205  परमेश्वर के गवाहों के लिए स्वभाव में बदलाव आवश्यक है

1

परमेश्वर के विविध कार्यों से आता है, इन्सान के स्वभाव में बदलाव।

इन बदलावों के बिना, मुमकिन नहीं इन्सान का परमेश्वर के हृदयानुसार बनना,

और उसकी गवाही देना।

इन्सान के स्वभाव में बदलाव दर्शाता है, शैतान और अँधेरे से वो मुक्त हुआ है।

वो है सच में परमेश्वर के कार्य का नमूना।

है मुताबिक परमेश्वर के दिल के और है गवाह उसका।


2

आज देहधारी परमेश्वर जहान में आया है, वो अपना कार्य करने आया है।

अपेक्षा है उसकी कि इन्सान उसे जाने, उसकी गवाही दे और आज्ञा माने।

उसके सामान्य व्यवहारिक कार्य को जाने

इन्सान की धारणाओं के उलट हों तो भी, उसके कार्य और वचनों को माने

इन्सान को बचाने के कार्य की, उन्हें जीतने वास्ते

जो कर्म किये उसने उनकी, गवाही दे, गवाही दे।

जो देते हैं गवाही परमेश्वर की उनके पास होना चाहिए परमेश्वर का ज्ञान।

बस यही है सच्ची गवाही, शैतान को शर्मिंदा कर पाए यही।

कांट-छांट और निपटारे द्वारा, परमेश्वर के न्याय से गुजरने के द्वारा,

जो जान जाते हैं परमेश्वर को,

उन्हें इस्तेमाल करता है वो, अपनी गवाही देने को।

जिन्हें भ्रष्ट किया गया है, जिन्होंने स्वभाव बदला है,

और ऐसे पाया है उसकी आशीष को

उन्हें इस्तेमाल करता है वो, अपनी गवाही देने को।


3

उसे नहीं चाहिए कि इन्सान करे केवल मुख से स्तुति,

जिन्हें परमेश्वर ने बचाया नहीं है,

ऐसे शैतान के समान लोगों की स्तुति और गवाही नहीं चाहिए।

केवल वे जो जानते हैं परमेश्वर को सच में दे सकते हैं गवाही उसकी;

और जिनके स्वभाव बदल गये हैं, इसके काबिल हैं वही, हैं वही, हैं वही।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर को जानने वाले ही परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं से रूपांतरित

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