444  मनुष्य के पुत्र का आना सभी लोगों को उजागर करता है

1 मसीह के संपर्क में आने से पहले, तुम लोगों को शायद यह विश्वास हो कि तुम्हारा स्वभाव पूरी तरह से बदल चुका है, और तुम मसीह के निष्ठावान अनुयायी हो, और यह भी विश्वास हो कि तुम मसीह के आशीष पाने के सबसे ज़्यादा योग्य हो। क्योंकि तुम कई मार्गों की यात्रा कर चुके हो, बहुत सारा काम करके बहुत-सा फल प्राप्त कर चुके हो, इसलिए अंत में तुम्हें ही मुकुट मिलेगा। फिर भी, एक सच्चाई ऐसी है जिसे शायद तुम नहीं जानते: जब मनुष्य मसीह को देखता है तो मनुष्य का भ्रष्ट स्वभाव, उसका विद्रोह और प्रतिरोध उजागर हो जाता है। किसी अन्य अवसर की तुलना में इस अवसर पर उसका विद्रोही स्वभाव और प्रतिरोध कहीं ज्यादा पूर्ण और निश्चित रूप से उजागर होता है।

2 मसीह मनुष्य का पुत्र है—मनुष्य का ऐसा पुत्र जिसमें सामान्य मानवता है—इसलिए मनुष्य न तो उसका सम्मान करता है और न ही उसका आदर करता है। चूँकि परमेश्वर देह में रहता है, इसलिए मनुष्य का विद्रोह पूरी तरह से और स्पष्ट विवरण के साथ प्रकाश में आ जाता है। अतः मैं कहता हूँ कि मसीह के आगमन ने मानवजाति के सारे विद्रोह को खोद निकाला है और मानवजाति के स्वभाव को बहुत ही स्पष्ट रूप से प्रकाश में ला दिया है। इसे कहते हैं "लालच देकर एक बाघ को पहाड़ के नीचे ले आना" और "लालच देकर एक भेड़िए को उसकी गुफा से बाहर ले आना।" क्या तुम लोग कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति निष्ठावान हो? क्या तुम लोग कह सकते हो कि तुम परमेश्वर के प्रति संपूर्ण आज्ञाकारिता दिखाते हो? क्या तुम लोग कह सकते हो कि तुम विद्रोही नहीं हो?

3 जब तुम सचमुच में मसीह के साथ रहोगे, तो तुम्हारा दंभ और अहंकार धीरे-धीरे तुम्हारे शब्दों और कार्यों के द्वारा प्रकट होने लगेगा, और इसी प्रकार तुम्हारी अत्यधिक इच्छाएँ, अवज्ञाकारी मानसिकता और असंतुष्टि स्वतः ही उजागर हो जाएँगी। आखिरकार, तुम्हारा अहंकार बहुत ज़्यादा बड़ा हो जाएगा, जब तक कि तुम मसीह के साथ वैसे ही बेमेल नहीं हो जाते जैसे पानी और आग, और तब तुम लोगों का स्वभाव पूरी तरह से उजागर हो जायेगा। फिर भी, तुम अपने विद्रोहीपन को स्वीकार करने से लगातार इनकार करते रहते हो। बल्कि तुम यह विश्वास करते रहते हो कि ऐसे मसीह को स्वीकार करना मनुष्य के लिए आसान नहीं है, वह मनुष्य के प्रति बहुत अधिक कठोर है, अगर वह कोई अधिक दयालु मसीह होता तो तुम पूरी तरह से उसे समर्पित हो जाते।

4 तुम लोग यह विश्वास करते हो कि तुम्हारे विद्रोह का एक जायज़ कारण है, तुम केवल तभी मसीह के विरूद्ध विद्रोह करते हो जब वह तुम लोगों को हद से ज़्यादा मजबूर कर देता है। तुमने कभी यह एहसास नहीं किया कि तुम मसीह को परमेश्वर नहीं मानते, न ही तुम्हारा इरादा उसकी आज्ञा का पालन करने का है। बल्कि, तुम ढिठाई से यह आग्रह करते हो कि मसीह तुम्हारे मन के अनुसार काम करे, और यदि वह एक भी कार्य ऐसा करे जो तुम्हारे मन के अनुकूल नहीं हो तो तुम लोग मान लेते हो कि वह परमेश्वर नहीं, मनुष्य है। क्या तुम लोगों में से बहुत से लोग ऐसे ही नहीं हैं जिन्होंने उसके साथ इस तरह से विवाद किया है? आख़िरकार तुम लोग किसमें विश्वास करते हो? और तुम लोग उसे किस तरह से खोजते हो?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो मसीह के साथ असंगत हैं वे निश्चित ही परमेश्वर के विरोधी हैं से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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