977  तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करनी चाहिए

अपने भाग्य की खातिर ईश्वर की स्वीकृति खोजो।

चूँकि तुम खुद को ईश्वर के घर का सदस्य मानते हो,

तो ईश्वर के मन को शांति दो,

सभी चीजों में उसे संतुष्ट करो।

अपने काम को सिद्धांत और

सत्य के अनुरूप बनाओ।


1

अगर तुम इसे हासिल नहीं कर सकते,

तो ईश्वर तुमसे नफरत करेगा, नकारेगा;

हर व्यक्ति तुम्हें ठुकराएगा।

इस दशा में पहुंच गए तो,

तुम ईश्वर के घर के सदस्य नहीं माने जाओगे,

ईश्वर की स्वीकृति के ना होने का यही अर्थ है।


अपने भाग्य की खातिर ईश्वर की स्वीकृति खोजो।

चूँकि तुम खुद को ईश्वर के घर का सदस्य मानते हो,

तो ईश्वर के मन को शांति दो,

सभी चीजों में उसे संतुष्ट करो।

अपने काम को सिद्धांत और

सत्य के अनुरूप बनाओ।


2

सभी ने ईश्वर का विरोध किया, उसे धोखा दिया है।

कुछ कुकर्म माफ किए जा सकते,

कुछ नहीं, क्योंकि वे

उसके आदेशों का उल्लंघन करते,

उसके स्वभाव का अपमान करते।

ईश्वर आग्रह करे कि तुम समझो

उसके आदेशों में क्या शामिल है,

और उसके स्वभाव को जानने की कोशिश करो।


वरना तुम्हारा चुप रहना कठिन होगा।

तुम कुछ भी बोलोगे।

अनजाने में ईश्वर के स्वभाव का अपमान करोगे,

अंधेरे में गिरोगे, रोशनी और

आत्मा की उपस्थिति खो दोगे।


3

तुम लोगों के कर्म सिद्धांत अनुसार नहीं,

वही कहते, करते हो जो न करना चाहिए,

इसलिए जो प्रतिफल मिलेगा उसी के लायक हो तुम।

तुम्हारे शब्दों और कर्मों में शायद सिद्धांत न हो,

जबकि इन दोनों में ही ईश्वर अत्यंत सिद्धांतवादी है।


तुम दंड पाते हो क्योंकि तुमने इंसान का नहीं,

ईश्वर का अपमान किया है।

अगर तुम ईश-स्वभाव के खिलाफ

बहुत-से अपराध करोगे,

तो नरक की संतान बनोगे।

इसलिए ईमानदार बनो,

अपने काम सिद्धांत अनुसार करो।


फिर तुम बन सकते हो ईश्वर के विश्वासपात्र।


अपने भाग्य की खातिर ईश्वर की स्वीकृति खोजो।

चूँकि तुम खुद को ईश्वर के घर का सदस्य मानते हो,

तो ईश्वर के मन को शांति दो,

सभी चीजों में उसे संतुष्ट करो।

अपने काम को सिद्धांत और

सत्य के अनुरूप बनाओ।


अगर तुम ईश-स्वभाव का अपमान नहीं करते,

उसकी इच्छा खोजते हो,

अपने दिल में ईश्वर के लिए श्रद्धा रखते हो,

तो तुम्हारी आस्था मानक-अनुरूप है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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