508  परमेश्वर के बारे में संदेह करने वाले सबसे अधिक कपटी होते हैं

1

ईश्वर ख़ुश होता उनसे जो दूसरों पर शक न करें,

और जो तुरंत सत्य को स्वीकार करें।

वो उनकी देखभाल करे; ईमानदार हैं वो उसकी नज़रों में।

धोखेबाज़ हो अगर तुम, तो सभी पर शक करोगे, उनसे सजग रहोगे।

तब आस्था तुम्हारी शक पर ही टिकी होगी।

ऐसी आस्था को ईश्वर न स्वीकारेगा कभी।

सच्ची आस्था नहीं तो, सच्चे प्रेम से ख़ाली हो तुम।


शक है अगर तुम्हें, और अनुमान लगाते हो ईश्वर के बारे में

तो यकीनन धोखेबाज़ हो तुम।


2

अनुमान लगाते हो, क्या ईश्वर हो सके मानव-सा,

पापी और छोटी सोच का,

जिसमें न विवेक हो, न न्याय हो, जो निष्पक्ष न हो,

जो शातिर और दुष्ट हो, जो बुराई और अंधेरे से ख़ुश हो।

ऐसा मानने वाले लोग ईश्वर से अनजान हैं।

ऐसी आस्था पाप से भरी है!


शक है अगर तुम्हें, और अनुमान लगाते हो ईश्वर के बारे में

तो यकीनन धोखेबाज़ हो तुम।


3

कुछ सोचते, ख़ुश होता ईश्वर चापलूसी से,

और जिनमें न हो हुनर वो, पसंद न किए जाएँगे ईश्वर के घर में।

क्या यही ज्ञान है जो पाया तुमने इतने बरसों में?

ग़लतफ़हमी से ज़्यादा, ईश्वर और स्वर्ग की निंदा है ये।

तभी कहे ईश्वर आस्था तुम्हारी अभी और भटकाएगी तुम्हें,

और ज़्यादा ईश-विरोधी बनाएगी तुम्हें।

ईश-कार्य के ज़रिए अनेक सत्य देखे तुमने।

जानते हो क्या सुना है ईश्वर ने?

कितने लोग तैयार हैं सत्य स्वीकारने को?


शक है अगर तुम्हें, और अनुमान लगाते हो ईश्वर के बारे में

तो यकीनन धोखेबाज़ हो तुम।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें से रूपांतरित

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