695  परमेश्वर है सभी चीज़ों का शासक

1

जब मानव परमेश्वर द्वारा हर चीज़ को दिये जीवन को स्वीकारता है,

वो उनका आनंद लेता है।

परमेश्वर की रचना के अंजाम का आनंद लेता है मानव,

जबकि परमेश्वर मालिक है।

परमेश्वर साफ़ देख सकता है हर चीज़ के विकास के स्वरूप को,

और करता है उस पर शासन और नियंत्रण।

परमेश्वर हर चीज़ का शासक है। परमेश्वर हर चीज़ का शासक है।

परमेश्वर हर चीज़ का उद्गम है। परमेश्वर हर चीज़ का शासक है।

परमेश्वर हर चीज़ का प्रदायक है।

परमेश्वर हर चीज़ का प्रदायक है, जबकि मानव हर चीज़ का आनंद लेता है।

यही है सबसे बड़ा फ़र्क मानव और परमेश्वर के बीच।


2

हर चीज़ है परमेश्वर की नज़रों में और उसके मुआयने के दायरे में।

जो भी है मानव की नज़रों के सामने, केवल वही मानव देख सकता है।

जो मानव देखता है वो सीमित है, वो नहीं देख सकता है सब कुछ,

वो नहीं देख सकता है दूर के और गहरे मक़ामों को।

मानव हर चीज़ का प्रबंधन या उन पर शासन नहीं कर सकता,

हालांकि वो समझता है ऋतुओं के स्वरूप को, चीज़ों के विकास को।

मगर परमेश्वर है देखता हर चीज़ को अपने बनाए हुए यंत्रों की तरह,

हर एक हिस्से और उसके स्वरूप को वो साफ़ जानता है।


परमेश्वर है परमेश्वर और मानव है मानव।

भले ही करे मानव विज्ञान और चीज़ों के नियमों का अध्ययन,

पर सीमित है मानव की खोज।

मगर असीम है वो सब परमेश्वर करता है जिनका नियन्त्रण।

परमेश्वर है परमेश्वर और मानव है मानव।

कोई छोटा-सा कार्य जिसे परमेश्वर ने किया है,

मानव उसे ज़िन्दगी भर ढूंढ सकता है पर उसे कभी भी न समझ पाएगा।

परमेश्वर हर चीज़ का शासक है। परमेश्वर हर चीज़ का शासक है।

परमेश्वर हर चीज़ का उद्गम है। परमेश्वर हर चीज़ का शासक है।

परमेश्वर हर चीज़ का प्रदायक है।

परमेश्वर हर चीज़ का प्रदायक है, जबकि मानव हर चीज़ का आनंद लेता है।

यही है सबसे बड़ा फ़र्क मानव और परमेश्वर के बीच।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VIII से रूपांतरित

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