784  तुम्हें अपनी वर्तमान पीड़ा का अर्थ समझना होगा

1 इन दिनों, अधिकांश लोग जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उन्होंने सही रास्ते पर प्रवेश नहीं किया है और उन्होंने अभी भी सत्य को नहीं समझा है, इसलिए उन्हें अभी भी अन्दर से खालीपन महसूस होता है, और वे जीवन में कष्ट महसूस करते हैं, उनमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने की क्षमता नहीं होती। अपने हृदय में दर्शन से पूर्व उनकी यही स्थिति होती है। ऐसे लोगों ने सत्य प्राप्त नहीं किया होता है और उन्होंने अभी तक परमेश्वर को नहीं जाना है, इसलिए उन्हें अभी तक आंतरिक आनंद की अनुभूति नहीं होती। तुम सबने, विशेष रूप से, उत्पीड़न सहा है और घर लौटने में कठिनाई का सामना किया है; तुम कष्ट उठाते हो, और तुममें मृत्यु के विचार और जीने की अनिच्छा भी है। ये देह की कमजोरियाँ हैं। कुछ लोग यह भी सोचते हैं: परमेश्वर में विश्वास रखना आनंददायक होना चाहिए, फिर भी परमेश्वर में विश्वास रखना चिढ़ पैदा करने वाला हो गया है।

2 तुम केवल यह जानते हो कि देह का सुख ही सब कुछ है। तुम नहीं जानते कि आज परमेश्वर क्या कर रहा है। परमेश्वर को तुम सब की देह को कष्ट उठाने की अनुमति देनी पड़ती है ताकि तुम्हारे स्वभाव को बदल सके। भले ही तुम्हारी देह कष्ट उठाती है, पर तुम्हारे पास परमेश्वर का वचन है और तुम्हारे पास परमेश्वर का आशीर्वाद है। अगर तुम चाहो तो भी तुम मर नहीं सकते। क्या तुम यह स्वीकार कर सकते हो कि तुम परमेश्वर को नहीं जानोगे और सत्य को नहीं पाओगे? अब, मुख्य रूप से, बस इतना है कि लोगों ने अब तक सत्य नहीं पाया है, और उनके पास जीवन नहीं है। अब लोग उद्धार पाने की प्रक्रिया के बीच में हैं, इसलिए उन्हें इस अवधि के दौरान कुछ कष्ट उठाना होगा।

3 आज दुनिया भर में हर किसी की परीक्षा ली जाती है: परमेश्वर अब भी कष्ट उठा रहा है—क्या यह उचित है कि तुम सब कष्ट न उठाओ? भयानक आपदाओं के माध्यम से परिशोधन के बिना वास्तविक विश्वास उत्पन्न नहीं हो सकता, सत्य और जीवन प्राप्त नहीं किया जा सकता। किसी भी परीक्षण और परिशोधन से बात नहीं बनेगी। आखिरकार, अंत में, पतरस को सात सालों तक परीक्षण देने पड़े। उन सात सालों में वह सैकड़ों परीक्षणों से गुज़रा था, तब जाकर उसने जीवन प्राप्त किया और अपने स्वभाव में परिवर्तन का अनुभव किया। इस तरह, जब तुम वास्तव में सत्य प्राप्त कर लोगे और परमेश्वर को जान लोगे, तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हें परमेश्वर के लिए जीना चाहिए। यदि तुम परमेश्वर के लिए नहीं जीते, तो तुम्हें अफ़सोस होगा; तुम शेष जीवन भयंकर पछतावे और पश्चाताप में व्यतीत करोगे।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मनुष्य का स्वभाव कैसे जानें से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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