136  सच्ची प्रार्थना

1

सच्ची दुआ अपने दिल की बातों को परमेश्वर के सामने कहना है,

यह परमेश्वर की मर्ज़ी और उसके वचन पर आधारित है।

सच्ची दुआ परमेश्वर को अपने करीब महसूस करना है,

जैसे वो ख़ुद तेरे सामने हो।

सच्ची प्रार्थना का मतलब तुझे परमेश्वर से बहुत कुछ कहना है,

तेरा दिल सूरज के समान उज्ज्वल है,

तू परमेश्वर की सुंदरता से प्रेरित होता है, जो सुनते हैं वो संतुष्ट होते हैं।

सच्ची प्रार्थना शांति और आनंद दोनों लाएगी,

इससे परमेश्वर से प्रेम करने की सामर्थ बढ़ती है,

परमेश्वर से प्रेम करने की कीमत महसूस होती है;

और यह सब सिद्ध करेगा कि तुम्हारी प्रार्थना सच्ची है।


2

सच्ची दुआ औपचारिकता नहीं है,

प्रक्रिया नहीं है और न ही वचन को महज़ पढ़ना है।

सच्ची दुआ का मतलब दूसरों का अनुसरण करना नहीं है।

अपने दिल की कहो और परमेश्वर के द्वारा स्पर्श किये जाओ।

अपनी प्रार्थना को प्रभावी करने के लिए,

तुम्हें परमेश्वर का वचन पढ़ना ही चाहिये।

और केवल परमेश्वर के वचन के मध्य

प्रार्थना करने से ही रोशनी देखी जायेगी।


3

सच्ची प्रार्थना उस दिल से प्रदर्शित होती है

जिसमें तड़प हो ईश्वर की इच्छा जानने की,

और उसे पूरा करने

की और जो नफरत करे उन सबसे जिसे परमेश्वर पसंद ना करे।

इस के आधार पर तेरे पास ज्ञान होगा,

वह सभी सच जो ईश्वर कहता है वह तुझे स्पष्ट होगा।

प्रार्थना के बाद पाना मजबूत विश्वास और अभ्यास का एक तरीका।

बस यही है सच्ची प्रार्थना हाँ, बस यही है सच्ची प्रार्थना।

बस यही है सच्ची प्रार्थना। हाँ, बस यही है सच्ची प्रार्थना।

सच्ची प्रार्थना शांति और आनंद दोनों लाएगी,

इससे परमेश्वर से प्रेम करने की सामर्थ बढ़ती है,

परमेश्वर से प्रेम करने की कीमत महसूस होती है;

और यह सब सिद्ध करेगा कि तुम्हारी प्रार्थना सच्ची है।

तुम्हारी प्रार्थना सच्ची है। तुम्हारी प्रार्थना सच्ची है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रार्थना के अभ्यास के बारे में से रूपांतरित

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