222 बहुत प्यारी है परमेश्वर की विनम्रता
1 परमेश्वर ने स्वयं को इस स्तर तक विनम्र किया है कि वह अपना कार्य इन अशुद्ध और भ्रष्ट लोगों में करता है, और लोगों के इस समूह को पूर्ण बनाता है। परमेश्वर न केवल लोगों के बीच रहने और खाने-पीने, लोगों की चरवाही करने और जो उनकी जरूरतें हैं, उन्हें प्रदान करने के लिए देहधारी हुआ है। बल्कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वह उद्धार और विजय का अपना प्रबल कार्य इन असहनीय रूप से भ्रष्ट लोगों पर करता है। वह इन सबसे अधिक भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए बड़े लाल अजगर के केंद्र में आया, जिससे सभी लोग परिवर्तित हो सकें और नए बनाए जा सकें।
2 वह अत्यधिक कष्ट, जो परमेश्वर सहन करता है, मात्र वह कष्ट नहीं है जो देहधारी परमेश्वर सहन करता है, अपितु सबसे बढ़कर वह परम निरादर है, जो परमेश्वर का आत्मा सहन करता है—वह स्वयं को इतना अधिक विनम्र बनाता है और इतना अधिक छिपाए रखता है कि वह एक साधारण व्यक्ति बन जाता है। परमेश्वर ने देहधारण किया और देह का रूप लिया, ताकि लोग देखें कि उसका जीवन सामान्य मानवता का जीवन है और उसकी जरूरतें भी सामान्य मानवता की जरूरतें हैं। यह इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि परमेश्वर ने स्वयं को बेहद विनम्र बनाया है। परमेश्वर का आत्मा देह में साकार होता है। उसका आत्मा इतना सर्वोच्च और महान है, लेकिन फिर भी वह अपने आत्मा का कार्य करने के लिए एक साधारण मानव, एक मामूली मानव का रूप धारण करता है।
3 तुममें से हरेक व्यक्ति की काबिलियत, अंतर्दृष्टि, विवेक, मानवता और जीवन के लिहाज से तुम सब वास्तव में परमेश्वर के इस प्रकार के कार्य को स्वीकार करने के अयोग्य हो और तुम लोग वास्तव में इस योग्य नहीं हो कि परमेश्वर तुम्हारे लिए यह कष्ट उठाए। परमेश्वर इतना ऊँचा है। वह इस हद तक सर्वोच्च है और लोग इस स्तर तक नीच हैं, फिर भी वह उन पर कार्य करता है। उसने लोगों का भरण-पोषण करने, उनसे बात करने के लिए न केवल देहधारण किया, वह उनके साथ रहता भी है। परमेश्वर इतना विनम्र, इतना प्यारा है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल उन्हें ही पूर्ण बनाया जा सकता है जो अभ्यास पर ध्यान देते हैं