चुकी है और अभी तक उनका कोई अता-पता नहीं है। नहीं, मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती! मुझे जाकर पता करना होगा कि क्या हो रहा है।” मैं जल्दी से अपने कमरे में गई, परमेश्वर के वचनों की पुस्तक अपने बैग में रखी, उसे अपने कंधे पर लटकाया और बाहर निकल गई। उसी वक्त वे आ पहुँचे, वे परेशान और दुखी लग रहे थे। उन्होंने अपने बैग से परमेश्वर के वचनों की पुस्तकें निकालीं और कॉफी की टेबल पर रख दीं। फिर बिना कुछ बोले सिर झुकाए वे सोफे पर बैठ गए, वे बीच-बीच में खिड़की से बाहर देखते रहे मानो जाना चाहते हों। मैं चौंक गई और सोचने लगी, “इन्हें जरूर कोई परेशानी हुई होगी!” मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह मुझे उनकी समस्याओं पर संगति करने और उनका समाधान करने में मार्गदर्शन करे। चाय डालते हुए मैंने पूछा, “शिन मिंग, यू हुई, घर पर सब ठीक तो है न? या क्या परमेश्वर के कार्य को लेकर तुम्हारे मन में कोई धारणाएँ हैं? चाहे हम कितनी भी कठिनाइयों का सामना करें, अगर हम परमेश्वर के सामने आते हैं और सत्य खोजते हैं तो कोई भी समस्या हल हो सकती है। चलो दिल खोलकर बात रखते हैं।”
थोड़ी देर बाद शिन मिंग ने ऊपर देखा और झिझकते हुए कहा, “बहन, मुझे सच में समझ नहीं आ रहा है : हम जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, वह कोई व्यक्ति है या परमेश्वर?” तब यू हुई ने कहा, “बहन, सच कहूँ तो परसों शिन मिंग और मैं घर पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ रहे थे, तभी हमारी कलीसिया के एल्डर झांग आ गए। उन्होंने हमें अपने फोन में खुली वेबसाइट पर एक रिपोर्ट देखने को कहा। रिपोर्ट इस बारे में थी कि सीसीपी और धार्मिक अगुआओं ने कहा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक साधारण व्यक्ति में विश्वास रखती है। रिपोर्ट में और भी बहुत कुछ कहा गया था। इसे पढ़कर मैं स्तब्ध रह गई और वाकई बेचैन महसूस करने लगी। मैं न तो खा पा रही थी और न ही सो पा रही थी, दो रातों तक मैं पलक तक नहीं झपक पाई। ‘एक साधारण व्यक्ति’ शब्द मेरे दिमाग में गूँजते रहे, मुझे चिंता हुई कि अगर हम सचमुच किसी व्यक्ति में विश्वास रख रहे हैं तो यह गलत होगा। ऐसे में क्या प्रभु यीशु में विश्वास रखने के हमारे दस साल से ज्यादा का समय बरबाद नहीं हो गया होगा? तब हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कैसे कर सकते हैं? लेकिन फिर मैंने सोचा, जब मैं यीशु में विश्वास रखती थी, तब मैं अक्सर पादरियों और एल्डरों को बाइबल समझाते हुए सुनती थी, लेकिन मेरी आत्मा मुरझाई हुई और अंधकारमय महसूस करती थी। मैं सभाओं में जाने को लेकर बहुत उदासीन रहती थी। लेकिन जब से मैंने अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य स्वीकारा है, मुझे लगता है कि परमेश्वर के वचन पढ़कर मेरे हृदय को पोषण मिला है और हमारे जीवन को वास्तव में लाभ हुआ है। शिन मिंग और मेरे दिल को हाल के दिनों में शांति और आनंद का अनुभव हुआ है। लेकिन अब एल्डर झांग ने जो कहा उसके बाद समझ नहीं आ रहा क्या करूँ। बहन, बताओ हम जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, वह वास्तव में है कौन? वह मसीह है या कोई साधारण व्यक्ति है?”
मैंने फौरन संगति की, “शिन मिंग, यू हुई, हमें डर हो सकता है कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर में हम विश्वास रखते हैं वह कोई व्यक्ति तो नहीं है, लेकिन एक पल के लिए यह सोचो : क्या प्रभु यीशु भी दिखने में एक साधारण व्यक्ति नहीं था? हम दस साल से ज्यादा समय तक प्रभु यीशु में विश्वास क्यों रख पाए? पतरस, यूहन्ना और सामरी स्त्री ने यह क्यों माना कि यह साधारण व्यक्ति, प्रभु यीशु यानी मसीह है? क्या तुमने इन सवालों के बारे में सोचा है?”
शिन मिंग ने एक पल के लिए पलकें झपकाईं और कहा, “हम क्यों विश्वास रखते हैं? मैंने सचमुच इन सवालों के बारे में नहीं सोचा है। मैंने तो बस इतना सोचा था कि यीशु ही प्रभु यानी मसीह है और हमें विश्वास रखना चाहिए।”
मैंने कहा, “भले ही हम प्रभु यीशु मसीह में विश्वास रखते थे, लेकिन हमने मसीह के सार को नहीं समझा। इसीलिए आज भले ही हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, लेकिन जब कोई कहता है कि हम किसी साधारण व्यक्ति में विश्वास रखते हैं तो हम यह भेद नहीं पहचान पाते। सच कहूँ तो जब मैंने पहली बार सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य स्वीकारा तो मेरे भी ऐसे ही विचार थे और मैं भी इस मसले को लेकर उलझन में थी। बाद में एक बहन ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े और इस विषय को लेकर सत्य पर संगति की। तब जाकर मुझे समझ आया कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर में हम विश्वास रखते हैं, वही अंत के दिनों का मसीह है।” बोलते-बोलते मैंने फौरन परमेश्वर के वचनों की पुस्तक खोली और कहा, “चलो परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़ते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : ‘देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह आत्मा का देहधारण है, मांस तथा खून से बना हुआ नहीं। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य को कार्यान्वित करती है’ (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पण ही मसीह का सार है)। ‘“देहधारण” परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। चूँकि वह परमेश्वर का देहधारण है, तो उसे सबसे पहले देह बनना होगा, सामान्य मानवता वाली देह; यह सबसे मौलिक पूर्वापेक्षा है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है’ (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। परमेश्वर के वचन उन सत्यों और रहस्यों का खुलासा करते हैं जिन्हें मानवजाति हजारों वर्षों से नहीं समझ पाई है। देहधारण क्या है? मसीह कौन है? मसीह देहधारी परमेश्वर है, परमेश्वर का आत्मा पृथ्वी पर हाड़-मांस का इंसान बनकर आया है, देह में प्रकट होकर कार्य कर रहा है। देखने में देहधारी परमेश्वर एक बेहद सामान्य, साधारण व्यक्ति लगता है, लेकिन उसके भीतर परमेश्वर के आत्मा का वास और दिव्यता का सार है। जैसे जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य करने के लिए देहधारण किया तो वह भी एक साधारण व्यक्ति के रूप में प्रकट हुआ था और मानव विकास की सामान्य प्रक्रिया से गुजरा था। उसके माता-पिता, भाई-बहन थे और उस समय लोग उसे नासरत का यीशु, बढ़ई यूसुफ का पुत्र कहते थे। ये प्रभु यीशु की सामान्य मानवता की अभिव्यक्तियाँ थीं। बाहर से प्रभु यीशु एक साधारण यहूदी था, लेकिन उसमें दिव्यता का सार था। वह सत्य व्यक्त कर सकता था और मनुष्य को पश्चात्ताप का मार्ग प्रदान कर सकता था। वह छुटकारे का कार्य कर सकता था, लोगों के पापों को क्षमा कर सकता था, परमेश्वर के प्रेमपूर्ण और दयालु स्वभाव को व्यक्त कर सकता था। वह संकेत और चमत्कार दिखा सकता था, जैसे बीमारों को चंगा करना, दानवों को निकालना, मृतकों को जीवित करना। उसने पाँच रोटियों और दो मछलियों से पाँच हजार लोगों को भोजन कराया था। प्रभु यीशु के वचन और कार्य, उसके द्वारा व्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा प्रदर्शित अधिकार ऐसे कार्य थे जिन्हें कोई नहीं कर सकता था या उनकी पहुँच से बाहर थे। ये चीजें प्रभु यीशु के दिव्य सार का प्रकटीकरण थीं। इसलिए प्रभु यीशु मसीह था जिसे मनुष्य का पुत्र भी कहा जाता है। प्रभु यीशु देहधारी परमेश्वर था और यह धार्मिक जगत में एक सर्वमान्य तथ्य है। अगर किसी प्राणी में सामान्य मानवता के बिना केवल दिव्यता है तो वह प्राणी अदृश्य और अस्पृश्य पवित्र आत्मा होगा और उसे मसीह नहीं कहा जा सकता। लेकिन अगर किसी व्यक्ति में दिव्यता के बिना केवल मानवता हो तो वह व्यक्ति देहधारी परमेश्वर नहीं होता। हम जैसे सामान्य लोगों की तरह हम सभी शरीरधारी हैं और हम सभी शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए हैं। हमारे पास केवल मानवता है। यहाँ तक कि दानिय्येल, यशायाह और अन्य प्राचीन संतों और पैगंबरों में भी केवल मानवता थी। वे केवल भ्रष्ट मानवता के सदस्य थे और उनमें मसीह की दिव्यता नहीं थी। इसलिए मसीह का दिव्य सार अद्वितीय है जो किसी और के पास नहीं है।”
यू हुई ने सोच-विचार कर पलकें झपकाईं। कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा, “अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने ये रहस्य जाहिर न किए होते तो हममें से कोई भी इसे समझ नहीं पाता। धार्मिक जगत के पादरी और एल्डर तक भी इसे नहीं समझते। वे अक्सर उपदेश देते हैं कि मसीह राजा है, अभिषिक्त है। दाऊद इस्राएल का राजा था और अभिषिक्त भी, लेकिन उसे मसीह क्यों नहीं कहा जा सकता था? ये पादरी और एल्डर इसे स्पष्ट रूप से नहीं समझा सकते। अब मुझे समझ आया। दाऊद में केवल मानवता थी, दिव्यता का सार नहीं था, इसलिए उसे मसीह नहीं कहा जा सकता था। लेकिन प्रभु यीशु में सामान्य मानवता और पूर्ण दिव्यता दोनों थीं, इसलिए उसे मसीह कहा जा सकता था। जैसे हम अक्सर गाते हैं, ‘मसीह, मसीह, यीशु मसीह, कलीसिया की आधारशिला...’” यू हुई ने गाते हुए लय पर धीरे से अपने हाथ थपथपाए।
उन दोनों को बोलते और संगति करते देख मेरा घबराया हुआ दिल धीरे-धीरे शांत हुआ। मैं मुस्कुराकर बोली, “यह बात सही है। जब हम समझ लेते हैं कि मसीह क्या है तो हमें यह भी स्पष्ट हो जाता है कि प्रभु यीशु को मसीह और मनुष्य का पुत्र क्यों कहा जाता है। अब क्या तुम्हें याद है कि बाइबल में कई जगहों पर प्रभु के आगमन की भविष्यवाणी ‘मनुष्य के पुत्र के आगमन’ के रूप में की गई है?”
उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ, हमें याद है!” शिन मिंग एक ही साँस में कहने लगा, “लूका 17:24 कहता है : ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा।’”
फिर मैंने संगति की, “जब हम ‘मनुष्य के पुत्र’ की बात करते हैं तो इसका अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा पृथ्वी पर आया है और मानव बन गया है, एक सामान्य मनुष्य से जन्मा है, माता-पिता और परिवार के साथ। देखने में वह एक साधारण व्यक्ति है। अंत के दिनों में परमेश्वर ने मनुष्य के पुत्र के रूप में फिर से देहधारण किया है जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। देखने में सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक साधारण मनुष्य का पुत्र है, लेकिन वह परमेश्वर के आत्मा का मूर्त रूप है। वह स्वयं परमेश्वर है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए समस्त सत्य व्यक्त किया है, उसने लोगों की पापी प्रकृति को पूरी तरह से दूर करने, उन्हें शैतान की भ्रष्टता और नुकसान से बचाने और आखिरकार उन्हें परमेश्वर के राज्य में लाने के लिए अंत के दिनों में न्याय और ताड़ना का कार्य किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य और उसके द्वारा किए गए कार्य ने अनुग्रह के युग में प्रभु के विश्वासियों के सामने आने वाली सभी उलझनों और कठिनाइयों का समाधान किया है और ये सत्य ऐसी चीजें हैं जिन्हें कोई और व्यक्त नहीं कर सकता था। वह देहधारी परमेश्वर है या नहीं, यह मानवीय स्वीकृति पर आधारित नहीं है, यह सीसीपी या धार्मिक अगुआओं की निराधार अफवाहों और भ्रांतियों पर तो बिल्कुल आधारित नहीं है। इसके बजाय यह परमेश्वर के कार्य और उसके सार से निर्धारित होता है। सच्चे मार्ग की जाँच करते समय यह तय करने के लिए कि वह देहधारी परमेश्वर है या नहीं, हम केवल उसके बाहरी स्वरूप को देखकर उसके सार को नजरअंदाज नहीं कर सकते। आइए परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : ‘ऐसी चीज़ की जाँच-पड़ताल करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है : जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह स्वयं है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति अगर यह पता करना चाहता है कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, तो उसे इसकी पहचान उसके सार के आधार पर करनी चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है’ (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं। हमारे लिए यह जानने के लिए कि क्या वह देहधारी परमेश्वर है, मुख्य चीजें जिनका उपयोग कर हम यह भेद जान सकते हैं, वे हैं उसके वचन, उसका कार्य और वह स्वभाव जो वह व्यक्त करता है। मसीह को जानने के लिए हमारे पास यही मात्र तरीके हैं। मसीह साधारण और सामान्य प्रतीत होता है, लेकिन हम उसके कार्य और वचनों से पहचान सकते हैं कि वह परमेश्वर है या नहीं। बिल्कुल प्रभु यीशु की तरह। वह एक साधारण व्यक्ति लगता था, लेकिन वह व्यवस्था के युग का अंत करने, अनुग्रह के युग का आरंभ करने और मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए सूली पर चढ़ गया। प्रभु यीशु अधिकार और सामर्थ्य के साथ बात करता था। एक ही वचन से उसने लाजर को जीवित कर दिया, पाँच रोटियों और दो मछलियों से पाँच हजार लोगों को भोजन करा दिया। प्रभु यीशु के वचन और कार्य, साथ ही उसके द्वारा प्रदर्शित अधिकार उसकी पहचान और रुतबे को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त थे। वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि मसीह था! लेकिन उस समय के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों ने प्रभु यीशु के कार्य की जाँच-पड़ताल करने की कोशिश नहीं की, बल्कि उन्होंने जो देखा उसके आधार पर उन्होंने प्रभु यीशु को एक साधारण मनुष्य समझकर यह कहा, ‘क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं है?’ ‘क्या यह नासरत का यीशु नहीं है?’ ‘क्या हम उसके माता-पिता को नहीं जानते?’ उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा करने के हर मौके का फायदा उठाया। विश्वासियों ने भेद पहचानने पर ध्यान नहीं दिया और थाली के बैंगन की तरह उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा करने में फरीसियों का साथ दिया। अंत में फरीसियों ने रोमन सरकार के साथ मिलकर उसे सूली पर चढ़ा दिया। सन् 70 में उन्हें परमेश्वर का शाप और दंड भुगतना पड़ा। इस्राएल का विनाश हो गया और इस्राएली दो हजार सालों के लिए विदेशी भूमि की ओर भाग गए। यह यीशु मसीह का प्रतिरोध करने और उसकी निंदा करने का दुखद परिणाम था। हालाँकि प्रभु यीशु प्रेम और करुणा से परिपूर्ण था, लेकिन परमेश्वर में धार्मिकता और प्रताप भी होता है, उसका स्वभाव अपमान सहन नहीं करता। प्रभु यीशु देहधारी परमेश्वर था, उसका कार्य और वचन पवित्र आत्मा की अभिव्यक्तियाँ थीं। फरीसियों ने यीशु मसीह द्वारा व्यक्त सत्य नहीं स्वीकारा, यहाँ तक कि प्रभु यीशु के बारे में निर्ममता से मनगढ़ंत अफवाहें फैलाईं, उसकी आलोचना और निंदा की। इसका अर्थ है कि वे सत्य और मसीह को अस्वीकार रहे थे और यह पवित्र आत्मा की निंदा थी। पवित्र आत्मा की निन्दा करने का पाप इस जीवन या परलोक में क्षमा नहीं किया जाता! प्रभु यीशु ने कहा था : ‘मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी’ (मत्ती 12:31)।”
यह सुनने के बाद शिन मिंग ने गुस्से से कहा, “वे फरीसी कितने घृणित थे! उन्होंने प्रभु यीशु मसीह को पहचाना तक नहीं, फिर भी उन्होंने उसकी निंदा की और अफवाहें फैलाईं। पुराने नियम को पढ़ने में लगाए उनके सारे साल व्यर्थ गए!” यू हुई ने शिन मिंग की ओर देखा और कहा, “तुम ऐसा नहीं कह सकते। अगर हम उस समय पैदा हुए होते तो हम भी प्रभु यीशु की उसी तरह निंदा कर रहे होते जैसे उन्होंने की। हम यकीनी तौर पर नहीं कह सकते!”
मैंने आगे कहा, “यह बात सही है। अतीत की गलतियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए चेतावनी होनी चाहिए! अंत के दिनों में प्रभु यीशु ने पृथ्वी पर बोलने और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में फिर से देहधारण किया है। यह मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का सामना करते हुए क्या हमें सावधान और विवेकपूर्ण नहीं होना चाहिए, परमेश्वर का भय मानने वाले हृदय से खोज और जाँच नहीं करनी चाहिए और क्या केवल दिखावे के आधार पर निर्णय लेना चाहिए? आइए बाइबल के कुछ अंश पढ़ें। यूहन्ना 16:12-13 कहता है : ‘मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा।’ प्रकाशितवाक्य 2:7 कहता है : ‘जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।’ इसके अलावा, ‘वो जो मुझे नकार देता है, और मेरे वचन नहीं स्वीकारता, उसका भी न्याय करने वाला कोई है : मैंने जो वचन बोले हैं वे ही अंत के दिन उसका न्याय करेंगे’ (यूहन्ना 12:48)। बाइबल के इन अंशों से हम देख सकते हैं कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि जब वह लौटेगा तो बहुत सी बातें कहेगा, वह सत्य व्यक्त करेगा और न्याय का कार्य करेगा। तो बताओ, क्या ये भविष्यवाणियाँ अब साकार हो गई हैं?” “हाँ, साकार हो गई हैं,” दोनों ने एक स्वर में उत्तर दिया।
मैंने वचन देह में प्रकट होता है की अपनी प्रति उठाई और कहा, “यह पुस्तक, वचन देह में प्रकट होता है सूचीपत्र है जिसे मेमने द्वारा खोला गया है। ये पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं को कहे गए वचन हैं। ये सत्य परमेश्वर के वचन हैं जो मानव जीवन को आपूर्ति करते हैं और ये सत्य का शाश्वत मार्ग हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर हम देखते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर न केवल परमेश्वर की उद्धार की छह हजार साल की प्रबंधन योजना के रहस्य को जाहिर करता है, बल्कि देहधारण के रहस्य, बाइबल और परमेश्वर के बीच के संबंध, सभी प्रकार के लोगों के परिणामों और गंतव्यों को भी जाहिर करता है। परमेश्वर मानवजाति के परमेश्वर के प्रति प्रतिरोध की पापी प्रकृति का न्याय और उसे उजागर भी करता है, शैतान द्वारा मानवजाति की भ्रष्टता और मनुष्यों के विभिन्न भ्रष्ट स्वभावों के सत्य को भी उजागर करता है। वह लोगों को पाप से मुक्ति का मार्ग भी दिखाता है और साथ ही परमेश्वर मानवता के सामने अपना धार्मिक, प्रतापी और क्रोधी स्वभाव प्रकट करता है जिसका अपमान नहीं किया जा सकता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कार्य बाइबल की भविष्यवाणियों को पूरी तरह से साकार करते हैं। आइए इस पर विचार करें : अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक साधारण व्यक्ति होता तो वह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य के आंतरिक सत्य को कैसे प्रकट कर सकता था? वह मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर के प्रबंधन कार्य के रहस्य को कैसे बेपर्दा कर सकता था? वह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव, उसकी सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि को कैसे व्यक्त कर सकता था? अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक साधारण व्यक्ति होता तो वह राज्य के युग का आरंभ और अनुग्रह के युग का अंत कैसे कर सकता था, जिन्हें उनके पापों की क्षमा मिल गई थी और जिन्होंने प्रभु यीशु का अनुसरण किया था, उन्हें एक नए युग में कैसे ला सकता था और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य की शुरुआत कैसे कर सकता था? कौन-सी प्रसिद्ध हस्ती या महान व्यक्ति ऐसे वचन और कार्य कर सकता था? कौन-सा पादरी या एल्डर ऐसे वचन कह सकता था? कोई नहीं! अब आइए विचार करें : परमेश्वर के अलावा कौन परमेश्वर की छह हजार साल की प्रबंधन योजना को पूरा कर सकता था? लोगों का न्याय करने, उन्हें शुद्ध करने और उन्हें पाप से बचाने के लिए और कौन सत्य व्यक्त कर सकता था? और कौन सभी प्रकार के लोगों के परिणामों का निर्धारण कर सकता था? कोई नहीं। केवल देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर यह कार्य कर सकता है और उसी के पास ऐसा अधिकार है! चूँकि केवल अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही यह कार्य कर सकता है तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर कोई व्यक्ति है या परमेश्वर?”
यू हुई और शिन मिंग ने एक साथ उत्तर दिया, “वह परमेश्वर ही है!” यू हुई के तनाव भरे हाव-भाव शांत हो गए और उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठी। उसने उत्साह से कहा, “कितना अद्भुत है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करने आया है और उसने इतने सारे वचन व्यक्त किए हैं। यह सब परमेश्वर का कार्य है। अगर वह कोई साधारण व्यक्ति होता तो वह यह कैसे कर पाता?”
मैं सचमुच उत्साहित हो गई और मुस्कुराते हुए बोली, “यह बहुत अच्छा है कि तुम इसे इस तरह समझ सकती हो! आइए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ें, इससे हमारे हृदय और भी स्पष्ट हो जाएँगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : ‘इस बार परमेश्वर कार्य करने के लिए आध्यात्मिक देह में नहीं, बल्कि बहुत ही साधारण शरीर में आया है। इसके अलावा, यह परमेश्वर के दूसरे देहधारण का शरीर है और यह वह शरीर भी है, जिसके द्वारा वह देह में लौटकर आया है। यह एक बहुत साधारण देह है। उस पर नजर डालकर तुम ऐसा कुछ नहीं देख सकते जो उसे दूसरों से अलग खड़ा करता हो, लेकिन तुम उससे पूर्व में अनसुने सत्य प्राप्त कर सकते हो। महज यह तुच्छ देह परमेश्वर के सत्य के समस्त वचनों का मूर्त रूप है, अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की धारक है और मनुष्य के समझने के लिए परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है। क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को समझने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम मानवजाति का गंतव्य देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? वह तुम्हें ये सभी रहस्य बताएगा—वे रहस्य जो कोई मनुष्य तुम्हें कभी नहीं बता पाया है—और वह तुम्हें वे सत्य भी बताएगा जिन्हें तुम नहीं समझते। वह राज्य में जाने का तुम्हारा द्वार है, और नए युग में जाने के लिए तुम्हारा मार्गदर्शक है। यह साधारण देह कई रहस्यों को समेटे हुए है जिनकी थाह मनुष्य नहीं ले सकता है। उसके कर्म तुम्हारे लिए गूढ़ हैं, लेकिन उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य का संपूर्ण लक्ष्य तुम्हें इतना देखने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त है कि वह कोई साधारण देह नहीं है, जैसा कि लोग मानते हैं—क्योंकि वह अंत के दिनों के परमेश्वर के इरादों और अंत के दिनों में मानवजाति के प्रति परमेश्वर की परवाह का प्रतिनिधित्व करता है। यद्यपि तुम उसके द्वारा बोले गए उन वचनों को नहीं सुन सकते जो आकाश और पृथ्वी को कँपाते-से लगते हैं, यद्यपि तुम उसकी आँखें आग की लपटों जैसी नहीं देख सकते, और यद्यपि तुम उसके लौह-दंड का अनुशासन नहीं पा सकते, फिर भी तुम उसके वचनों से यह सुन सकते हो कि परमेश्वर क्रोधित हो रहा है और यह जान सकते हो कि परमेश्वर मानवजाति पर दया दिखा रहा है, और तुम परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव और उसकी बुद्धि देख सकते हो, और उससे भी अधिक, समस्त मानवजाति के लिए परमेश्वर की परवाह को समझ सकते हो। अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य मनुष्य को स्वर्ग के परमेश्वर का पृथ्वी पर मनुष्यों के बीच रहना दिखाना है ताकि वे परमेश्वर को जानें, उसके प्रति समर्पण करें, उसका भय मानें और उससे प्रेम करें। यही कारण है कि वह दूसरी बार देह में लौटकर आया है। यद्यपि आज मनुष्य देखता है कि परमेश्वर मनुष्य के ही समान है, उसकी एक नाक और दो आँखें हैं और वह एक साधारण परमेश्वर है, लेकिन अंत में परमेश्वर तुम लोगों को दिखाएगा कि अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग और पृथ्वी एक जबरदस्त बदलाव से गुजरते; अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग धुँधला जाता, पृथ्वी पर उथल-पुथल मच जाती, और समस्त मानवजाति अकाल और महामारियों के बीच जिएगी। वह तुम लोगों को दिखाएगा कि यदि अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर तुम लोगों को बचाने के लिए न आया होता, तो परमेश्वर ने समस्त मानवजाति को बहुत पहले ही नरक में नष्ट कर दिया होता; यदि यह देह नहीं होता तो तुम लोग सदैव कट्टर पापी होते, और तुम हमेशा के लिए लाश बन जाते। तुम लोगों को यह जानना चाहिए कि यदि यह देह न होता, तो समस्त मानवजाति के लिए एक महा आपदा से बचना असंभव होता, और उसके लिए अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा मानवजाति को दिए जाने वाले और भी कठोर दंड से बच पाना कठिन होता। यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता, तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की प्रार्थना करते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होता, तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते। क्या तुम लोग जानते थे कि यदि परमेश्वर वापस देह में लौटा न होता, तो किसी को भी उद्धार का अवसर न मिलता; और यदि इस देह का आगमन न होता, तो परमेश्वर ने बहुत पहले ही पुराने युग को समाप्त कर दिया होता? ऐसा होने से, क्या तुम लोग अभी भी परमेश्वर के दूसरे देहधारण को नकार सकते हो? जब तुम लोग इस साधारण मनुष्य से इतने सारे लाभ प्राप्त कर सकते हो, तो तुम लोग उसे प्रसन्नतापर्वूक स्वीकार क्यों नहीं करोगे?’ (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम जानते थे? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक महान काम किया है)। मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है और यह एक पूर्ण तथ्य है। अगर मसीह ने सत्य व्यक्त नहीं किया होता और हमने परमेश्वर की वाणी न सुनी होती, केवल वेश-भूषा से ही उसका मूल्यांकन किया होता तो हमारे लिए उसे पहचानना बहुत मुश्किल हो जाता। देखने में सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक साधारण मनुष्य है, लेकिन वह अंत के दिनों का देहधारी परमेश्वर है। उसने अनेक सत्य व्यक्त किए हैं और वह समस्त मानवजाति को बचाने के लिए कार्य कर रहा है। लेकिन सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत के अगुआ यह मानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक साधारण व्यक्ति है। यह पूरी तरह से एक भ्रांति है। आइए इस पर विचार करें। सीसीपी नास्तिक है और मार्क्स के शैतानवाद का अनुसरण करती है। यह परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है और लगातार ईसाइयों को गिरफ्तार करती और सताती है। यह एक सर्वमान्य तथ्य है। क्या हम उनकी बातों पर विश्वास कर सकते हैं?”
शिन मिंग ने मुट्ठी भींची और उसे कॉफी टेबल पर पटकते हुए हताश होकर कहा, “सीसीपी सरकार नास्तिक है और परमेश्वर का प्रतिरोध करती है। जब हम प्रभु यीशु में विश्वास रखते थे तो हमें दमन और उत्पीड़न झेलना पड़ा। मैं उसकी निराधार अफवाहों पर कैसे विश्वास कर सकता था?”
मैंने शिन मिंग को जवाब देते हुए कहा, “सीसीपी अपनी स्थापना के बाद से ही ईसाइयों पर अत्याचार करती आ रही है, उसने ईसाई धर्म को एक पंथ और बाइबल को एक पंथ की पुस्तक करार दिया है। वह हर जगह ईसाइयों को गिरफ्तार कर रही है, उन्हें यातनाएँ दे रही है, उनकी निंदा कर रही है और उन्हें सजा दे रही है जिससे कई परिवार बिखर गए हैं और लोग मारे गए हैं। अब जबकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को बचाने के लिए कार्य करने आया है तो सीसीपी और भी ज्यादा क्रोधित हो गई है और परमेश्वर को अपना शत्रु मानती है। वह हर जगह वचन देह में प्रकट होता है की प्रतियाँ ढूँढ़ती है और मिलते ही उन्हें जब्त करके नष्ट कर देती है। जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहन परमेश्वर के वचनों पर संगति करने, सुसमाचार का प्रचार करने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए इकट्ठा होते हैं तो सीसीपी उन्हें दबाने और गिरफ्तार करने के लिए सरकारी तंत्र की पूरी ताकत लगा देती है, इंटरनेट पर कलीसिया के बारे में बेबुनियाद अफवाहें फैलाती, बदनाम करती है और परमेश्वर की कलीसिया को मिटाने की व्यर्थ कोशिश करती है। ऐसी बुरी नास्तिक पार्टी जो परमेश्वर की शत्रु है, यह भी नहीं जानती कि मसीह क्या है या देहधारण क्या होता है। आस्था के मामलों पर टिप्पणी करने की उसकी कोई योग्यता नहीं है और फिर भी वह बेधड़क दावा करती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक व्यक्ति में विश्वास रखती है। क्या यह पूरी तरह से निराधार अफवाहें फैलाना और ईशनिंदा नहीं है? धार्मिक अगुआ परमेश्वर के प्रकटन और कार्य को देखकर विश्वासियों को सत्य खोजने और प्रभु का स्वागत करने के लिए प्रेरित करने के बजाय असल में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करने में सीसीपी का साथ देते हैं! जब वे देखते हैं कि बड़ी संख्या में विश्वासी चमकती पूर्वी बिजली की जाँच करने जा रहे हैं और अधिक से अधिक लोग इसे स्वीकार रहे हैं तो वे अपना पद और आजीविका खोने से डरते हैं, इसलिए वे विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच करने से रोकने और प्रतिबंधित करने के हर संभव प्रयास करते हैं, हताशा में कलीसियाओं को बंद कर देते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में निराधार अफवाहें फैलाते हैं और उसे बदनाम करते हैं जिससे बहुत से लोग जो सत्य नहीं समझते, उनकी निराधार अफवाहों और शैतानी शब्दों को सुनकर चमकती पूर्वी बिजली की जाँच करने से बुरी तरह डर जाते हैं और प्रभु के आगमन का स्वागत करने का अवसर गँवा बैठते हैं। इन धार्मिक पादरियों और एल्डरों की करतूतें उन फरीसियों से अलग कैसे हैं जिन्होंने प्रभु यीशु का प्रतिरोध किया था?”
यू हुई और शिन मिंग ने सहमति में सिर हिलाया। यू हुई ने कहा, “परमेश्वर के वचन पढ़कर और तुम्हारी संगति सुनकर मैं आखिरकार समझ गई हूँ कि जहाँ परमेश्वर लोगों को बचाने के लिए कार्य करता है, वहीं शैतान लोगों को भ्रष्ट करता है। जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य व्यक्त करने और मानवजाति को बचाने के लिए कार्य करने आया है, शैतान उन्मत्त होकर विघ्न पैदा करने और तबाही लाने के लिए बेतहाशा झूठ गढ़ता है। वह बेहद कपटी और बुरा है! परमेश्वर के मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद, हम रुके और समझ हासिल की। इसके बिना शिन मिंग और मैं सीसीपी, धार्मिक पादरियों और एल्डरों द्वारा फैलाई गई निराधार अफवाहों और शैतानी बातों पर विश्वास कर लेते और हम विश्वास बनाए रखने का साहस खो बैठते। हम लगभग परमेश्वर का उद्धार गँवा ही बैठे थे। बाल-बाल बच गए!” यू हुई ने जल्दी से मेज से वचन देह में प्रकट होता है पुस्तक उठाई और उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। शिन मिंग को भी अचानक एहसास हुआ और उसने कहा, “अब से हमें सीसीपी, धार्मिक जगत के पादरियों व एल्डरों द्वारा फैलाई जा रही निराधार अफवाहों और भ्रांतियों पर बिल्कुल विश्वास नहीं करना चाहिए। उनसे हमारे जीवन को कोई लाभ नहीं है। इसके बजाय हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने में ज्यादा समय लगाना चाहिए और संगति के लिए अधिक बार सभाओं में आना चाहिए, धीरे-धीरे हम परमेश्वर के नए कार्य को समझ जाएँगे।”
मेरी आँखों में आँसू आ गए और मैंने उत्साह से कहा, “तुमने परमेश्वर के देहधारण के सत्य को समझ लिया है, तुम सीसीपी, धार्मिक जगत की बेबुनियाद अफवाहों और भ्रांतियों के जाल को तोड़कर परमेश्वर की ओर लौट आए हो। यह सचमुच परमेश्वर का अनुग्रह है! सीसीपी और धार्मिक जगत सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के बारे में बेबुनियाद अफवाहें फैलाने, साख गिराने और बदनाम करने की चाहे कितनी भी कोशिश करें, जो लोग परमेश्वर में सच्चा विश्वास रखते हैं, वे अभी भी परमेश्वर की वाणी को पहचान सकते हैं और उसकी उपस्थिति में लौट सकते हैं। लेकिन झूठे विश्वासी सीसीपी और धार्मिक जगत की बेबुनियाद अफवाहों और शैतानी बातों पर विश्वास कर लेते हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों की खोज या जाँच करने को तैयार नहीं होते। इस प्रकार वे पशु द्वारा पकड़ लिए जाते हैं और पशु के चिह्न से ही चिह्नित होते हैं। वे भूसी के समान होते हैं जो हवा से उड़ जाती है और न बुझने वाली आग में जल जाती है। इस प्रकार गेहूँ और खरपतवार अलग हो जाते हैं। परमेश्वर कितना सर्वशक्तिमान और बुद्धिमान है!”
हमारी सभा समाप्त होने के बाद शिन मिंग और यू हुई ने ध्यान से परमेश्वर के वचनों की अपनी पुस्तकें समेटीं, अपने बैग कंधों पर लटकाए और खुशी-खुशी निकल गए। मैं खिड़की के पास खड़ी होकर उन्हें दूर जाते हुए देख रही थी और अनायास ही कह उठी, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!”