1001 अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए जीना ही सार्थक है
1 इस जीवन में हर व्यक्ति का एक उद्देश्य है, और कोई व्यक्ति यदि अपने उद्देश्य के लिए नहीं जीता, तो उसके लिए इस जीवन को जीने का कोई मूल्य नहीं है। यदि तुम्हारे जीवन जीने का कोई मूल्य नहीं है, तो तुम्हारा जीवन मूल्यहीन है। तुम एक चलती-फिरती लाश की तरह जीवन जिओगे; तुम जीने के लायक नहीं होगे। यदि तुम अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी नहीं करते और अपने उद्देश्य को पूरा नहीं करते, तो तुम परमेश्वर द्वारा दी गई सभी चीजों का आनंद लेने के लायक नहीं हो। यह क्या संकेत करता है? इसका मतलब है कि परमेश्वर किसी भी क्षण तुमसे सब कुछ छीन सकता है। परमेश्वर दे सकता है, और परमेश्वर ले भी सकता है—ऐसा ही है।
2 तुम लोगों का उद्देश्य परमेश्वर के कार्य में सहयोग करना, परमेश्वर के सुसमाचार और नए कार्य को फैलाने के साथ ही साथ सत्य को समझना और उद्धार प्राप्त करना है—यह सर्वाधिक आनंदमय चीज है। मानव इतिहास में इससे अधिक आनंदमय या इससे बड़ा सौभाग्य कुछ भी नहीं रहा है। इससे अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है; यह जीवन की सबसे बड़ी बात है, और यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी बात है। यदि तुम अपना उद्देश्य त्याग देते हो और अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों से विरत हो जाते हो, तो तुम्हारा जीवन मूल्यहीन हो जाएगा, और तुम्हारे लिए जीने का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
3 चूँकि परमेश्वर ने तुम्हें यह उद्देश्य दिया है, इसलिए तुम्हें सुसमाचार फैलाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए, दूसरों के लिए परमेश्वर की गवाही देनी चाहिए, वे सभी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी चाहिए जो किसी मनुष्य को निभानी चाहिए, जिस सत्य को तुम समझते हो, उसे और अपनी अनुभवजन्य गवाही को सभी के लाभ के लिए समर्पित करना चाहिए, और तब परमेश्वर संतुष्ट होगा। लोग वास्तव में बस यही चीजें करने में सक्षम हैं। तुम जब तक थोड़ा कष्ट सह सकते हो, कुछ कीमत चुका सकते हो, और आराम थोड़ा कम कर सकते हो, तब तक तुम इन चीजों को पाने योग्य रहोगे। इस तरह, तुम्हारा परिणाम गैर-विश्वासियों से अलग होगा, और परमेश्वर तुम्हें अलग तरीके से मापेगा—यह बहुत दुर्लभ है! परमेश्वर तुम्हें यह आशीष देता है, और यदि तुम इसे सँजोना नहीं जानते, तो तुम घोर विद्रोही हो।
4 चूँकि तुमने परमेश्वर में आस्था का यह मार्ग चुना है, इसलिए इसे लेकर दो विचार मत रखो बल्कि एकनिष्ठ होकर अपने हृदय को शांत करो और अपना कर्तव्य अच्छी तरह से निभाओ। ऐसा न हो कि पछतावा रह जाए। भले ही तुम अभी पतरस जैसा आध्यात्मिक कद न हासिल कर सको और अय्यूब जैसे धार्मिक कृत्य न कर सको, फिर भी अपने कर्तव्य को मानक स्तर पर निभाने का प्रयास करो। इसका अर्थ है सत्य सिद्धांतों और परमेश्वर के घर की व्यवस्थाओं के अनुसार अपना कर्तव्य निभाना, बिना किसी ढिलाई या सुस्ती के, बिना किसी छिपे हुए इरादे को आश्रय दिए या कुछ भी छिपाए बिना करना, बल्कि वह सब कुछ करना जो आप कर सकते हैं—तब तुम अपना कर्तव्य ऐसे ढंग से निभाओगे जो मानक स्तर पर हो।
—वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद सात : वे दुष्ट, धूर्त और कपटी हैं (भाग एक)