936 समस्त मानवजाति को परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए
1 परमेश्वर में सच्चा विश्वास केवल बचाए जाने के लिए उस पर विश्वास करने का मामला नहीं है, यह अच्छा इंसान बनने के लिए उस पर विश्वास करने का मामला भी नहीं है। यह भी केवल मानव के समान होने के लिए उस पर विश्वास रखने का मामला नहीं है। वास्तव में, परमेश्वर में विश्वास का दृष्टिकोण केवल यह मानना नहीं होना चाहिए कि एक परमेश्वर है और यह भी नहीं कि वह सत्य, मार्ग और जीवन है। यह भी केवल परमेश्वर को मान लेने से और यह विश्वास करने से भी संबंधित नहीं है कि वह सभी चीजों का संप्रभु है, कि वह सर्वशक्तिमान है, कि उसने दुनिया और इसकी सभी चीजों को बनाया है, कि वह अद्वितीय है, और वह सर्वोच्च है। यह केवल इन तथ्यों में विश्वास करने भर के बारे में नहीं है।
2 परमेश्वर का इरादा यह है कि तुम्हारा पूरा अस्तित्व और हृदय उसे सौंपा गया हो और उसके प्रति समर्पित हो। यानी तुम्हें परमेश्वर का अनुसरण करना चाहिए, उसके द्वारा उपयोग किया जाना चाहिए, और उसके लिए सेवा करने के लिए भी इच्छुक होना चाहिए—परमेश्वर के लिए कुछ भी करना तुम्हारे लिए उचित ही है। मामला ऐसा नहीं है कि केवल परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित और चुने गए लोगों को ही उस पर विश्वास करना चाहिए। तथ्य तो यह है कि समस्त मानवजाति को परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए, उसकी बात माननी और उसके प्रति समर्पण करना चाहिए, क्योंकि मानवजाति को परमेश्वर ने ही बनाया है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन