881  सिद्धांत के अनुसार काम करने से ही लोग अपना कर्तव्य ठीक से कर सकते हैं

1 भले ही तू किसी भी कर्तव्य को पूरा करे, तुझे हमेशा परमेश्वर की इच्छा को समझने की और यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि तेरे कर्तव्य को लेकर उसकी क्या अपेक्षा है; केवल तभी तू सैद्धान्तिक तरीके से मामलों को सँभाल पाएगा। अपने कर्तव्य को निभाने में, तू अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार बिल्कुल नहीं जा सकता है या तू जो चाहे मात्र वह नहीं कर सकता है, जिसे भी करने में तू खुश और सहज हो, वह नहीं कर सकता है, या ऐसा काम नहीं कर सकता जो तुझे अच्छे व्यक्ति के रूप में दिखाये। यदि तू परमेश्वर पर अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को बलपूर्वक लागू करता है या उन का अभ्यास ऐसे करता है मानो कि वे सत्य हों, उनका ऐसे पालन करता है मानो कि वे सत्य के सिद्धांत हों, तो यह कर्तव्य पूरा करना नहीं है, और इस तरह से तेरा कर्तव्य निभाना परमेश्वर के द्वारा याद नहीं रखा जाएगा। उन बातों को लेना गलत है जिन्हें तू सही, अच्छी और सुन्दर मानता है।

2 भले ही लोगों को कभी कोई बात सही लगे, लगे कि यह सत्य के अनुरूप है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यह आवश्यक रूप से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है। लोग जितना अधिक यह सोचते हैं कि कोई बात सही है, उन्हें उतना ही अधिक सावधान होना चाहिए और उतना ही अधिक सत्य को खोजना चाहिए और यह देखना चाहिए कि उनकी सोच परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुरूप है या नहीं। यदि यह उसकी अपेक्षाओं के विरुद्ध है, तो वह स्वीकार्य नहीं है भले ही तुम उसे सही मानते हो, और यह आवश्यक रूप से सत्य के अनुरूप नहीं होगा भले ही तुम्हें यह कितना भी सही लगे। सही और गलत का तुम्हारा निर्णय सिर्फ़ परमेश्वर के वचनों पर आधारित होना चाहिए, और तुम्हें कोई बात चाहे जितनी भी सही लगे, जबतक इसका आधार परमेश्वर के वचन न हों, तुम्हें इसे हटा देना चाहिए। कर्तव्य परमेश्वर द्वारा लोगों को सौंपा गया एक आदेश है और इसे परमेश्वर की अपेक्षाओं और मानकों के अनुसार पूरा किया जाना चाहिए और वह सत्य के सिद्धांतों के अनुसार तुम्हारे बर्ताव पर आधारित होना चाहिए, न कि व्यक्तिपरक मानवीय इच्छाओं के आधार पर। इस तरह तुम्हारा अपने कर्तव्य को करना मानकों के स्तर का होगा।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, सत्य के सिद्धांतों की खोज करके ही व्यक्ति अपना कर्तव्य अच्छी तरह से निभा सकता है से रूपांतरित

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