1109 परमेश्वर आशा करता है ज्यादा लोग उसका उद्धार पाएँ
1 परमेश्वर आशा करता है कि और भी अधिक लोग उसके वचनों और कार्य का सामना करते हुए सावधानीपूर्वक जाँच कर सकेंगे, इस महत्वपूर्ण संदेश के प्रति गंभीरतापूर्ण और निष्ठापूर्ण रुख अपना सकेंगे। वह आशा करता है कि वे उन लोगों के पदचिह्नों पर नहीं चलेंगे जिन्हें दंडित किया गया है और पौलुस की तरह तो और भी नहीं बनेंगे—जो सच्चे मार्ग को स्पष्ट रूप से जानता था लेकिन जिसने जानबूझकर इसका प्रतिरोध किया—और पाप-बलि को गँवा देंगे। परमेश्वर नहीं चाहता कि अधिक लोगों को सजा दी जाए, बल्कि आशा करता है कि अधिक लोग बचाए जाएँ, और अधिक लोग उसके साथ कदम से कदम मिलाएँ और उसके राज्य में प्रवेश करें।
2 परमेश्वर हर व्यक्ति के साथ धार्मिकता का व्यवहार करता है; तुम्हारी उम्र चाहे जो हो, तुम कितने भी वरिष्ठ क्यों न हो, या तुमने चाहे कितने ही दुःख क्यों न उठाए हों, इन चीजों के कारण परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव कभी नहीं बदलेगा। परमेश्वर न तो किसी को बहुत ऊँचा मानता है, न किसी के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार करता है। लोगों के प्रति उसका रवैया इस बात पर निर्भर करता है कि क्या वे हर चीज का त्याग करके सत्य को और उसके नये कार्य को स्वीकार कर सकते हैं या नहीं। अगर तुम परमेश्वर के नये कार्य को और उसके द्वारा व्यक्त किए जाने वाले सत्यों को स्वीकार सकते हो, तो तुम उसका उद्धार पाने में समर्थ रहोगे।
—सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रतिरोध करने पर मिलने वाले दंड के विशिष्ट उदाहरण, परिशिष्ट