155  परमेश्वर उन्हें पूर्ण बनाता है जो उसे सच में प्रेम करते हैं

1

ईश्वर पाना चाहे लोगों के एक ख़ास समूह को,

जो उसके साथ काम करने का प्रयास करते,

उसके काम का पालन और वचनों में विश्वास करते,

उसकी अपेक्षाओं पर अमल करते।

उनके दिलों में सच्ची समझ होती है।

वे पूर्णता के पथ पर चलने में समर्थ हैं।

ये तो होकर ही रहेगा,

क्योंकि वे लोग पूर्ण किए जा सकते हैं।


अगर तुम ईश-वचनों का पालन करते, उन्हें संजोते,

तो ईश्वर तुममें कार्य करेगा।

जितना संजोते उसके वचनों को,

उतना ही उसका आत्मा तुममें काम करे,

ईश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने का

उतना ही मौका हो तुम्हारे पास।

ईश्वर उन्हें पूर्ण करे जो उससे प्रेम करें,

जिनके दिल उसके सामने शांत हों।


2

पूर्ण न किए जा सकने वाले वे होते,

जो ईश-कार्य को स्पष्टता से नहीं जानते,

जो उसके वचन नहीं खाते-पीते,

उन पर ध्यान नहीं देते,

जिनके दिल में ईश्वर के लिए प्रेम नहीं है।

जो देहधारी ईश्वर पर शक करते, उसे धोखा देते,

उसके वचनों के प्रति लापरवाह होते, वे प्रतिरोधी हैं;

वे शैतान के हैं, पूर्ण नहीं किए जा सकते।


अगर तुम ईश-वचनों का पालन करते, उन्हें संजोते,

तो ईश्वर तुममें कार्य करेगा।

जितना संजोते उसके वचनों को,

उतना ही उसका आत्मा तुममें काम करे,

ईश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने का

उतना ही मौका हो तुम्हारे पास।

ईश्वर उन्हें पूर्ण करे जो उससे प्रेम करें,

जिनके दिल उसके सामने शांत हों।


3

पूरे ईश-कार्य और प्रबोधन को,

उसकी मौजूदगी, देखभाल और सुरक्षा को संजोना,

उसके वचन तुम्हारी वास्तविकता बनते, इसे संजोना,

वे तुम्हारे जीवन का पोषण करते, इसे संजोना—

ये सब ईश्वर के दिल के सबसे अनुरूप हैं।


विश्वासियों के लिए सबसे जरूरी है

ईश-कार्य और पूर्णता पाना,

और ईश-इच्छा पूरी करने वाला बनना।

तुम्हें इस लक्ष्य का अनुसरण करना चाहिए।


अगर तुम ईश-वचनों का पालन करते, उन्हें संजोते,

तो ईश्वर तुममें कार्य करेगा।

जितना संजोते उसके वचनों को,

उतना ही उसका आत्मा तुममें काम करे,

ईश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने का

उतना ही मौका हो तुम्हारे पास।

ईश्वर उन्हें पूर्ण करे जो उससे प्रेम करें,

जिनके दिल उसके सामने शांत हों।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर उन्हें पूर्ण बनाता है, जो उसके हृदय के अनुसार हैं से रूपांतरित

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