184  परमेश्वर के परीक्षण और शुद्धिकरण मानव की पूर्णता के लिए हैं

1

परमेश्वर में यदि यक़ीं है तुम्हें, आज्ञा माननी चाहिए,

कर्तव्य पूरा और सच का अभ्यास करना चाहिए।

तुम्हें पता हो किन चीज़ों का अनुभव होना चाहिए।

यदि करते हो अनुभव, अनुशासन और न्याय का, ओ, ओ,

लेकिन ईश्वर करता है कब व्यवहार नहीं कह सकते

या अनुशासित कर रहा है, तो अस्वीकार्य है।

काफ़ी नहीं एक बार शुद्धिकरण में डटे रहना,

तुम्हें आगे बढ़ना चाहिए, बढ़ना चाहिए।

सुनो, बेअंत है ईश्वर के लिए प्रेम, वो, वो।

सुनो, इसकी कोई सीमा नहीं।

ईश्वर का कार्य जितना मनुष्य में अद्भुत होता है,

उतना ही मूल्यवान और सार्थक होता है।

यह तुम्हारे लिए जितना ज़्यादा अगम्य है

जितना ज़्यादा असंगत है तुम्हारी धारणाओं से,

कार्य ईश्वर का विजय पाता तुमपर उतना ही,

प्राप्त करता है, तुम्हें बनाता है परिपूर्ण।


2

जब ईश्वर शुद्ध करता है, मानव को कष्ट होता है,

ईश्वर के लिए प्रेम बढ़ता है, उसकी शक्ति दिखती है मानव में।

जब मानव का शुद्धिकरण कम होता है,

प्रेम उसका कम, उसमें परमेश्वर की शक्ति होगी कम, ओ, ओ।

लेकिन दर्द, यातना, शुद्धिकरण जितना ज़्यादा हो

वह उतना गहरा प्रेम करेगा परमेश्वर से,

ईश्वर में उसकी आस्था उतनी ही सच्ची होगी,

वह परमेश्वर को उतनी गहराई से जानेगा।

सुनो, बेअंत है ईश्वर के लिए प्रेम, वो, वो।

सुनो, इसकी कोई सीमा नहीं।

ईश्वर का कार्य जितना मनुष्य में अद्भुत होता है,

उतना ही मूल्यवान और सार्थक होता है।

यह तुम्हारे लिए जितना ज़्यादा अगम्य है

जितना ज़्यादा असंगत है तुम्हारी धारणाओं से,

कार्य ईश्वर का विजय पाता तुमपर उतना ही,

प्राप्त करता है, तुम्हें बनाता है परिपूर्ण।


3

सहते हैं जो अधिक शुद्धिकरण और अनुशासन,

बेहद प्रेम करें वे परमेश्वर से, जानें उसे गहराई से।

अनुशासित नहीं किये गए हैं जो कभी

उनके पास होगा सिर्फ़ सतही ज्ञान।

अनुशासन और व्यवहार के बाद,

लोग बोल सकते हैं सच्चा ज्ञान परमेश्वर का।

ईश्वर का कार्य जितना मनुष्य में अद्भुत है,

उतना ही मूल्यवान और सार्थक होता है।

यह तुम्हारे लिए जितना ज़्यादा अगम्य है

जितना ज़्यादा असंगत है तुम्हारी धारणाओं से,

कार्य ईश्वर का विजय पाता तुमपर उतना ही,

प्राप्त करता है, तुम्हें बनाता है परिपूर्ण।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा से रूपांतरित

पिछला:  183  आस्था केवल शोधन से ही आती है

अगला:  185  इंसान को पूर्ण बनाने के लिए न्याय परमेश्वर का मुख्य तरीका है

संबंधित सामग्री

775  जब तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते तो तुम पौलुस के रास्ते पर चलते हो

1 इन दिनों, अधिकांश लोग इस तरह की स्थिति में हैं : "आशीष प्राप्त करने के लिए मुझे परमेश्वर के लिए खुद को खपाना होगा और परमेश्वर के लिए कीमत...

902  परमेश्वर अंततः उसी को स्वीकार करते हैं, जिसके पास सत्य होता है

1 अंत के दिनों में जन्म लेने वाले लोग किस प्रकार के थे? ये वो लोग हैं जो हजारों सालों से शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए थे, वे इतनी गहराई तक...

396  उद्धार-कार्य के अधिक उपयुक्त है देहधारी परमेश्वर

1 अन्त के दिनों में, परमेश्वर देहधारी रूप में प्रकट होकर अपना न्याय का कार्य करता है। क्योंकि जिसका न्याय किया जाता है वह मनुष्य है, मनुष्य...

610  मानवता में परमेश्वर के कार्य का तरीक़ा और सिद्धांत

1जब परमेश्वर देहधारी न था, तो उसके वचन इंसान समझ न पाता था,क्योंकि उसकी दिव्यता से आये थे वचन।न समझ पाता था वो उनका प्रसंग या दृष्टिकोण।वे...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

Connect with us on Messenger