276 परमेश्वर के देहधारण का अधिकार
1 यद्यपि देहधारी परमेश्वर की देह एक साधारण और सामान्य मनुष्य का बाहरी रूप है, किंतु उसके वचन से प्राप्त परिणाम मनुष्य को दिखाते हैं कि वह अधिकार से परिपूर्ण है, कि वह स्वयं परमेश्वर है और उसके वचन स्वयं परमेश्वर की अभिव्यक्ति हैं। इसके माध्यम से सभी मनुष्यों को दिखाया जाता है कि वह स्वयं परमेश्वर है, कि वह देह बना स्वयं परमेश्वर है, कि किसी के भी द्वारा उसे नाराज़ नहीं किया जाना चाहिए, और कि कोई भी उसके वचन के द्वारा किए गए न्याय के परे नहीं हो सकता और अंधकार की कोई भी शक्ति उसके अधिकार पर हावी नहीं हो सकती। मनुष्य उसके देह बना वचन होने के कारण, उसके अधिकार के कारण और वचन द्वारा उसके न्याय के कारण उसके प्रति पूर्णतः समर्पण करता है। उसकी देहधारी देह का लाया हुआ कार्य ही उसका अधिकार है।
2 उसके देह धारण करने का कारण यह है कि देह के पास भी अधिकार हो सकता है, और वह एक व्यावहारिक तरीके से मनुष्यों के बीच इस प्रकार कार्य करने में सक्षम है, जो मनुष्यों के लिए दृष्टिगोचर और मूर्त है। यह कार्य परमेश्वर के आत्मा द्वारा सीधे तौर पर किए जाने वाले कार्य से कहीं अधिक व्यावहारिक है, जिसमें समस्त अधिकार है, और इसके परिणाम भी स्पष्ट हैं। इसकी वजह यह है कि देहधारी परमेश्वर की देह व्यावहारिक तरीके से बोल और कार्य कर सकती है। उसकी देह का बाहरी रूप कोई अधिकार नहीं रखता, और मनुष्य के द्वारा उस तक पहुँचा जा सकता है, जबकि उसका सार अधिकार वहन करता है, किंतु उसका अधिकार किसी के लिए भी दृष्टिगोचर नहीं है। जब वह बोलता और कार्य करता है, तो मनुष्य उसके अधिकार के अस्तित्व का पता लगाने में असमर्थ होता है; इससे उसे एक व्यावहारिक कार्य करने में आसानी होती है।
3 यह समस्त व्यावहारिक कार्य परिणाम प्राप्त कर सकता है। किसी इंसान को यह एहसास नहीं है कि देहधारी परमेश्वर अधिकार रखता है, न इंसान यह समझता है कि देहधारी परमेश्वर को नाराज नहीं किया जा सकता, न वह परमेश्वर का कोप देखता है, फिर भी देहधारी परमेश्वर अपने छिपे हुए अधिकार, अपने छिपे हुए कोप और उन वचनों के माध्यम से, जिन्हें वह खुलकर बोलता है, अपने वचनों के अभीष्ट परिणाम प्राप्त कर लेता है। दूसरे शब्दों में, उसकी आवाज़ के लहजे, उसकी वाणी की कठोरता और उसके वचनों की समस्त बुद्धि के माध्यम से मनुष्य पूरी तरह से आश्वस्त हो जाता है। इस तरीके से, जिस देहधारी परमेश्वर के पास देखने में कोई अधिकार नहीं लगता, उसके वचनों के प्रति मनुष्य समर्पण कर देता है, जिससे मनुष्य को बचाने का परमेश्वर का लक्ष्य पूरा होता है। यह उसके देहधारण के महत्व का एक और पहलू है : अधिक व्यावहारिक ढंग से बोलना और अपने वचनों की वास्तविकता को मनुष्य पर प्रभाव डालने देना, ताकि मनुष्य परमेश्वर के वचन का सामर्थ्य देख सके।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4)