113  सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रेम परम निर्मल है

1

हे परमेश्वर! तूने देहधारण करके, इंसान को बचाने के लिये हर चीज़ का त्याग कर दिया है।

तूने कभी भी इंसान के स्नेह का अनुभव नहीं किया है या इंसान के दिल को हासिल नहीं किया है।

तू दुनिया की सारी कड़वाहट का स्वाद चख चुका है, चुपचाप दशकों से काम कर रहा है।

तूने जो वचन व्यक्त किए हैं वे सभी सत्य हैं जो इंसान को अनंत जीवन देने के लिए हैं।

मगर लोग इस बात को जानते नहीं, वे तेरा तिरस्कार और तुझे बदनाम करते हैं, तेरे उद्धार को नकारते हैं।

तूने अपमान सहा है फिर भी तू लोगों को अपने प्रेम से द्रवित करता है, यथासंभव इंसान को बचाता है।

हे परमेश्वर! तूने अपना समस्त प्रेम निस्वार्थ भाव से इंसान को दिया है।

स्वर्ग और पृथ्वी में केवल तू ही प्रेम है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रेम परम निर्मल है।


2

हे परमेश्वर! न्याय और ताड़ना के लिये तू जो सत्य व्यक्त करता है, वह सब इंसान को बचाने के लिये है।

तेरे वचन इंसान की प्रकृति को प्रकट करते हैं, मुश्किलें और परीक्षण इंसान की भ्रष्टता को दूर करते हैं।

इंसानों, घटनाओं और चीज़ों की तेरी व्यवस्था हमें सत्य समझाने के लिये है।

फिर भी हम तेरी इच्छा को नहीं समझते, हम धारणाएँ पालते हैं, तेरी व्यवस्थाओं के आगे समर्पित नहीं हो पाते।

हम तेरे न्याय को टालते हैं, हम ज़िद्दी और विद्रोही हैं, हमारे अंदर विवेक की कमी है, तेरे दिल को हमने बुरी तरह से आहत किया है।

तू सदा सहिष्णु और धैर्यवान रहा है, हमारा पोषण और सिंचन कर रहा है, हमारे सुन्न हृदय अब जाग गए हैं।

हे परमेश्वर! तूने हमें बचाने के लिये जी-जान से लगा हुआ है, ज़िंदगी को दांव पर लगा रहा है।

स्वर्ग और पृथ्वी में केवल तू ही प्रेम है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रेम परम निर्मल है।

हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! तू इंसान के प्रेम के परम योग्य है, हम तुझे सदा प्रेम करेंगे, तेरी गवाही देंगे।

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