264 परमेश्वर 6000 वर्षीय प्रबंधन योजना का संप्रभु है
1 परमेश्वर आदि और अंत है; स्वयं वही है, जो अपने कार्य को आरंभ करता है और इसीलिए स्वयं उसी को पिछले युग का समापन करने वाला भी होना चाहिए। यही उसके द्वारा शैतान को पराजित करने और संसार पर विजय प्राप्त करने का प्रमाण है। हर बार जब स्वयं वह मनुष्य के बीच कार्य करता है, तो यह एक नए युद्ध की शुरुआत होती है। नए कार्य की शुरुआत के बिना पुराने कार्य का समापन नहीं हो सकता। और जब पुराने का समापन नहीं होता तो यह इस बात का प्रमाण है कि शैतान के साथ युद्ध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। केवल जब स्वयं परमेश्वर आकर मनुष्यों के बीच नया कार्य करता है, तभी मनुष्य शैतान की शक्ति से पूरी तरह मुक्त हो सकता है और एक नया जीवन तथा एक नई शुरुआत प्राप्त कर सकता है। अन्यथा, मनुष्य सदैव पुराने युग में जीएगा और हमेशा शैतान के पुराने प्रभाव के अधीन रहेगा।
2 परमेश्वर का कार्य स्वयं परमेश्वर ही करता है। वही है, जो अपने कार्य को आरंभ करता है और वही है, जो अपने कार्य का समापन करता है। वही है, जो कार्य की योजना बनाता है, और वही है, जो उसका प्रबंधन करता है, और इससे भी बढ़कर, वही है, जो अपने कार्य को उसकी पूर्णता तक पहुँचाता है। जैसा कि बाइबल में कहा गया है, "मैं ही आदि और अंत हूँ; मैं ही बोनेवाला और काटनेवाला हूँ।" परमेश्वर के प्रबंधन से संबंधित सारा कार्य स्वयं परमेश्वर ही करता है। वह छह-हजार-वर्षीय प्रबंधन योजना का संप्रभु है; कोई भी उसके स्थान पर उसका काम नहीं कर सकता और कोई भी उसके कार्य का समापन नहीं कर सकता, क्योंकि वही है, जो सब-कुछ अपने हाथों में रखता है। संसार का सृजन कर, वह संपूर्ण संसार की अगुआई करेगा ताकि वह उसके प्रकाश में जिए और वही निश्चित रूप से सम्पूर्ण युग का अंत भी करेगा और इस प्रकार अपनी संपूर्ण योजना को परिपूर्ण कर देगा!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1)