92. दूसरों से आगे निकलने की होड़ पर चिंतन
मेरा जन्म एक सुदूर और गरीब गाँव में हुआ था और मेरा परिवार गरीब होने की वजह से बचपन से ही रिश्तेदार मुझे नीची नजरों से देखते थे। मैंने खुद से संकल्प लिया, “मुझे कड़ी मेहनत से पढ़ाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में बहुत सारा पैसा कमाने के बाद मैं ऊपर उठकर अलग दिख सकूँ और अपने परिवार का सम्मान बढ़ा सकूँ।” स्कूल में मैं हर पल पढ़ाई में लगा रहता, अक्सर सुबह दो या तीन बजे तक मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई करता था। एक बार मैं इतना थक गया कि सो गया और तभी उठा जब मेरे बालों में आग लग गई। हालाँकि जीवन कठिन था, फिर भी मेरा पक्का विश्वास था, “सबसे महान इंसान बनने के लिए व्यक्ति को सबसे बड़ी कठिनाइयाँ सहनी होंगी।” लेकिन कॉलेज प्रवेश परीक्षा के दौरान मुझे आश्चर्य हुआ जब मुझे बस एक साधारण विश्वविद्यालय में प्रवेश मिला। मैं महत्वकाँक्षी था और इस परिणाम को स्वीकार नहीं कर पाया। इसलिए मैंने अगले वर्ष दोबारा परीक्षा देने का फैसला किया। उस साल मैंने और भी ज्यादा मेहनत से पढ़ाई की, लेकिन जब परीक्षा के नतीजे घोषित हुए तो मैं फिर फेल हो गया। जब मुझे मेरे नतीजे मिले तो मेरा दिल टूट गया। एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला लेना ही मेरे लिए अपनी किस्मत बदलने का एकमात्र मौका था और मैंने परीक्षा में असफल होने की उम्मीद नहीं की थी। उस दौरान, मैंने अपने दिन सदमे में बिताए और मुझे पता नहीं था कि क्या करूँ, इसलिए मैं एक निर्माण स्थल पर मजदूर बन कर ईंटें ढोने का काम करने चला गया। मेरे हाथ जख्मी होकर घावों और खूनी छालों से भर गए और रात में दर्द मुझे जगाए रखता और मैं चुपचाप कंबल के नीचे रोता रहता। मैंने मन में सोचा, “क्या मैं अपने बाकी दिनों में इसी तरह एक साधारण जीवन जियूँगा? मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता!” मुझे विश्वास था कि नियति मेरे अपने हाथों में है, इसलिए मैं अपनी किस्मत बदलने के लिए फिर से प्रयास करना चाहता था और अगले वर्ष मैंने पहले से भी ज्यादा मेहनत से पढाई की। लेकिन मैंने चाहे कितनी भी कोशिश की फिर भी किसी शीर्ष विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाया। अपनी किस्मत को स्वीकार करने और एक साधारण विमानन कॉलेज में दाखिला लेने के अलावा मैं कुछ नहीं कर पाया।
स्नातक होने के बाद, मैंने एक घरेलू विमान रखरखाव कंपनी में काम किया। पहले तो मैं वर्कशॉप में केवल शारीरिक श्रम ही कर पाता था। चिलचिलाती गर्मी में मेरे कपड़े पसीने से भीग जाते और मैं सोचता, “यह जीवन बहुत मुश्किल है। मैं केवल एक साधारण कर्मी बनकर संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अंग्रेजी की पढ़ाई और अपने तकनीकी कौशल में सुधार करने की जरूरत है ताकि मैं अपने बॉस की मान्यता हासिल कर पदोन्नत हो सकूँ। तब मुझे ऊँचा पद और बेहतर वेतन प्राप्त हो सकता है।” कुशल सहकर्मियों से सीखने के अलावा मैंने कार्य सामग्री पढ़ने के लिए अपने आने-जाने में लगने वाले समय का भी इस्तेमाल किया। कभी-कभी जब आधी रात में विमान सम्बन्धी समस्याएँ होतीं और अन्य लोग सो रहे होते और जाने के लिए तैयार नहीं होते तो मैं स्वेच्छा से समस्या निवारण के लिए जा कर कौशल और अनुभव प्राप्त करता। मैंने अभ्यास और प्रशिक्षण के हर अवसर का लाभ उठाया। कुछ ही महीनों बाद मैं न सिर्फ प्रशिक्षु इंजीनियर बन गया बल्कि मेरा वेतन भी दोगुना हो गया और मुझे विभिन्न परियोजनाओं पर विदेशी विशेषज्ञों की टीमों के साथ काम करने के लिए नियुक्त किया गया। लेकिन भले ही मेरा दर्जा और वेतन बढ़ गया था फिर भी मैं संतुष्ट नहीं था। शहर में जल्दी से एक कार और घर खरीदने और बेहतर जीवन जीने के लिए मैं दिन में काम करता और रात में दूसरे छोटे-मोटे काम करता। मैं अक्सर इतना व्यस्त रहता था कि मेरे पास खाने का भी समय नहीं होता था, रोजाना औसतन केवल तीन या चार घंटे की नींद ले पाता था और कभी-कभी तो पूरी रात काम करता था। मैं पैसा कमाने वाली एक मशीन की तरह दिन-रात बिना थके काम करता रहता था। केवल दो वर्षों में, मैंने दस लाख युआन से ज्यादा कमाया, शहर में एक कार और घर खरीदा, साथ ही अपने दोस्तों और सहकर्मियों की प्रशंसा और ईर्ष्या भी अर्जित की। खासकर जब मैं चीनी नव वर्ष के लिए अपने गृहनगर वापस गया तो जो लोग एक समय मेरे परिवार को तुच्छ समझते थे वे दूर-दूर से मेरा अभिवादन करने आए और यहाँ तक कि मुझे अपने घर भोजन के लिए भी आमंत्रित किया। बड़ों ने भी मुझे शुभकामनाएँ देते हुए पूछा कि क्या मैं उनके बच्चों की नौकरी ढूँढने में मदद कर सकता हूँ। उपलब्धि की एक अवर्णनीय भावना महसूस करते हुए मैंने सोचा, “पैसा और रुतबा होना बहुत अच्छी बात है। आखिरकार मैं अपना सिर ऊँचा रखने में सक्षम हो ही गया!” लेकिन दिन-रात ऐसे ही काम करते-करते मेरे बाल मुट्ठी भर-भर कर झड़ने लगे और मेरा शरीर सूजने लगा। मेरे पैर दुखने लगे और सुन्न हो गए और चलना-फिरना मुश्किल हो गया। मैं सचमुच एक या दो दिन की छुट्टी लेना चाहता था, लेकिन मैंने सोचा कि बीमारी की छुट्टी लेने से कैसे अगले साल के मूल्याँकन और पदोन्नति में मेरी संभावनाएँ बर्बाद हो सकती हैं, इसलिए मुझे इसे सहना पड़ा। हर दिन यातना जैसा था।
उन वर्षों में जब भी मैं अपनी सास से मिलने जाता तो वह मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन दिखाती और परमेश्वर में विश्वास रखने के बारे में मुझसे बहुत सारी बातें करती थी। वह कहती, “पैसे के पीछे भागने का कोई अंत नहीं है। तुम्हें पैसे के लिए अपना स्वास्थ्य और जीवन बर्बाद नहीं करना चाहिए। शैतान ने मानवजाति को गहराई से भ्रष्ट कर दिया है और सब लोग पैसे, प्रसिद्धि और लाभ के लिए बेतहाशा संघर्ष कर रहे हैं और इतने दुख में जी रहे हैं! सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लोगों को शैतान के नुकसान से बचाने के लिए अंत के दिनों के सत्य को व्यक्त किया है और केवल सच्चा पश्चात्ताप करने और परमेश्वर का अनुसरण करने से ही व्यक्ति को बचाया जा सकता है और वह महा विनाश में जीवित रह सकता है। परमेश्वर का कार्य जल्द ही समाप्त होने वाला है, इसलिए तुम्हें केवल पैसा कमाने पर ध्यान केंद्रित करना बंद कर देना चाहिए और परमेश्वर में विश्वास भी रखना चाहिए!” मैं जानता था कि परमेश्वर में विश्वास रखना अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगा कि मेरा करियर अभी शुरू ही हुआ है और मैं अपना नाम बनाना चाहता था, इसलिए मैंने अपनी सास को मना कर दिया और पैसे के लिए अथक परिश्रम करते हुए धन-दौलत के भँवर में और गहराई तक डूबता चला गया। मेरी सास ने मुझसे यह भी कहा, “तुम सच में पैसे के लिए अपना जीवन बलिदान करने को तैयार हो।”
पलक झपकते ही 2015 आ चुका था। मैंने दो घर, दो कारें खरीदीं और दो कंपनियाँ खोलीं, लेकिन मैं अभी भी संतुष्ट नहीं था। ज्यादा पैसा कमाने और एक लक्जरी कार खरीदने के लिए मैंने एक फैक्ट्री शुरू की जहाँ मैं अक्सर बिना आराम किए दिन-रात काम करता था। मैं और भी ज्यादा पैसा कमाने लगा और मैं जहाँ भी जाता लोग मुझे “बॉस” कह कर बुलाते। मुझे बहुत संतुष्टि महसूस हुई और मैंने खुद को आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ाया। मैंने सोचा, “अमीर होने का अनुभव वाकई अलग है।” लेकिन यह भारी दबाव भरी और तेजी से चलती जीवनशैली मेरे स्वास्थ्य को बुरी तरह खराब कर रही थी। काम पर जाते वक्त अक्सर मुझे झपकी आ जाती और एक बार तो मैं एक ओवरपास से नीचे गिरते-गिरते बचा। खर्चा बचाने के लिए मैं ज्यादा कर्मियों को काम पर नहीं रखना चाहता था, इसलिए वर्कशॉप का ज्यादातर काम मैं खुद ही करता था। एक बार एक ऑर्डर पर जल्दी-जल्दी काम करते वक्त मेरी उंगली में नेल गन से छेद हो गया। बहुत ज्यादा खून बहा और दर्द ने मुझे रुला दिया, लेकिन ऑर्डर जल्दी पूरा करने के लिए, मैंने चोट का छोटा-मोटा इलाज करवाया और काम जारी रखने के लिए वर्कशॉप में लौट आया। क्योंकि मैंने इसका तुरंत इलाज नहीं करवाया, इसलिए मेरी उंगली गंभीर रूप से सूज गई और उसमें स्थायी समस्याएँ पैदा हो गईं और जब भी ठंड या बरसात होती तो उसमें बहुत दर्द और खुजली होती। मैं रोज लगातार तनाव में जी रहा था। शारीरिक और मानसिक रूप से थकान महसूस करते हुए मैं बहुत दर्द में था। मैंने सोचा, “मैं इतनी मेहनत क्यों कर रहा हूँ? क्या सचमुच यही वह जीवन है जिसके पीछे मैं भागता रहा हूँ? मैं इस दुनिया में किस लिए जी रहा हूँ?”
2017 में मेरी पत्नी ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को स्वीकार किया और उसने मुझे परमेश्वर के वचनों के भजन का एक वीडियो दिखाया। इस गाने के बोल ने मुझे गहराई से प्रभावित किया।
परमेश्वर तुम्हारे हृदय और रूह को खोज रहा
1 सर्वशक्तिमान के जीवन के प्रावधान से भटके हुए मनुष्य, अस्तित्व के उद्देश्य से अनभिज्ञ हैं, लेकिन फिर भी मृत्यु से डरते हैं। उनके पास मदद या भरोसा नहीं है, लेकिन फिर भी वे अपनी आंखों को बंद करने के अनिच्छुक हैं, वे मांस के बोरों को सहारा देने के लिए खुद को मजबूत बनाते हैं जिनकी आत्मा में कोई भाव ही नहीं होता, ताकि इस दुनिया में एक अधम अस्तित्व को घसीट सकें। तुम अन्य लोगों की तरह ही, आशारहित और उद्देश्यहीन होकर जीते हो। केवल पौराणिक कथा का पवित्र जन ही उन लोगों को बचाएगा, जो अपने दुःख में कराहते हुए उसके आगमन के लिए बहुत ही बेताब हैं। अभी तक, चेतनाविहीन लोगों को इस तरह के विश्वास का एहसास नहीं हुआ है। फिर भी, लोग अभी भी इसके लिए तरस रहे हैं।
2 सर्वशक्तिमान ने बुरी तरह से पीड़ित इन लोगों पर दया की है; साथ ही, वह उन लोगों से विमुख महसूस करता है जिनमें जरा-सा भी चेतना नहीं है, क्योंकि उसे लोगों से जवाब पाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा है। वह खोजना चाहता है, तुम्हारे दिल और तुम्हारी आत्मा को खोजना चाहता है, तुम्हें पानी और भोजन देना चाहता है, ताकि तुम जाग जाओ और अब तुम भूखे या प्यासे न रहो। जब तुम थक जाओ और तुम्हें इस दुनिया के बेरंगपन का कुछ-कुछ एहसास होने लगे, तो तुम दिशाहीन मत होना, रोना मत। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, प्रहरी, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा।
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—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सर्वशक्तिमान की आह
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर मुझे ऐसा उत्साह महसूस हुआ जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था। कई सालों से मैं पैसे कमाने के लिए बहुत मुश्किल संघर्ष कर रहा था और इतने दर्द और थकावट में जी रहा था। मैं बहुत थका और खोया हुआ था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं मुक्त कैसे होऊँ और अब मुझे उम्मीद दिखी। मनुष्य को परमेश्वर ने बनाया है। केवल वही लोगों को इस पीड़ा से बचा सकता है। अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य स्वीकारना ही परमेश्वर की देखभाल, सुरक्षा और उसका उद्धार प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है ताकि व्यक्ति निश्चिंत और मुक्त होकर जी सके। पहले मैंने परमेश्वर के उद्धार को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि मैं पैसा कमाना चाहता था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि परमेश्वर अब भी मुझ पर दया करेगा और मुझे बचाना नहीं छोड़ेगा। वह अब भी मेरे वापस लौटने का इंतजार कर रहा था। मैंने गहराई से प्रभावित होकर अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का उद्धार स्वीकार कर लिया। इसके बाद मैं अक्सर परमेश्वर के वचनों पर संगति करने के लिए भाई-बहनों के साथ सभाओं में जाने लगा।
एक बार मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ा : “जब लोग नहीं जानते कि भाग्य क्या है या परमेश्वर की संप्रभुता को नहीं समझते तो वे अपनी ही इच्छा के आधार पर धुँध में हाथ-पैर मारते हुए और लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं और यह यात्रा बहुत ही कठिन, बहुत ही हृदयविदारक होती है। इसलिए जब लोग यह एहसास कर लेते हैं कि मनुष्य के भाग्य के ऊपर परमेश्वर की संप्रभुता है तो चतुर मनुष्य भाग्य के विरुद्ध संघर्ष करते रहने और अपने ही तरीके से अपने तथाकथित जीवन लक्ष्यों का अनुसरण करने के बजाय परमेश्वर की संप्रभुता को जानने और स्वीकारने का विकल्प चुनते हैं, और उन दर्द भरे दिनों को अलविदा कह देते हैं जब उन्होंने ‘अपने ही दो हाथों से एक अच्छा जीवन निर्मित करने की कोशिश की थी’। जब कोई व्यक्ति परमेश्वर के बिना होता है, जब वह उसे नहीं देख सकता है, जब वह स्पष्टता से परमेश्वर की संप्रभुता को नहीं जान पाता है, तो उसका हर दिन निरर्थक, बेकार और अत्यंत पीड़ादायक होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कहाँ है और उसका क्या काम है, उसके जीवित रहने के साधन और वे लक्ष्य जिनका वह अनुसरण करता है उसके लिए अंतहीन निराशा और पीड़ा के सिवाय और कुछ लेकर नहीं आते हैं, इनसे उबरना बहुत कठिन होता है, इस कदर कि वह पीछे अपने अतीत को मुड़कर देखना भी बर्दाश्त नहीं कर पाता है। सृष्टिकर्ता की संप्रभुता को स्वीकार कर, उसके आयोजनों और उसकी व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण कर और एक सच्चा मानव जीवन हासिल करने का अनुसरण करके ही कोई व्यक्ति धीरे-धीरे सारी निराशा और पीड़ा से मुक्त हो सकता है और धीरे-धीरे मानव जीवन के सारे खालीपन से खुद को छुटकारा दिला सकता है” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III)। परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं। हम ऐसे दर्द में इसलिए जीते हैं क्योंकि हम परमेश्वर की संप्रभुता को नहीं जानते और हमारे पास जीवन के सही लक्ष्य नहीं हैं। मैंने पैसा, प्रसिद्धि और अपने जीवन के लक्ष्य हासिल किए, इस उम्मीद में कि अपने प्रयासों से मैं अपना भाग्य बदल पाऊँ। ज्यादा पैसा कमाने के लिए मैंने रोज खुद पर भारी दबाव डाला, मैं बहुत तनाव में रहा और मेरा स्वास्थ्य खराब हो गया। मैं संयोगवश एक ओवरपास से नीचे गिरते-गिरते बचा। भले ही मैंने कुछ पैसे कमाए और रिश्तेदारों और दोस्तों की प्रशंसा और ईर्ष्या हासिल की पर उस तरह का जीवन वास्तव में दर्दनाक और मुश्किल था। भले ही पैसे से अच्छे घर और गाड़ियाँ खरीदी जा सकती थीं, मैं एक अच्छे भौतिक जीवन का आनंद ले सकता था और दूसरों की प्रशंसा प्राप्त करने से मेरा अहंकार संतुष्ट हो सकता था पर इससे मुझे शांति या सुरक्षा नहीं मिलती। जिस पैसे के पीछे मैं भाग रहा था उससे मुझे सच्ची खुशी नहीं मिली; बल्कि इसने मुझे पैसे का गुलाम बना कर पीड़ा में जीने पर मजबूर कर दिया। खास तौर से अब, जब महा विनाश पहले ही शुरू हो चुका है और दुनिया भर में महामारी फैल रही है और धनी लोगों की भी जान जा रही थी, मुझे एहसास हो गया कि कितने भी पैसों से जीवन नहीं खरीदा जा सकता। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा : “यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?” (मत्ती 16:26)। इसलिए मैंने जीवन में अपने गलत लक्ष्य को बदलने और सत्य का अनुसरण शुरू करने, अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाने और एक अर्थपूर्ण जीवन जीने का फैसला किया।
बाद में मैंने यह भी सोचा, “धन, प्रसिद्धि और लाभ के पीछे भागना हमेशा लोगों को पीड़ा क्यों पहुँचाता है?” अपनी भक्ति के दौरान मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंश पढ़े और मुझे इस समस्या की कुछ समझ प्राप्त हुई। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “‘दुनिया पैसों के इशारों पर नाचती है’ यह शैतान का एक फ़लसफ़ा है। यह संपूर्ण मानवजाति में, हर मानव-समाज में प्रचलित है; तुम कह सकते हो, यह एक रुझान है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह हर एक व्यक्ति के हृदय में बैठा दिया गया है, जिन्होंने पहले तो इस कहावत को स्वीकार नहीं किया, किंतु फिर जब वे जीवन की वास्तविकताओं के संपर्क में आए, तो इसे मूक सहमति दे दी, और महसूस करना शुरू किया कि ये वचन वास्तव में सत्य हैं। क्या यह शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट करने की प्रक्रिया नहीं है? ... शैतान लोगों को प्रलोभन देने के लिए धन का उपयोग करता है, और उन्हें भ्रष्ट करके उनसे धन की आराधना करवाता है और भौतिक चीजों की पूजा करवाता है। और लोगों में धन की इस आराधना की अभिव्यक्ति कैसे होती है? क्या तुम लोगों को लगता है कि बिना पैसे के तुम लोग इस दुनिया में जीवित नहीं रह सकते, कि पैसे के बिना एक दिन जीना भी असंभव होगा? लोगों की हैसियत इस बात पर निर्भर करती है कि उनके पास कितना पैसा है, और वे उतना ही सम्मान पाते हैं। गरीबों की कमर शर्म से झुक जाती है, जबकि धनी अपनी ऊँची हैसियत का मज़ा लेते हैं। वे ऊँचे और गर्व से खड़े होते हैं, जोर से बोलते हैं और अहंकार से जीते हैं। यह कहावत और रुझान लोगों के लिए क्या लाता है? क्या यह सच नहीं है कि पैसे की खोज में लोग कुछ भी बलिदान कर सकते हैं? क्या अधिक पैसे की खोज में कई लोग अपनी गरिमा और ईमान का बलिदान नहीं कर देते? क्या कई लोग पैसे की खातिर अपना कर्तव्य निभाने और परमेश्वर का अनुसरण करने का अवसर नहीं गँवा देते? क्या सत्य प्राप्त करने और बचाए जाने का अवसर खोना लोगों का सबसे बड़ा नुकसान नहीं है? क्या मनुष्य को इस हद तक भ्रष्ट करने के लिए इस विधि और इस कहावत का उपयोग करने के कारण शैतान कुटिल नहीं है? क्या यह दुर्भावनापूर्ण चाल नहीं है?” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V)। “शैतान मनुष्य के विचारों को नियंत्रित करने के लिए प्रसिद्धि और लाभ का तब तक उपयोग करता है, जब तक सभी लोग प्रसिद्धि और लाभ के बारे में ही नहीं सोचने लगते। वे प्रसिद्धि और लाभ के लिए संघर्ष करते हैं, प्रसिद्धि और लाभ के लिए कष्ट उठाते हैं, प्रसिद्धि और लाभ के लिए अपमान सहते हैं, प्रसिद्धि और लाभ के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देते हैं, और प्रसिद्धि और लाभ के लिए कोई भी फैसला या निर्णय ले लेते हैं। इस तरह शैतान लोगों को अदृश्य बेड़ियों से बाँध देता है और इन बेड़ियों को पहने रहते हुए, उनमें उन्हें उतार फेंकने का न तो सामर्थ्य होता है, न साहस। वे अनजाने ही ये बेड़ियाँ ढोते हैं और बड़ी कठिनाई से पैर घसीटते हुए आगे बढ़ते हैं। इस प्रसिद्धि और लाभ के लिए मानवजाति परमेश्वर से दूर हो जाती है, उसके साथ विश्वासघात करती है और अधिकाधिक दुष्ट होती जाती है। इसलिए, इस प्रकार एक के बाद एक पीढ़ी शैतान की प्रसिद्धि और लाभ के बीच नष्ट होती जाती है” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI)। परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गया कि शैतान लोगों में जीवन जीने के विभिन्न भ्रामक नियमों और दृष्टिकोणों को डालने के लिए मशहूर लोगों और महान हस्तियों की बातों, ज्ञान के उपदेशात्मक प्रभाव और स्कूलों की शिक्षा का उपयोग करता है, जिससे एक के बाद एक पीढ़ियाँ प्रसिद्धि और लाभ के पीछे भागते और उन्हें पाने का प्रयास करते हुए अंत में इस लक्ष्य के भंवर में घिरकर नष्ट हो जाती हैं। बचपन से ही मेरी शिक्षा इसी प्रकार हुई थी जिसकी वजह से, “सबसे महान इंसान बनने के लिए व्यक्ति को सबसे बड़ी कठिनाइयाँ सहनी होंगी” और “दुनिया पैसों के इशारों पर नाचती है” जैसे विचार और शैतान के जीवित रहने के ऐसे अन्य नियम मेरे दिल में गहराई से जड़ें जमा चुके थे। मेरा मानना था कि कोई व्यक्ति पैसे के बिना नहीं रह सकता, भौतिक आनंद और दूसरों की प्रशंसा और ईर्ष्या पाने के लिए पैसा होना जरूरी है, केवल इसी तरह से कोई सम्मान के साथ जी सकता है और बिना पैसे के व्यक्ति को छोटा समझा जाता है और नीची नजरों से देखा जाता है, जो उसे एक दयनीय और दमनकारी अस्तित्व की ओर ले जाता है। प्रसिद्धि और लाभ पाने के लिए मैंने एक दशक से ज्यादा समय तक मेहनत से पढाई की और नौकरी शुरू करने के बाद पदोन्नति और वेतन वृद्धि के लिए मैंने दिन-रात मेहनत की। मेरी इच्छाएँ बड़ी होती गईं और जितना ज्यादा मैंने प्राप्त किया उतनी ही ज्यादा मेरी चाह बढ़ती गई, पर मैं कभी संतुष्ट नहीं हुआ। यहाँ तक कि जब मेरा शरीर थक कर बीमार होने की हद तक पहुँच गया तब भी मैंने आराम करने से इनकार कर दिया। मेरी सास ने मुझे कई बार अंत के दिनों के परमेश्वर के उद्धार के बारे में गवाही दी और मैं जानता था कि परमेश्वर में विश्वास करना अच्छा है, लेकिन फिर भी मैंने पैसे के पीछे भागना बंद करने से इनकार किया, अपना सारा समय और ऊर्जा प्रसिद्धि और लाभ के पीछे भागने में लगा दी। अंत में, भले ही मैंने प्रसिद्धि और लाभ प्राप्त किया, पर मेरी आत्मा को कभी भी शांति और सुकून नहीं मिला; इसके बजाय मुझे बुरी तरह थकान और पीड़ा मिली। मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि यह सारी पीड़ा शैतान की भ्रष्टता और नुकसान के कारण हुई थी। प्रसिद्धि और लाभ लोगों को नरक की ओर लुभाने के लिए शैतान द्वारा बिछाए गए जाल हैं, वे ऐसे दुष्ट साधन हैं जिनसे शैतान लोगों को भ्रष्ट करता है और नुकसान पहुँचाता है, जिसके कारण लोग परमेश्वर से ज्यादा दूर चले जाते हैं और ज्यादा कष्टमय जीवन जीते हैं, जिससे अंत में शैतान के नुकसान से उनकी मृत्यु हो जाती है। अगर परमेश्वर के वचनों का प्रकाशन न होता तो मैं लोगों को भ्रष्ट करने और नुकसान पहुँचाने के लिए प्रसिद्धि और लाभ का उपयोग करने के शैतान के भयानक इरादों को नहीं देख पाता और शैतान द्वारा सताया जाता रहता और यहाँ तक कि अपनी जान भी जोखिम में डाल देता। अब मैं बस गंभीरता से परमेश्वर पर विश्वास रखना और सत्य का अनुसरण करना चाहता था और शैतान के बहकावे में आकर अब पैसे के पीछे भागना नहीं चाहता था। इसके बाद जब भी हमें समय मिलता, हमारा परिवार एक साथ मिलकर परमेश्वर के वचनों को पढ़ता, भजन सुनता और अनुभवजन्य गवाही के वीडियो देखता। मैंने पहले के उन दिनों में जीना छोड़ दिया जब मैं पैसे के लिए जी-जान से मेहनत करता था, इसके बजाय अक्सर भाई-बहनों के साथ सत्य पर संगति करने और परमेश्वर के वचनों के सिंचन और प्रावधान का आनंद लेने लगा। मुझे शांति और सुकून का ऐसा एहसास हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था।
2021 की दूसरी छमाही में, उद्योग में मंदी आ जाने से ऑर्डर की कमी के कारण मेरी फैक्ट्री बंद हो गई। भले ही मैं थोड़ा परेशान हो गया, पर मैंने पहले की तरह फैक्ट्री के सामान्य संचालन को बनाए रखने के लिए अपना दिमाग नहीं खपाया। बल्कि मैंने समर्पण किया और इसे अनुभव करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा किया, पैसे के आगे बेबस हुए बिना काफी राहत महसूस की। उस समय मुझे छोटे-मोटे काम के लिए कहीं पर नियुक्त किया गया, भले ही वेतन ज्यादा नहीं था पर यह हमारे परिवार के जीवन-यापन के खर्च को पूरा करने के लिए काफी था और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे मुझे सभाओं में भाग लेने और अपने कर्तव्यों को ठीक से निभाने का समय मिला।
कुछ ही समय बाद मुझे किसी चीज का प्रलोभन आया। एक दिन एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के मालिक ने मुझसे संपर्क करके अपनी एक नई अधिग्रहीत कंपनी का प्रबंधन करने के लिए कहा और 5,00,000 युआन का वार्षिक वेतन देने की पेशकश की। मैंने मन ही मन सोचा, “यह कंपनी बहुत अच्छी तरह से वित्त पोषित है। अगर मैं यह नौकरी कर लेता हूँ तो मैं एक कार्यकारी बन जाऊँगा और मेरे रिश्तेदार और दोस्त निश्चित रूप से मुझे फिर से अधिक सम्मान के साथ देखेंगे।” लेकिन फिर मैंने सोचा, “अगर मैं सहमत होता हूँ तो मुझे अक्सर यात्रा करनी पड़ेगी और सभी प्रकार के नेटवर्किंग कार्यक्रमों में जाना होगा; अपना कर्तव्य निभाना तो दूर की बात है, परमेश्वर के वचनों को खाना-पीना और सभाओं में भाग लेना भी एक विलासिता बन जाएगा। मैं आखिरकार पैसे के पीछे भागने के भंवर से बाहर निकल गया हूँ और मेरे पास परमेश्वर के वचनों को खाने-पीने, सभाओं में भाग लेने और अपने कर्तव्यों को निभाने का समय है। मैं इन निरर्थक चीजों पर अपना समय अब और बर्बाद नहीं कर सकता।” मैंने परमेश्वर के वचनों के एक अंश के बारे में सोचा : “एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो सामान्य है और जो परमेश्वर के लिए प्रेम का अनुसरण करता है, परमेश्वर के जन बनने के लिए राज्य में प्रवेश करना ही तुम लोगों का सच्चा भविष्य है और यह ऐसा जीवन है, जो अत्यंत मूल्यवान और सार्थक है; कोई भी तुम लोगों से अधिक धन्य नहीं है। मैं यह क्यों कहता हूँ? क्योंकि जो लोग परमेश्वर में विश्वास नहीं करते, वो देह के लिए जीते हैं और वो शैतान के लिए जीते हैं, लेकिन आज तुम लोग परमेश्वर के लिए जीते हो और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलने के लिए जीवित हो। यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि तुम्हारे जीवन अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो)। परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गया कि स्वभाव में बदलाव लाने और परमेश्वर के लोगों के रूप में राज्य में प्रवेश करने के लिए सत्य का अनुसरण करना जीवन जीने का सबसे अर्थपूर्ण तरीका और सच्चा भविष्य है। शैतान ने मुझे “कार्यकारी” पद का प्रलोभन देने के लिए इस बॉस का उपयोग करके कोशिश की कि मैं प्रसिद्धि और लाभ के लिए खुद को व्यस्त रखने के भंवर में वापस घिर जाऊँ और परमेश्वर का उद्धार पाने का मौका पूरी तरह से गँवा दूँ। मैं शैतान की साजिश में नहीं फंस सकता था। यह अब परमेश्वर के उद्धार और लोगों की पूर्णता के लिए महत्वपूर्ण समय है, मैंने केवल थोड़े समय के लिए ही परमेश्वर में विश्वास किया था और सत्य को बहुत कम समझा था, इसलिए सत्य का अनुसरण करने और जीवन पाने का यह मेरा आखिरी मौका था। अगर यह अवसर गँवा दिया गया तो परमेश्वर का कार्य समाप्त होने पर अनुसरण करने के लिए बहुत देर हो चुकी होगी। इसलिए मैंने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया और मुझे बहुत सुकून महसूस हुआ।
अब मैं कलीसिया में अपने कर्तव्यों का पालन करता हूँ और अक्सर भाई-बहनों के साथ परमेश्वर के वचनों पर संगति करता हूँ। धीरे-धीरे मैं कुछ सत्य समझने लगा हूँ और कई चीजों की असलियत जानने लगा हूँ और मुझे अब वह पीड़ा और थकावट नहीं है जो पहले हुआ करती थी। मैं अपने दिल में एक ऐसे सुकून और मुक्ति की भावना महसूस करता हूँ जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थी, जिसे कितने भी पैसों से खरीदा नहीं जा सकता। यह सचमुच परमेश्वर का प्रेम और उद्धार है!