532  परमेश्वर उनकी तलाश कर रहा है जो उसके प्रकटन के प्यासे हैं

1

आज नूह जैसे धर्मी मनुष्य,

जो परमेश्वर की आराधना कर सके और बुराई से दूर रह सके,

होने बंद हो गए हैं।

फिर भी परमेश्वर इस मानवजाति के प्रति अनुग्रही है,

और इस अंतिम युग में अभी भी उन्हें दोषमुक्त करता है।

परमेश्वर उनकी खोज कर रहा है, जो उसके प्रकट होने की लालसा करते हैं।

वह उनकी खोज करता है, जो उसके वचनों को सुनने में सक्षम हैं,

जो उसके आदेश को नहीं भूले और अपना तन-मन उसे समर्पित करते हैं।

वह उनकी खोज करता है, जो उसके सामने शिशुओं के समान समर्पित हैं

और उसका विरोध नहीं करते।

यदि तुम किसी भी ताकत या बल से बाधित हुए बिना खुद को

परमेश्वर के प्रति समर्पित करते हो,

तो परमेश्वर तुम्हारे ऊपर अनुग्रह की दृष्टि डालेगा

और तुम्हें अपने आशीष प्रदान करेगा,

और तुम्हें अपने आशीष प्रदान करेगा।


2

यदि तुम उच्च पद वाले, सम्मानजनक प्रतिष्ठा वाले,

प्रचुर ज्ञान से संपन्न,

विपुल संपत्तियों के मालिक हो, और तुम्हें बहुत लोगों का समर्थन प्राप्त है,

तो भी ये चीज़ें तुम्हें परमेश्वर के आह्वान और आदेश को स्वीकार करने,

और जो कुछ परमेश्वर तुमसे कहता है, उसे करने के लिए उसके सम्मुख आने से नहीं रोकतीं,

तो फिर तुम जो कुछ भी करोगे,

वह पृथ्वी पर सर्वाधिक सार्थक होगा और मनुष्य का सर्वाधिक न्यायसंगत उपक्रम होगा।

यदि तुम अपनी हैसियत और लक्ष्यों की खातिर परमेश्वर के आह्वान को अस्वीकार करोगे,

तो जो कुछ भी तुम करोगे,

वह परमेश्वर द्वारा श्रापित और यहाँ तक कि तिरस्कृत भी किया जाएगा।


3

शायद तुम कोई अध्यक्ष, कोई वैज्ञानिक, कोई पादरी या कोई एल्डर हो,

किंतु इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा पद कितना उच्च है,

यदि तुम अपने उपक्रमों में अपने ज्ञान और योग्यता के भरोसे रहते हो,

तो तुम हमेशा असफल रहोगे,

और हमेशा परमेश्वर के आशीषों से वंचित रहोगे,

क्योंकि परमेश्वर ऐसा कुछ भी स्वीकार नहीं करता जो तुम करते हो,

और वह नहीं मानता कि तुम्हारे उपक्रम न्यायसंगत हैं,

या यह स्वीकार नहीं करता कि तुम मानवजाति के भले के लिए कार्य कर रहे हो।

वह कहेगा कि जो कुछ भी तुम करते हो,

वह मानवजाति के ज्ञान और ताकत का

इस्तेमाल कर इंसान से परमेश्वर की

सुरक्षा छीनने और उसके आशीषों को नकारने के लिए किया जाता है।

वह कहेगा कि तुम मानवजाति को अंधकार की ओर, मृत्यु की ओर,

और एक ऐसे अंतहीन अस्तित्व के आरंभ की ओर ले जा रहे हो,

जिसमें मनुष्य ने परमेश्वर और उसके आशीष खो दिए हैं।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है

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