42. बिजली के झटके की यातना के दिन

वांग हुई, चीन

जून 2004 में एक दिन दोपहर के करीब 1:30 बजे मैं दो बहनों के साथ झपकी ले रही थी, तभी एक दर्जन से ज्यादा पुलिस अधिकारी अचानक अंदर घुस आए। उन्होंने हमें कोने में उकडूँ होकर बैठने का आदेश दिया और बिना कोई पहचान पत्र दिखाए घर की तलाशी लेने लगे। उन्होंने घर के हर कोने की तलाशी ली और आखिरकार उन्हें सीडी का एक सेट, परमेश्वर के वचनों की किताबें, एक मोबाइल फोन और 2,00,000 युआन के चढ़ावे की रसीद मिल गई। इसके बाद पुलिस हमें काउंटी के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो में ले गई। मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की, उससे मुझे आस्था और शक्ति देने और अपनी गवाही में अडिग रहने में मदद करने के लिए कहा, ताकि मैं यहूदा न बनूँ और उसके साथ विश्वासघात न करूँ। फिर एक पुलिस अधिकारी ने मुझसे पूछताछ की, मेरा नाम पूछा और पूछा कि मैं कहाँ रहती हूँ। मैंने एक शब्द भी नहीं कहा तो उसने झपटकर मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे सात-आठ जोरदार थप्पड़ मारे। उसने दाँत पीसते हुए कहा, “तुम्हें लगता है कि तुम अपना मुँह बंद रख पाओगी, है न? मैं तुम्हें बोलने पर मजबूर कर दूँगा!” उसने मुझे इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि मेरा सिर घूम गया और मेरा चेहरा लाल हो गया। फिर एक अन्य अधिकारी ने मुझे आदेश दिया कि मैं अपनी नाक दीवार से सटाकर खड़ी हो जाऊँ, मुझे अपना शरीर दीवार से दूर रखना था, अपनी बाजुओं को दोनों ओर फैलाकर कंधे तक ऊपर उठाना था। मैं एक घंटे से ज्यादा समय तक ऐसे ही खड़ी रही, थकावट से बहुत पसीना बह रहा था, मेरी पीठ में दर्द हो रहा था मानो वह टूटने वाली हो और मेरी बाजुएँ इतनी तकलीफदेह और भारी लग रही थीं कि मैं मुश्किल से इसे सह पा रही थी।

उस शाम पुलिस मुझे एक गेस्टहाउस में ले गई और उसी रात अपराध कबूल करवाने के लिए मुझे प्रताड़ित किया। उन्होंने मुझे सीमेंट के फर्श पर बैठा दिया, मेरी टाँगें फैली हुई थीं, हाथ सीधे आगे की ओर कंधे की चौड़ाई के बराबर फैला दिए थे, मेरी नजरें सामने की ओर होनी चाहिए थीं और मुझे नीचे देखने की अनुमति नहीं थी। मुझे अपनी बाजुएँ मोड़ने की अनुमति नहीं थी और अपना धड़ सीधा रखना था। फिर वे मुझसे पूछताछ करने लगे कि मेरा नाम क्या है, मैं कहाँ रहती हूँ और कब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखना शुरू किया। मैंने कुछ नहीं कहा तो एक अधिकारी ने 2,00,000 युआन की भेंट रसीद निकाली और मुझसे कहा, “2,00,000 युआन कहाँ है? सब बता दो! हम तुम्हारे बारे में पहले से ही सब कुछ जानते हैं और तुम कलीसिया में एक अगुआ हो, इसलिए हमें सच-सच बता दो!” उन्हें यह कहते हुए सुनकर मुझे थोड़ा डर लगा, क्योंकि उन्हें भेंट की रसीद मिल गई थी और वे जानते थे कि मैं एक अगुआ हूँ तो वे मुझे आसानी से नहीं छोड़ेंगे और मैं नहीं जानती थी कि वे मुझे आगे कैसे प्रताड़ित करेंगे। इस पल मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा : “तुम्हें किसी भी चीज से भयभीत नहीं होना चाहिए; चाहे तुम्हें कितनी भी मुसीबतों या खतरों का सामना करना पड़े, तुम किसी भी चीज से बाधित हुए बिना, मेरे सम्मुख स्थिर रहने के काबिल हो, ताकि मेरी इच्छा बेरोक-टोक पूरी हो सके। यह तुम्हारा कर्तव्य है...। डरो मत; मेरी सहायता के होते हुए, कौन इस मार्ग में बाधा डाल सकता है?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 10)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे आस्था दी। परमेश्वर सभी चीजों पर संप्रभु है और चाहे पुलिस कितनी भी क्रूर क्यों न हो, वह परमेश्वर के हाथों में है; मुझे पता था कि जब तक मैं परमेश्वर की ओर देखती हूँ, उस पर निर्भर रहती हूँ और उसके साथ मजबूती से खड़ी रहती हूँ, परमेश्वर शैतान पर विजय पाने में मेरी अगुआई करेगा। जब मैंने यह सोचा तो मुझे अब इतना डर नहीं लगा। इसके तुरंत बाद पुलिस मुझसे पूछताछ करती रही, पूछती रही कि कलीसिया का पैसा कहाँ है और ऊपरी अगुआ कौन हैं। मैं पूरे समय चुप रही। पुलिस अधिकारियों में से एक ने क्रोधित होकर मेरे हाथों के पीछे स्टन बैटन लगा दिया और मुझे बिजली का झटका देने लगा, लेकिन बिजली का झटका दिए जाने के दौरान मुझे हिलने की अनुमति नहीं थी। मेरे हाथ बेकाबू होकर काँप रहे थे और जितना मैं काँप रही थी, उतनी ही तीव्रता से वह मुझे बिजली का झटका देता था। हर झटके के साथ मेरा पूरा शरीर काँप रहा था और मैं दर्द से चीख रही थी। फिर पुलिस अधिकारी ने मेरी पिंडलियों पर पैर रख दिया और मेरे पैरों पर बिजली के झटके मारने के लिए स्टन बैटन का इस्तेमाल किया, जिससे मेरे पैर सहज रूप से सिकुड़ गए। अधिकारी ने मुझसे पूछताछ जारी रखी, “बताओ! 2,00,000 युआन कहाँ है?” मैंने फिर भी कुछ नहीं कहा। वह गुस्से में आ गया, मेरे जबड़े, मेरी पीठ और मेरे सिर के पीछे बेतरतीब ढंग से मुझे बिजली के झटके देने लगा। जब उसने मेरे सिर के पिछले हिस्से पर बिजली का झटका दिया, मुझे लगा जैसे मेरे सिर पर किसी कठोर चीज से हिंसक प्रहार किया गया हो। दर्द बहुत भयानक था और मेरा सिर घूम गया। जब उसने मेरे जबड़े पर बिजली का झटका मारा तो मेरे दोनों होंठ काँपने लगे और मेरे दाँत आपस में किटकिटाने लगे। सहज ही मैं खुद को बचाने के लिए जमीन पर गिर गई। पुलिस अधिकारी गुस्से से पागल हो गया, उसने मेरा कॉलर पकड़ा और मुझे वापस खींच कर बैठा दिया। फिर उसने रिमोट कंट्रोल लिया और मेरे दोनों गालों पर लगभग एक दर्जन बार मारता रहा। मारते हुए उसने मुझ पर थूका : “देखते हैं तुम कब तक अपना मुँह बंद रख सकती हो! मुझे नहीं लगता कि तुम पत्थर की बनी हो!” आखिरकार वह मुझे मारते-मारते थक गया और फिर उसने मुझे फिर से पहले की तरह अपनी बाँहें ऊपर करके उसी स्थिति में बैठने का आदेश दिया। जब भी मेरी बैठने की मुद्रा उसके हिसाब से नहीं होती तो वह मेरे हाथों और पैरों में बिजली का झटका देने के लिए स्टन बैटन का इस्तेमाल करता, वह रिमोट कंट्रोल और पत्रिकाओं से मेरे चेहरे पर मारता। इसी तरह से चीजें चलती रहीं और पुलिस ने आधी रात तक मुझे प्रताड़ित किया। इस तरह से पुलिस द्वारा बिजली के झटके दिए जाने और पीटे जाने के बाद मैं अपने दिल में कमजोर पड़ गई। मुझे गिरफ्तार करते ही वे मुझे इस तरह से प्रताड़ित कर रहे थे, मुझे अंदाजा तक नहीं था कि वे मुझे आगे और क्या-क्या यातनाएँ देने वाले हैं। मुझे नहीं पता था कि मैं इसे सहन कर पाऊँगी या नहीं। इसलिए मैंने सोचा, “अगर मैं उन्हें कुछ महत्वहीन बातें बता दूँ तो शायद मैं कुछ तकलीफ से बच सकती हूँ और मुझे इतना दर्द नहीं सहना पड़ेगा।” लेकिन फिर मैंने पुनर्विचार किया, “अगर मैं बता देती हूँ तो क्या मैं यहूदा नहीं बन जाऊँगी?” उसी पल मुझे परमेश्वर के वचन याद आ गए : “मैं उन लोगों पर अब और दया नहीं करूँगा, जिन्होंने गहरी पीड़ा के समय में मेरे प्रति रत्ती भर भी निष्ठा नहीं दिखाई, क्योंकि मेरी दया का विस्तार केवल इतनी दूर तक ही है। इसके अतिरिक्त, मुझे ऐसा कोई इंसान पसंद नहीं, जिसने कभी मेरे साथ विश्वासघात किया हो, और ऐसे लोगों के साथ जुड़ना तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं, जो अपने मित्रों के हितों को बेच देते हैं। चाहे जो भी व्यक्ति हो, मेरा यही स्वभाव है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो)। परमेश्वर के वचनों ने मेरा मार्गदर्शन किया और मुझे समझाया कि परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव अपमान बर्दाश्त नहीं करता और परमेश्वर उनसे घृणा करता है जो उसे धोखा देते हैं। अगर मैंने शारीरिक पीड़ा से बचने के लिए यहूदा की तरह परमेश्वर को धोखा दिया तो मैं हमेशा के लिए पापी बन जाऊँगी, परमेश्वर के शाप की पात्र बनूँगी। जब मैंने इस बारे में सोचा तो मैंने दर्द सहने का मन बना लिया, सोचने लगी, “चाहे पुलिस मुझे कितना भी प्रताड़ित करे, मैं शैतान को शर्मिंदा करने के लिए अपनी गवाही में अडिग रहूँगी।”

अगले दिन पुलिस मुझे दूसरे होटल में ले गई और उन्होंने मुझे पहले की तरह ही सीमेंट की फर्श पर बैठा दिया। तीस साल से अधिक उम्र का एक पुलिसकर्मी मेरे पास आया और मुझे कुछ जोरदार थप्पड़ मारे, मुझ पर दबाव डालने की कोशिश की कि मैं अपना पूरा नाम, पता और उच्च अगुआ कौन हैं, यह बता दूँ। उसने परमेश्वर के बारे में भी ईशनिंदा वाले शब्द कहे। यह देखकर कि मैं अभी भी कुछ नहीं बोल रही हूँ, उसने गुस्से में एक स्टन बैटन पकड़ी और मेरी हथेलियों, मेरे हाथों के पिछले हिस्से, मेरे सिर के पिछले हिस्से और मेरे जबड़े पर बिजली के झटके मारे। उसने मुझे इतनी बुरी तरह झटके मारे कि मैं फर्श पर बैठते ही लड़खड़ा गई। फिर उसने स्टन बैटन को मेरी आस्तीन में ठूँस दिया और मेरी दोनों बाजुओं पर बिजली के झटके मारे। मेरी बाजुएँ बेकाबू होकर काँपने लगीं और मैं दर्द से चिल्लाते हुए जमीन पर गिर पड़ी। फिर वह मेरी टाँगों के निचले हिस्से पर चढ़ गया, बैटन को मेरी पैंट की टाँगों में ठूँस दिया और मेरे पैरों पर बिजली के झटके मारे। इसके लगभग पाँच मिनट बाद मैं पूरी तरह से लंगड़ाते हुए जमीन पर गिर पड़ी। मैं पसीने से लथपथ थी, मेरी टाँगों और हाथों मे दर्द हो रहा था और वे सुन्न पड़ने लगे थे। दर्द सच में असहनीय था। फिर अधिकारी ने मुझे कॉलर से पकड़ा और खींचकर बैठा दिया। उसने अपने चमड़े के जूते उतारे और उनसे मेरे गालों पर कई बार थप्पड़ बरसाए। मुझे मारते हुए उसने मेरा मजाक उड़ाया और कहा, “तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करती हो, है न? तो तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें क्यों नहीं बचा रहा है?” मुझे इतनी बुरी तरह पीटा गया कि मुझे तारे दिखने लगे और मेरे गालों में बुरी तरह से जलन होने लगी। मैं फर्श पर गिर पड़ी, जरा भी हिलने में असमर्थ थी। मुझे डर था कि मैं पुलिस की क्रूर यातना सहन नहीं कर पाऊँगी, इसलिए मैंने मन ही मन परमेश्वर से प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है। मुझे आस्था और कष्ट सहने का संकल्प दो ताकि मैं तुम्हारे लिए अपनी गवाही में अडिग रह सकूँ।” उसी पल मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया : “इस या उस चीज से डरो मत, सेनाओं का सर्वशक्तिमान परमेश्वर निश्चित रूप से तुम्हारे साथ होगा; वह तुम लोगों के पीछे खड़ा सहायक बल है और तुम्हारी ढाल है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 26)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे आस्था और शक्ति दी। परमेश्वर सभी चीजों पर संप्रभु है और सब कुछ नियंत्रित करता है, वह मेरा सहारा और मेरा आसरा है। पुलिस भी परमेश्वर के हाथों में है और इसलिए मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने संकल्प लिया कि चाहे मुझे कितना भी कष्ट क्यों न सहना पड़े या मुझे कितना भी प्रताड़ित किया जाए, मैं अपनी गवाही में अडिग रहने के लिए परमेश्वर पर निर्भर रहूँगी।

यह देखकर कि मैं अभी भी कुछ नहीं बोल रही हूँ, पुलिस मुझ पर नरम युक्तियाँ आजमाने लगी। उस शाम को लगभग 5 बजे पचास साल से अधिक का एक पुलिसकर्मी मेरे पास आया और शांत स्वर में बोला, “इतनी जिद्दी बनने की कोई जरूरत नहीं है। अगर तुम हमें वह बता दो जो तुम जानती हो तो मैं तुमसे वादा करता हूँ कि तुम घर जा सकोगी। तुम बस परमेश्वर पर विश्वास करती हो, है न? यह इतनी बड़ी बात नहीं है। अगर तुम हमें वह सब बता दो जो तुम जानती हो तो तुम घर जाकर अपनी जिंदगी जी सकोगी। खुद को देखो, अपनी आस्था के लिए इतना कष्ट सहना सच में सार्थक नहीं है। तुम सब कुछ अच्छी तरह से जानती हो कि उन स्टन बैटन से कितना खराब महसूस होता है। अपने विकल्पों के बारे में अच्छी तरह से सोच लो!” मैंने मन ही मन सोचा, “जब से मुझे गिरफ्तार किया गया है, पुलिस मुझे पीट रही है, मुझे डाँट रही है और बिजली के झटके दे रही है, लेकिन यह व्यक्ति मेरे प्रति इतना कठोर नहीं है। मुझे लगता है कि यहाँ शैतान की साजिशें काम कर रही हैं।” उसी पल मैंने परमेश्वर के वचनों के बारे में सोचा : “मेरे लोगों को, मेरे लिए मेरे घर के द्वार की रखवाली करते हुए, शैतान के कुटिल कुचर्क्रों से हर समय सावधान रहना चाहिए ... ताकि शैतान के जाल में फँसने से बच सकें, और तब पछतावे के लिए बहुत देर हो जाएगी(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 3)। परमेश्वर के प्रबोधन करने वाले वचनों ने मुझे यह समझा दिया कि शैतान निरंतर षड्यंत्र रचता रहता है। पुलिस मुझे जबरन अपराध कबूलने, अपने भाई-बहनों से गद्दारी करने और परमेश्वर को धोखा देने के लिए प्रताड़ित कर रही थी, लेकिन अब उसने अपना रवैया बदल लिया है और मुझे धोखा देने के लिए दयालु होने का दिखावा कर रही है। वे वाकई कुटिल और घृणित हैं! थोड़ी देर बाद जब उसने देखा कि मैं कुछ नहीं बोल रही हूँ तो उसने आखिरकार अपना रंग दिखाया और सख्त लहजे में कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर में तुम्हारी आस्था राज्य द्वारा अनुमत नहीं है और इतना ही नहीं, इसका सीसीपी विरोध करती है। अगर तुम अपराध नहीं कबूलती हो तो तुम्हारे बच्चे कॉलेज नहीं जा पाएँगे, सेना में भर्ती नहीं हो पाएँगे, सीसीपी में शामिल नहीं हो पाएँगे या सिविल सेवक नहीं बन पाएँगे... क्या तुम उनके बारे में बिल्कुल नहीं सोचती? तुम्हारी वजह से तुम्हारे बच्चों का भविष्य बर्बाद होने वाला है। ध्यान से सोचो!” जब उसने मेरे बच्चों का जिक्र किया तो मुझे दिल दहला देने वाली पीड़ा हुई, “अगर मेरे बच्चे भविष्य में स्कूल नहीं जा पाते हैं या उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिलती है तो क्या वे मुझसे नाराज हो जाएँगे?” जितना ज्यादा मैंने सोचा, उतनी ही ज्यादा मैं परेशान हो गई। अपने दर्द और परेशानी में मैंने परमेश्वर के वचनों के एक अंश के बारे में सोचा : “संपूर्ण मानवजाति में कौन है जिसकी सर्वशक्तिमान की नज़रों में देखभाल नहीं की जाती? कौन सर्वशक्तिमान द्वारा तय प्रारब्ध के बीच नहीं रहता?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 11)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे तुरंत प्रबुद्ध कर दिया। मेरे बच्चों का भाग्य परमेश्वर के हाथों में है और वे अपने जीवन में किन परिस्थितियों से गुजरेंगे और उन्हें कितना कष्ट सहना पड़ेगा, यह सब परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित है। चाहे बड़ा लाल अजगर कितना भी उग्र क्यों न हो, वह मेरे बच्चों का भाग्य नहीं बदल सकता। मुझे अपने बच्चों को परमेश्वर के हवाले करना था और परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समपर्ण करना था। पुलिस मेरे बच्चों के भविष्य का इस्तेमाल करके मुझे धमकाने की कोशिश कर रही थी और मुझे अपने भाई-बहनों से गद्दारी करने और परमेश्वर को धोखा देने के लिए मजबूर कर रही थी। मैं उनकी साजिशों को सफल नहीं होने दे सकती थी। शाम के करीब 7 बजे पुलिस मुझे एक टाउनशिप पुलिस स्टेशन ले गई जहाँ स्थानीय पुलिस ने मुझे पहचानने के लिए कुछ तस्वीरें दिखाईं। मैंने मन ही मन सोचा, “तुम मुझे कभी भी अपने भाई-बहनों से गद्दारी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते!” इसलिए चाहे पुलिस ने मुझसे कुछ भी पूछा हो, मैंने बस न में अपना सिर हिलाया और चुप रही। लगभग एक दर्जन फोटो निकालने के बाद मशीन अचानक खराब हो गई और कोई और फोटो नहीं निकाल पाई तो पुलिस को मुझे वापस होटल ले जाना पड़ा। वापस आते समय किन उपनाम वाले एक पुलिस कप्तान ने मुझ पर भेंट की रकम के बारे में बताने के लिए और अधिक दबाव डाला। मैंने कहा कि मुझे नहीं पता, वह गुस्से में आ गया और मेरे माथे पर कई बार मुक्के मारे। मुक्कों के प्रहार से मेरा सिर चकरा गया। जैसे-जैसे हम हर गाँव से गुजरते, किन मुझसे पूछता, “क्या तुम पहले भी यहाँ आई हो?” और मैं बस यही कहती, “मैं यहाँ कभी नहीं आई।” जब हम अंतिम कस्बे से गुजरे तो उसने फिर पूछा, “तुम शायद पहले भी यहाँ आई हो, है न? यहाँ कितने मेजबान घर हैं? अगर तुम हमारे साथ सहयोग करो और किसी को पकड़ने में हमारी मदद करो तो हम तुम्हें जाने देंगे। यह तुम्हारा खुद को छुड़ाने का मौका है।” मैंने मन ही मन सोचा, “गिरफ्तार होने के बाद मैं पहले ही तुम्हारी क्रूर यातनाएँ झेल चुकी हूँ। मैं अपने भाई-बहनों से कभी गद्दारी नहीं करूँगी और उन्हें गिरफ्तार करवाकर यह कष्ट नहीं सहने दूँगी।” इसलिए मैंने उससे कहा, “मैं सुध-बुध खो चुकी हूँ और मुझे नहीं पता कि यहाँ क्या कहाँ पर है। मैं नहीं जानती कि यहाँ कोई मेजबान घर है या नहीं।” कार में मेरा मन खराब हो रहा था और मुझे उल्टी होने ही वाली थी। उन्हें डर था कि मैं कार में गंदगी कर दूँगी, इसलिए उन्हें मुझे वापस ले जाना पड़ा। जब तक मैं होटल वापस पहुँची, रात के 11 बज चुके थे। फिर पुलिस ने मुझे पहले वाली मुद्रा में ही जमीन पर बैठा दिया। मेरी नजरें आगे की ओर होनी चाहिए थीं और वे मुझे सोने नहीं देते थे और पाँच अधिकारी बारी-बारी से मेरी रखवाली करते थे। जब भी मेरी पलकें झुकतीं तो वे मुझे स्टन बैटन से बिजली का झटका देते या वे मुझे रिमोट कंट्रोल से मारते या मेरे खोपड़ी के बालों को खींचते। जब भी मेरे हाथ झुकते तो वे लाइटर से मेरी हथेलियाँ और उँगलियाँ जला देते। मैंने रात इसी तरह प्रताड़ित होते हुए बिताई।

तीसरे दिन की सुबह छह या सात पुलिस अधिकारियों ने मुझे घेर लिया, पूछताछ करने लगे कि मेरा पूरा नाम और पता क्या है, ऊपरी अगुआ कौन हैं। मैं चुप रही। पुलिस अधिकारियों में से एक ने मेरी एक चप्पल उठाई, मेरे बाल पकड़े और उन्हें जोर से पीछे की ओर खींचा। फिर उसने मेरे चेहरे पर सात या आठ बार चप्पल मारी। मुझे चप्पल मारते हुए उसने कहा, “तुम लोहे की नहीं बनी हो और आज हम तुम्हें तब तक पीटेंगे जब तक तुम बोल नहीं दोगी।” फिर उसने दूसरे अधिकारियों से कहा, “उसे कोई ढील मत दो!” यह कहने के बाद वह गुस्से में चला गया। दो अधिकारियों ने मेरी एक-एक बाँह पकड़ी, जबकि दूसरे अधिकारी ने मेरी गर्दन और जबड़े के पीछे स्टन बैटन से निशाना बनाया और मुझे बेरहमी से बिजली का झटका दिया। हर झटके के साथ मेरा शरीर बेकाबू होकर काँप रहा था। फिर पुलिस ने मेरी एक आस्तीन में बैटन डाला और करीब दो मिनट तक मेरे हाथ पर बिजली का झटका दिया। बिजली के झटकों से मेरा हाथ बेकाबू होकर काँप उठा और फिर उसने मेरे दूसरे हाथ को भी झटका देने के लिए उसी तरीके का इस्तेमाल किया। इस समय तक मेरे बाल पूरी तरह से भीग चुके थे और पसीना मेरे माथे से बहकर मेरी आँखों में आ रहा था। मेरी आँखें पसीने से इतनी भरी हुई थीं कि मैं उन्हें खोल भी नहीं पा रही थी। मैं सिर्फ अपने दाँत पीसकर सह सकती थी। जब उन्होंने देखा कि मैं अभी भी नहीं बोल रही हूँ तो वे मेरी टाँगों के निचले हिस्से पर चढ़ गए और फिर वे मेरी टाँगों पर स्टन बैटन से बिजली का झटका देने लगे। मैं जमीन पर गिर पड़ी, मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया और ठंडे पसीने से भीग गया। मेरे पास प्रतिरोध करने की कोई ताकत नहीं थी और मैं बस दर्द से चीख रही थी। पुलिसवालों ने देखा कि मैं पूरी तरह से थक कर चूर हो गई हूँ तो वे रुक गए और मुझसे पूछने लगे, “क्या अब बात करने का मन है? अगर नहीं तो हम दोबारा वहीं से शुरू करेंगे।” मैं फिर से बिजली के झटके दिए जाने से डर गई थी, इसलिए मेरे पास उन्हें अपना पूरा नाम, पता और उम्र बताने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। वू उपनाम वाले एक अधिकारी ने तब विजयी भाव से कहा, “तुम वही हो जिसकी हमें तलाश थी। किताबें ले जाने वाला कोई व्यक्ति पहले ही तुमसे गद्दारी कर चुका है और वह तुम ही हो जिसने उसके लिए किताबें पहुँचाने की व्यवस्था की थी। तुममें वाकई हिम्मत है, यहाँ तक कि लोगों से परमेश्वर में विश्वास करवाने के बारे में किताबें छपवाने का साहस भी है। क्या तुम्हें सच में लगता है कि हम तुम्हें छोड़ देंगे? मैं तुम्हें बता देता हूँ। हम तुम पर दो महीने से नजर रख रहे थे और हमने तुम्हारी तस्वीरें भी ली हैं। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम इतनी जिद्दी निकलोगी! तुम वाकई मुसीबत को दावत दे रही हो!” अधिकारी की बातें सुनने के बाद मुझे डर की सिहरन महसूस हुई। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे दो महीने से मेरा पीछा कर रहे होंगे। इसका मतलब था कि वे उन सभी लोगों को जानते हैं जिनके साथ मैं उस दौरान संपर्क में थी और मुझे नहीं पता था कि किसी और भाई-बहन को फँसाया गया है या नहीं। उस पल मैं बस अपने भाई-बहनों के लिए चुपचाप प्रार्थना कर सकती थी, परमेश्वर से उनकी रक्षा करने के लिए कह सकती थी। फिर अधिकारी वू ने मुझसे मेरे भाई-बहनों की पहचान करने के लिए कहा। उसने कई बहनों के नाम बताए और पूछा कि क्या मैं उन्हें जानती हूँ। मैं बस यही कहती रही, “मैं उन्हें नहीं जानती।” वह सीधा उठकर खड़ा हुआ और मुझे कई बार थप्पड़ मारे, गालियाँ देते हुए बोला, “तुम यही बोल रही हो कि तुम उन्हें नहीं जानती, लेकिन तुम उनकी अगुआ हो! इतनी जिद्दी मत बनो! ध्यान से सोचो और ईमानदारी से अपराध कबूल करो; वरना तुम मुश्किल में पड़ जाओगी!” मैं चुप रही। इस पर एक अधिकारी ने मुझ पर स्टन बैटन तान दिया और चिल्लाया, “अगर तुम नहीं बोलोगी तो मैं तुम्हें असली दर्द का स्वाद चखाऊँगा!” फिर उसने स्टन बैटन उठाया और मेरे मुँह पर बिजली का झटका मारा। मुझे इतना तेज झटका लगा कि मेरे होंठ काँपने लगे, मेरा पूरा शरीर हिल गया और मैं अनजाने में पीछे हट गई। फिर उसने मेरे जबड़े पर कई और बार बिजली के झटके मारे। उसने मेरे हाथों के पिछले हिस्से पर भी करीब दो मिनट तक बिजली के झटके मारे। मेरे हाथ सहज ही पीछे खिंच गए और मेरा शरीर पीछे हट गया। वह फिर से मेरी टाँगों के निचले हिस्से पर चढ़ गया और स्टन बैटन से मेरे पैरों पर बिजली का झटका दिया। मुझे इतना तेज झटका लगा कि मेरे पैर बेकाबू होकर उछल पड़े और मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरा पूरा शरीर ठंडे पसीने से भीग गया था और मेरे बाल फिर से गीले हो गए थे। मैं जमीन पर गिर पड़ी और अपने दिल में परमेश्वर को पुकारने लगी। मैंने परमेश्वर से यह कष्ट सहने की इच्छाशक्ति देने के लिए कहा। तब मुझे परमेश्वर के वचन याद आए : “भले ही परमेश्वर लोगों में कुछ भी कार्य करे, उन्हें वह बनाए रखना चाहिए जो उनके पास है, उन्हें परमेश्वर के सामने ईमानदार होना चाहिए, और उसके प्रति बिलकुल अंत तक समर्पित रहना चाहिए। यह मनुष्य का कर्तव्य है। लोगों को जो करना चाहिए, उसे उन्हें बनाए रखना चाहिए(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति बनाए रखनी चाहिए)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे एक बार फिर से आस्था और शक्ति दी और मुझे शैतान के खिलाफ अंत तक लड़ने का दृढ़ संकल्प और साहस मिला। मैंने अपने दाँत पीस लिए और फिर भी कुछ नहीं कहा। उसी समय एक पुलिस अधिकारी मेरे पीछे आया और मेरी पीठ के निचले हिस्से पर जोर से लात मारी। ऐसा लगा मानो मेरी कमर टूटने वाली है और मेरे शरीर में छेदने वाला दर्द हुआ। फिर उसने मुझे फिर से उसी स्थिति में बैठने का आदेश दिया। लेकिन चूँकि मैं पिछले कुछ दिनों से उनके कहे अनुसार बैठी थी, मेरे हाथ इतने भारी हो गए थे कि मैं उन्हें उठा नहीं पा रही थी। क्रोधावेश में पुलिस अधिकारी ने पागलों की तरह मेरी हथकड़ी पकड़ी और उन्हें हिंसक तरीके से ऊपर की ओर खींच दिया। फिर उसने अचानक उन्हें छोड़ दिया। वह तब तक ऐसा करता रहा जब तक कि वह पसीने से तरबतर नहीं हो गया। फिर उसने मेरे चेहरे पर कई बार थप्पड़ मारे और गाली दी, “मुझे नहीं लगता कि तुम पत्थर की बनी हो। मैं बाद में तुम्हारे लिए वापस आऊँगा।” मेरा चेहरा थप्पड़ खाने से सूजकर सुन्न हो गया था और हथकड़ियों के कारण मेरी कलाइयों से खून बहने लगा था। थोड़ी देर बाद पुलिस ने मुझे पहले की तरह बिजली के झटके देने शुरू कर दिए और मुझे इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि मेरे शरीर में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची। मेरे दोनों हाथ ऐसे लग रहे थे जैसे कि वे उखड़ गए हों और दर्द असहनीय था। उस रात कई पुलिस अधिकारी बारी-बारी से मेरी निगरानी कर रहे थे और मुझे सोने नहीं दे रहे थे। फिर वे कुछ कागज और कलम लेकर आए और उन्होंने मुझे उन मेजबान घरों के नाम और पते लिखने को कहा, जिन्हें मैं जानती हूँ। मैंने मन ही मन सोचा कि मैं अपने भाई-बहनों से कभी गद्दारी नहीं करूँगी, लेकिन मैं अब सच में उनके द्वारा प्रताड़ित होना बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। इसलिए मैंने कलम पकड़कर लिखने का नाटक किया। उन्हें लगा कि मैं अपराध कबूल करने वाली हूँ, इसलिए उन्होंने उस रात मुझे और नहीं मारा।

चौथे दिन पुलिस ने देखा कि मैंने कुछ भी नहीं लिखा है तो उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाने को कहा और मुझे अपने हाथों को अपने सिर पर टिकाने या मोड़ने की अनुमति नहीं दी। मैं दस मिनट तक भी अपने हाथों को ऊपर उठाकर नहीं रख पाई, उनमें तेज दर्द होने लगा और वे अनायास नीचे आ गए। हथकड़ियों की जकड़न मेरे शरीर में कस गई थी। आधे घंटे में ही मेरे हाथों में इतना दर्द हुआ कि मैं उन्हें अब और ऊपर उठाकर नहीं रख पाई। एक अधिकारी गुस्से में आकर मुझ पर झपटा, मेरी हथकड़ियाँ पकड़ लीं और उन्हें एक दर्जन से ज्यादा बार जोर से ऊपर-नीचे खींचकर झटके देता रहा। हर बार जब वह उन्हें खींचता तो मेरा सारा वजन मेरी कलाइयों पर आ जाता। मेरी कलाइयों में ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें चाकू से काटा जा रहा हो। मुझे लगा कि मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अपने दिल में परमेश्वर से प्रार्थना की, “परमेश्वर, मैं इन राक्षसों की यातना से डरती हूँ और मुझे डर है कि मैं इसे सहन नहीं कर पाऊँगी और तुम्हें धोखा दे दूँगी। मुझे आस्था और शक्ति दो और मेरी रक्षा करो ताकि मैं अपनी गवाही में अडिग रह सकूँ और शैतान को शर्मिंदा कर सकूँ।” उसी पल मुझे परमेश्वर के वचनों का एक और अंश याद आया : “अब्राहम ने इसहाक को बलिदान किया—तुमने किसे बलिदान किया है? अय्यूब ने सब-कुछ बलिदान किया—तुमने क्या बलिदान किया है? सही राह तलाशने के क्रम में बहुत सारे लोगों ने अपना बलिदान दिया है, अपना जीवन कुर्बान किया है और अपना खून बहाया है। क्या तुम लोगों ने वह कीमत चुकाई है?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मोआब के वंशजों को बचाने का अर्थ)। अब्राहम अपने इकलौते बेटे को वापस परमेश्वर को देने में सक्षम था और अय्यूब ने अपनी सारी संपत्ति और बच्चे गँवा दिए और उसका शरीर फोड़ों से भर गया, लेकिन उसने परमेश्वर के खिलाफ शिकायत नहीं की और वह अभी भी परमेश्वर के पवित्र नाम की स्तुति करने में सक्षम था। पूरे इतिहास में कई संतों ने परमेश्वर के सुसमाचार के लिए अपना जीवन दे दिया। उन सभी को परमेश्वर में सच्ची आस्था थी और वे उसके लिए सब कुछ अर्पित करने में सक्षम थे। लेकिन मैंने परमेश्वर के लिए क्या किया था? जब इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा तो मेरे दिल में केवल डर और खौफ महसूस हुआ। अतीत के संतों की तुलना में मैं कुछ भी नहीं थी। इस विचार ने मुझे बहुत शर्मिंदा कर दिया, लेकिन साथ ही मेरा दिल ताकत से भर गया और मैंने पुलिस की यातना का सामना करने के लिए आस्था हासिल की। मैंने अपने दिल में प्रार्थना की, “परमेश्वर, आज मैं खुद को तुम्हारे हाथों में सौंपती हूँ। चाहे मैं कितना भी कष्ट सहूँ, मैं तुम्हारे लिए अपनी गवाही में अडिग रहूँगी।” फिर दो अधिकारियों ने मेरी एक-एक बाँह पकड़ी और फिर एक अधिकारी ने मेरी गर्दन के पिछले हिस्से और जबड़े पर स्टन बैटन से बिजली का झटका दिया। फिर उसने मेरी आस्तीन में डंडा घुसाकर मेरी बाँहों में बिजली का झटका दिया। फिर उन्होंने एक कप पानी लिया और उसे मेरी टाँगों के निचले हिस्से पर छिड़क दिया। दो अधिकारी मेरी पिंडलियों पर चढ़ गए और फिर उन्होंने स्टन बैटन का इस्तेमाल करके मेरे पैरों में बिजली का झटका दिया। मैं काँप रही थी और दर्द से कराह रही थी। आखिर में मेरे पास चीखने की भी ताकत नहीं बची और मैं जमीन पर गिर पड़ी। मेरा चेहरा आँसुओं और पसीने के मिश्रण से भीगा हुआ था, मानो मुझे अभी-अभी पानी से बाहर निकाला गया हो। फिर अधिकारी वू मुझ पर चिल्लाया, “तुम इस क्षेत्र की कलीसिया अगुआ हो तो हमें बताओ, 2,00,000 युआन कहाँ हैं? तुम्हारे उच्च अगुआ कौन हैं? इस क्षेत्र में कितने लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं? तुमने अपनी किताबों के लिए किस प्रिंटिंग प्रेस का इस्तेमाल किया? आज तुम मुझे सब कुछ बताओगी, नहीं तो तुम्हें बहुत दर्द सहना पड़ेगा!” उनके भयंकर और खतरनाक चेहरे देखकर मैं इन राक्षसों से पूरे दिल से नफरत करने लगी! लेकिन फिर मैंने अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में सोचा। मेरे पास प्रतिरोध करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी और मैं बस इतना कर सकती थी कि उन्हें मुझे प्रताड़ित और तबाह करने दूँ। जितना मैंने इसके बारे में सोचा, उतनी ही मैं डर गई और मुझे डर था कि मैं उनके हाथों मारी जाऊँगी। उसी पल मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया : “ब्रह्मांड में घटित होने वाली समस्त चीजों में से ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसमें मेरी बात आखिरी न हो। क्या कोई ऐसी चीज है, जो मेरे हाथ में न हो?(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 1)। परमेश्वर सभी चीजों को नियंत्रित करता है और वह सभी पर संप्रभु है, मुझे यातना देकर मार डाला जाएगा या नहीं, यह परमेश्वर के हाथों में है। चाहे ये राक्षस कितने भी क्रूर क्यों न हों, परमेश्वर की अनुमति के बिना वे मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते। मुझे परमेश्वर में आस्था रखनी थी। मैंने यह भी सोचा कि कैसे पतरस परमेश्वर के लिए सूली पर उल्टा लटक जाने में सक्षम था। वह बिना किसी शर्त के अपना जीवन परमेश्वर को अर्पित करने में सक्षम था। उसने मृत्यु तक समर्पण पाया और परमेश्वर से अत्यधिक प्रेम किया। पतरस की मृत्यु सार्थक और मूल्यवान थी और उसे परमेश्वर की स्वीकृति मिली। मैं पतरस की मिसाल पर चलना चाहती थी और भले ही इसका मतलब मरना हो, मैं परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग रहूँगी।

दोपहर करीब 2 बजे पुलिस ढेर सारी तस्वीरें लेकर आई और मुझसे एक-एक करके उन्हें पहचानने के लिए कहा। मैं बस यही कहती रही कि मैं इनमें से किसी को नहीं जानती। एक पुलिस अधिकारी ने एक फोल्डर उठाया और उसे मेरे चेहरे पर दे मारा। उसने मुझे इतनी जोर से मारा कि मुझे तारे नजर आने लगे और मेरा सिर भारी लगने लगा। फिर एक और अधिकारी मेरे पास आया और उसने मेरे चेहरे पर इतनी बार मारा कि मैं गिनती ही भूल गई। मुझे मारते हुए उसने अपने दाँत पीसते हुए कहा, “मैं आज तुमसे यह कबूलनामा करवा कर रहूँगा!” मुझे इतनी बुरी तरह पीटा गया कि मेरे मुँह के कोने से खून बहने लगा और मेरे होंठ सूज गए। मेरा सिर घूम रहा था और मैं बिना हिले-डुले अपनी जगह पर ही बैठी रही। फिर अधिकारी ने मुझसे कहा कि मैं पहले की तरह उसी स्थिति में बैठूँ, लेकिन चूँकि मैंने पिछले तीन दिनों से कुछ भी नहीं खाया-पीया था और पुलिस ने मुझे प्रताड़ित कर रही थी, मेरे शरीर में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची थी। थोड़ी देर तक अपने हाथ ऊपर रखने के बाद ही वे लटकने लगे। फिर अधिकारी ने एक लाइटर लिया और उसकी लौ मेरी उँगलियों के नीचे रख दी और जैसे ही मेरे हाथ नीचे गिरे, मेरी उँगलियाँ जल जाने के कारण मुझे छेद डालने वाला दर्द महसूस हुआ। मेरे हाथ जलने से पीले पड़ गए और दर्द इतना तीव्र था कि मेरी उन्हें छूने की भी हिम्मत नहीं हुई। फिर पुलिस ने मुझे दोनों हाथों से एक स्टन बैटन पकड़ने को कहा और जब भी मेरे हाथ लटकते, वे बिजली चालू कर देते और मेरे हाथों की हथेलियों में बिजली का झटका लगता। उन्होंने करीब आधे घंटे में मुझे चार या पाँच बार बिजली के झटके दिए। बाद में एक और अधिकारी करीब एक फुट लंबा और एक उँगली जितना मोटा बांस का डंडा लेकर आया और मेरे हाथों के पिछले हिस्से पर पूरा दम लगाकर मारने लगा। मेरे हाथ इतने सूज गए कि वे पके हुए पाव की तरह लग रहे थे। मेरे हाथों के पिछले हिस्से पर नील पड़ गए थे और उनसे खून बह रहा था। फिर अधिकारी ने मेरी हथकड़ी पकड़ी और उन्हें लगभग एक दर्जन बार हिंसक तरीके से ऊपर-नीचे किया। हथकड़ियों की जकड़न मेरे माँस में धंस गईं और मेरी कलाई से खून बहने लगा। उसने मेरे चेहरे पर जोरदार थप्पड़ मारा और पूछा, “क्या तुम आखिरकार अपराध कबूल करने वाली हो? 2,00,000 युआन कहाँ हैं?” मैंने उसे अनदेखा किया, गुस्से में आकर उसने फिर से स्टन बैटन उठाया और उसे मेरी आस्तीन में घुसा दिया और मेरी बाजुओं में बिजली का झटका दिया। दाँत पीसते हुए उसने कहा, “चलो देखते हैं तुम सच में कितनी मजबूत हो!” मैं फिर से जमीन पर गिर पड़ी, लेकिन तब उसने मुझे फिर से उठाया और मेरी टाँगों के निचले हिस्से पर पानी डाला। फिर उसने स्टन बैटन को मेरी पैंट की टाँगों में ठूँस दिया और मेरी टाँगों में बिजली का झटका दिया। मुझे इतनी जोर का झटका लगा कि मेरे पैर बेतहाशा हिलने लगे और मैं अपने हाथों से अपने पैरों को बचाने की कोशिश करने से खुद को नहीं रोक पाई। गुस्से में आकर अधिकारी ने मेरी बाँहों, पैरों और हाथों के पिछले हिस्से को बार-बार बिजली का झटका दिया। आखिरकार उसने कई बार मेरी पिंडलियों पर जोर से पैर पटका। ऐसा लगा मानो मेरी पिंडलियाँ टूट गई हैं और मैं दर्द से चीखने लगी। तभी आखिरकार पुलिस रुकी। मैं पूरी तरह से थककर जमीन पर गिर पड़ी। कुछ अधिकारियों ने मुझे घेर लिया और मुझे घूरने लगे। जबकि कुछ ने मेरी ओर इशारा किया, मेरा मजाक उड़ाया, अन्य आपस में बड़बड़ाते रहे। मुझे इन राक्षसों से पूरे दिल से नफरत हो गई, लेकिन मैं इस बात से भी डरी हुई थी कि वे मुझे प्रताड़ित करते रहेंगे। मैं अपने दिल में परमेश्वर को पुकारती रही, उससे मेरी रक्षा और मार्गदर्शन करने के लिए कहती रही। उसी पल मुझे एक कलीसिया भजन याद आया जो मैंने पहले गाया था, “मैं परमेश्वर की महिमा का दिन देखना चाहता हूँ” : “अपने हृदय में परमेश्वर द्वारा सौंपी अहम जिम्मेदारी होने के चलते मैं कभी भी शैतान के आगे घुटने नहीं टेकूँगी। चाहे मेरा सिर कट जाए और मेरा खून बह जाए, परन्तु परमेश्वर के लोगों की रीढ़ झुक नहीं सकती। मैं परमेश्वर के लिए जबर्दस्त गवाही दूँगी और शैतान और राक्षस को अपमानित करूँगी। दर्द और कठिनाइयाँ परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित हैं मैं मृत्यु तक उसके प्रति वफादार रहूँगी और समर्पण करूँगी। मैं फिर कभी परमेश्वर को रोने या चिंता में डालने का कारण नहीं बनूँगी। मैं अपना प्यार और वफादारी परमेश्वर को अर्पित करूँगा और उसे महिमा देने का अपना मिशन पूरा करूँगा(मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। जितना अधिक मैं अपने दिल में यह भजन गाती, उतनी ही मजबूत महसूस करती। चाहे पुलिस मुझे आगे कितनी भी प्रताड़ित करे, भले ही मैं अपंग हो जाऊँ या मर जाऊँ, मैं कभी भी परमेश्वर को धोखा नहीं दूँगी और मैं दृढ़तापूर्वक परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग रहूँगी।

पाँचवीं रात को अधिकारी वू फिर से कुछ कागज और कलम लेकर आया और उसने मुझसे कहा कि मैं उनके सवालों के जवाब कागज पर लिखूँ। उसने यह भी कहा, “सुबह होने से पहले इसे साफ-साफ लिख दो, नहीं तो तुम अपने बाकी दिन स्टन बैटन के साथ बिताओगी!” पाँच दिनों से आराम नहीं मिलने के कारण मुझे वहीं बैठे-बैठे झपकी आ रही थी। अधिकारियों में से एक ने मुझे जगाए रखने के लिए खड़ा कर दिया और जब भी मैं अपनी आँखें बंद करती, वे मुझ पर चिल्लाते या स्टन बैटन से कुर्सी पर मारते। मैं बेहद तनाव में थी और हर वार से मैं डर जाती थी। मैं वहीं खड़ी-खड़ी हिल रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सिर पूरी तरह से खोखला हो गया हो। मुझे दोहरा दिख रहा था, मेरी चेतना बहुत धुंधली थी और मैं पुलिस के सवाल साफ नहीं सुन पा रही थी, चाहे वे कुछ भी पूछते, मैं बस “हाँ” में ही जवाब देती। मैं पुलिस द्वारा हेर-फेर किए जाने से डरी हुई थी, इसलिए मैंने अपने अपने अंगूठे और तर्जनी उँगली के बीच के हिस्से पर जोर से चुटकी काटी, जितना हो सके जागते रहने की कोशिश की। साथ ही मैं लगातार अपने दिल में परमेश्वर को पुकारती रही, “परमेश्वर! मैं अब खुद पर काबू नहीं रख सकती। मुझे डर है कि मैं फिसल जाऊँगी और अपने भाई-बहनों से गद्दारी कर बैठूँगी। मेरे लिए कोई रास्ता खोलो।” थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरी सुरक्षा में तैनात सभी पुलिस अधिकारी झुककर सो गए हैं। मुझे एहसास हुआ कि परमेश्वर मेरे लिए एक रास्ता खोल रहा है और मैंने भागने का फैसला किया। इसलिए मैं धीरे-धीरे दरवाजे की ओर बढ़ने लगी और कुछ ही देर में मैं दरवाजे पर थी। मैंने सावधानी से दरवाजा खोला और सीढ़ियों से नीचे उतर गई, डरती रही कि कहीं कोई आवाज न निकल जाए जिससे पुलिस जाग जाए। ऐसा करते हुए मेरा कलेजा लगभग मेरे गले से बाहर आ गया। बाहर निकलते ही मैं बेतहाशा एक गली की ओर भागी। पाँच दिन और रात कुछ खाए-पिए या सोए बिना और पुलिस की क्रूर यातनाओं के कारण मेरी शारीरिक शक्ति बहुत कम हो गई थी और कुछ कदम चलने के बाद मेरे पैर कमजोर पड़ गए और लगभग जवाब दे गए, लेकिन इस डर से कि मुझे पुलिस पकड़ लेगी, मैंने भागने में पूरी ताकत लगा दी। मैं लड़खड़ाती हुई आगे बढ़ी, न जाने कितनी गलियाँ या सड़कें पार कीं, आखिरकार मैं एक आंगन में पहुँची, जहाँ एक घर का निर्माण कार्य चल रहा था। उस रात बारिश हो रही थी, मैं कबाड़ के ढेर में एक कोने में लेटी रही और खुद को घास की ढेर के पीछे छिपा लिया। मैं बारिश में ठंड से काँप रही थी। उसी पल मैंने पुलिस को अपना पीछा करते और चिल्लाते हुए सुना, “अगर हम उसे पकड़ लेते हैं, भले ही हम उसे मार न पाएँ, हम उसकी खाल उतार लेंगे!” पुलिस की चीख-पुकार से मैं डर गई और मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूँ। मैं अपने दिल में परमेश्वर को पुकारती रही, “परमेश्वर! मैं क्या करूँ? परमेश्वर! मेरी रक्षा करो।” मैंने अपनी साँस रोक ली और पूरी तरह से शांत होकर लेट गई। थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे वह क्षेत्र फिर से शांत हो गया और मेरे दिल में तनाव आखिरकार कम हो गया।

रात के करीब 2 बजे जब मुझे अपने आस-पास कोई आवाज नहीं सुनाई दी तो मैंने आखिरकार बाहर आने की हिम्मत की। कुछ मुश्किलों को पार करने के बाद मुझे एक बुजुर्ग बहन का घर मिला। यह देखकर कि मैं बुरी तरह से जख्मी हूँ, बहन ने जल्दी से मेरे नहाने के लिए पानी गर्म किया और फिर वह मेरे खाने के लिए अंडे के गर्मागर्म नूडल्स का कटोरा ले आई। मुझे पता था कि यह सब परमेश्वर का प्यार है और मैं इतनी भावुक हो गई कि फूट-फूट कर रोने लगी और बिना रुके बस रोती रही। मैं अपने दिल में परमेश्वर को धन्यवाद देती रही। बाद में बहन ने लोहा काटने वाली एक छोटी सी आरी खरीदी और दो घंटे से ज्यादा समय तक काटने के बाद वह आखिरकार मेरी हथकड़ी काटने में कामयाब रही। जब हथकड़ी आखिरकार टूट गई, बहन ने दोनों हाथों से मेरी कलाइयों को पकड़ लिया और सहानुभूति से रोने लगी। मेरी कलाइयों पर हुए घावों को ठीक होने में दो महीने से ज्यादा लग गए। बिना सोए पाँच दिन बिताने के बाद मुझे माइग्रेन और टिनिटस हो गया, जिससे मेरे कानों में सीटियाँ सी बजने लगीं। स्टन बैटन से कई बार झटके दिए जाने के बाद मैं बिजली से डरने लगी। मैं घर पर बिजली के किसी भी उपकरण के प्लग को छूने की हिम्मत नहीं करती, क्योंकि हल्का सा स्पर्श भी मुझे भ्रम में डाल देता जैसे मेरे हाथ में बिजली का करंट दौड़ रहा हो।

अपनी गिरफ्तारी के दौरान मैं गिनती ही नहीं कर पाई थी कि मुझे कितनी बार बिजली के झटके दिए गए थे और जब भी मुझे प्रताड़ित किया जाता, दर्द होता या कमजोरी महसूस होती, मैं परमेश्वर को पुकारती और अपने दिल में प्रार्थना करती। परमेश्वर के वचनों ने ही मुझे आस्था और शक्ति दी। मैंने परमेश्वर के वचनों के अधिकार को देखा और मेरे लिए परमेश्वर के प्रेम और सुरक्षा का अनुभव किया, परमेश्वर में मेरी आस्था और भी मजबूत हो गई। साथ ही, इस यातना के माध्यम से मैं परमेश्वर से घृणा करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने का सीसीपी का शैतानी सार भी स्पष्ट देख सकी। यह एक जीवित राक्षस है जो लोगों की आत्माओं को खा जाती है और उनके शरीरों को यातना देती है। मैंने अपने दिल की गहराई से इसे नकार दिया और इसके खिलाफ विद्रोह किया और मैं अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए पहले से कहीं अधिक दृढ़ हो गई!

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