117  अंत के दिनों में परमेश्वर अपने वचनों से इंसान का न्याय करता है, उसे पूर्ण करता है

1

अंत के दिनों में देहधारण किया परमेश्वर ने ख़ास तौर से बोलने के लिये,

क्या है इंसानी ज़िंदगी की ज़रूरत,

कहाँ प्रवेश करना चाहिये उसे, ये दिखाने के लिये,

परमेश्वर के कर्म और सर्वशक्तिमत्ता दिखाने के लिये,

परमेश्वर की चमत्कारिता और बुद्धि दिखाने के लिये।

जिन बहुत से तरीकों से परमेश्वर बोलता है,

इंसान परमेश्वर की सर्वोच्चता, विशालता को देखता है,

इंसान परमेश्वर की दीनता, छिपाव को देखता,

कि सबसे बड़ा परमेश्वर, सबसे छोटा बन सकता है।

इंसान को पूर्ण करने के लिये अंत के दिनों में परमेश्वर,

संकेतों, चमत्कारों का नहीं, वचनों का प्रयोग करता है।

वचन उजागर करते हैं, न्याय करते हैं, ताड़ना देते हैं,

और हर तरह से इंसान को पूर्ण करते हैं।

परमेश्वर के वचनों में देखता है इंसान,

सुंदरता और बुद्धि परमेश्वर की,

समझता है इंसान स्वभाव परमेश्वर का।

परमेश्वर के वचनों के ज़रिये इंसान, उसके कर्मों को देखता है।


2

अलग-अलग नज़रियों से बोले जाते हैं परमेश्वर के वचन,

जैसे आत्मा, इंसान और अन्य पुरुष।

परमेश्वर के वचनों के ज़रिये देखता है इंसान,

अलग-अलग तरीकों से काम करता है परमेश्वर।

इंसान की ज़िंदगी के लिये वचन मुहैया कराना है इस युग का मुख्य काम।

काम है इसका उजागर करना इंसान की प्रकृति को, भ्रष्टता को,

मिटाना इंसान के ज्ञान को, संस्कृति को,

पुरानी सामंती सोच को, धार्मिक धारणाओं को।

ये सब उजागर और साफ़ होने चाहिये परमेश्वर के वचनों के ज़रिये।

इंसान को पूर्ण करने के लिये अंत के दिनों में परमेश्वर,

संकेतों, चमत्कारों का नहीं, वचनों का प्रयोग करता है।

वचन उजागर करते हैं, न्याय करते हैं, ताड़ना देते हैं,

और हर तरह से इंसान को पूर्ण करते हैं।

परमेश्वर के वचनों में देखता है इंसान,

सुंदरता और बुद्धि परमेश्वर की,

समझता है इंसान स्वभाव परमेश्वर का।

परमेश्वर के वचनों के ज़रिये इंसान, उसके कर्मों को देखता है।


3

मूल इरादा है अंत के दिनों में परमेश्वर का

अपने काम के एक चरण को पूरा करना,

वचन देह में प्रकट होता है जिसमें।

और एक भाग है ये परमेश्वर के प्रबंधन का।

अंत के दिनों में परमेश्वर अपने

वचनों से इंसान का न्याय करता है, उसे पूर्ण करता है।

अंत के दिनों में परमेश्वर अपने

वचनों से इंसान का न्याय करता है, उसे पूर्ण करता है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना से रूपांतरित

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