1051  परमेश्वर मनुष्य की सच्ची आज्ञाकारिता चाहता है

1 परमेश्वर लोगों को उनकी आज्ञाकारिता, परमेश्वर के वचनों को उनके खाने-पीने, उनका आनन्द उठाने और उनके जीवन में कष्ट एवं शुद्धिकरण के माध्यम से पूर्ण बनाता है। ऐसे विश्वास से ही लोगों का स्वभाव परिवर्तित हो सकता है और तभी उन्हें परमेश्वर का सच्चा ज्ञान हो सकता है। परमेश्वर के अनुग्रह के बीच रहकर सन्तुष्ट न होना, सत्य के लिए सक्रियता से लालायित होना और उसे खोजना और परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने का प्रयास करना—यही जागृत रहकर परमेश्वर की आज्ञा मानने का अर्थ है; और परमेश्वर ऐसा ही विश्वास चाहता है। जो लोग परमेश्वर के अनुग्रह का आनन्द उठाने के अलावा कुछ नहीं करते, वे पूर्ण नहीं बनाए जा सकते, या परिवर्तित नहीं किए जा सकते, और उनकी आज्ञाकारिता, धर्मनिष्ठता, प्रेम तथा धैर्य सभी सतही होते हैं। जो लोग केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनन्द लेते हैं, वे परमेश्वर को सच्चे अर्थ में नहीं जान सकते, यहाँ तक कि जब वे परमेश्वर को जान भी जाते हैं, तब भी उनका ज्ञान उथला ही होता है, और वे "परमेश्वर मनुष्य से प्रेम करता है", या "परमेश्वर मनुष्य के प्रति करुणामय है" जैसी बातें करते हैं। यह मनुष्य के जीवन का द्योतक नहीं है, न ही इससे यह सिद्ध होता है कि लोग सचमुच परमेश्वर को जानते हैं।

2 यदि, जब परमेश्वर के वचन उन्हें शुद्ध करते हैं, या जब उन्हें अचानक परमेश्वर की परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं, तब लोग परमेश्वर का आज्ञापालन नहीं कर पाते—बल्कि यदि वे संदिग्ध और ग़लत साबित हो जाते हैं—तब वे रत्ती भर भी आज्ञाकारी नहीं रहते हैं। परमेश्वर में विश्वास को लेकर उनके भीतर कई नियम और प्रतिबंध हैं, पुराने अनुभव हैं जो कई वर्षों के विश्वास का परिणाम हैं, या बाइबल पर आधारित विभिन्न सिद्धांत हैं। क्या इस प्रकार के लोग परमेश्वर का आज्ञापालन कर सकते हैं? ये लोग मानवीय चीज़ों से भरे हुए हैं—वे परमेश्वर का आज्ञापालन कैसे कर सकते हैं? उनकी "आज्ञाकारिता" व्यक्तिगत पसंद के अनुसार होती है—क्या परमेश्वर ऐसी आज्ञाकारिता चाहेगा? यह परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता नहीं है, बल्कि सिद्धांतों से चिपके रहना है; यह आत्मसंतोष और आत्म-तुष्टिकरण है। यदि तुम कहते हो कि यह परमेश्वर का आज्ञापालन है, तो क्या तुम ईशनिंदा नहीं कर रहे हो? तुम एक मिस्री फिरौन हो, तुम बुरे काम करते हो। तुम जान-बूझकर परमेश्वर का विरोध करने के काम में लिप्त होते हो—क्या परमेश्वर तुमसे इस तरह की सेवा चाहता है? तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही होगा कि जल्दी से जल्दी पश्चाताप करो और कुछ आत्म-जागरूकता पाने का प्रयत्न करो। तुम न तो हस्तक्षेप करो और न ही कोई विध्न डालो लेकिन अपने स्थान को जानो। इस तरह परमेश्वर का विरोध करने के लिए तुम्हें दण्डित नहीं किया जाएगा!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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