206  इंसान से परमेश्वर की अंतिम अपेक्षा है कि इंसान उसे जाने

1

परमेश्वर के वचनों को जानने की रीति,

है उसे और उसके काम को जानना।

दर्शनों को जानना यानी देहधारी ईश्वर को,

उसकी मानवता, वचन और काम को जानना।


2

परमेश्वर के वचनों से, जानता है उसे इंसान।

ईश-वचनों से, उसकी इच्छा को समझे इंसान।

ईश-कार्य से, उसके स्वभाव को जाने इंसान।

ईश-कार्य से, उसके स्वरूप को जाने इंसान।


पूरा हो जाने पर काम परमेश्वर का,

परमेश्वर को जान लेना, अंतिम परिणाम है,

परमेश्वर की इंसान से अंतिम अपेक्षा है।

ये उसकी अंतिम गवाही के लिये है।

परमेश्वर के इस काम को करने की वजह है,

मुड़ जाए पूरी तरह उसकी ओर इंसान आख़िरकार।


3

ईश-आस्था है पहला कदम उसे जानने का।

शुरुआती आस्था बदले गहरी आस्था में—

ये रीति है परमेश्वर को जानने की,

उसके काम का अनुभव करने की।


4

अगर परमेश्वर में आस्था तुम्हारी सिर्फ़ विश्वास की है,

नहीं है आस्था उसे जानने की, तो सच्चाई नहीं है तुम्हारी आस्था में;

बेशक तुम शुद्ध नहीं हो अपनी आस्था में।


पूरा हो जाने पर काम परमेश्वर का,

परमेश्वर को जान लेना, अंतिम परिणाम है,

परमेश्वर की इंसान से अंतिम अपेक्षा है।

ये उसकी अंतिम गवाही के लिये है।

परमेश्वर के इस काम को करने की वजह है,

मुड़ जाए पूरी तरह उसकी ओर इंसान आख़िरकार।


अगर परमेश्वर के काम का अनुभव लेते हुए,

परमेश्वर को इंसान धीरे-धीरे जान जाता है,

तो स्वभाव भी फिर उसका धीरे-धीरे बदलता है,

आस्था भी उसकी ज़्यादा सच्ची हो जाती है।

ईश्वर के प्रति आस्था में सफल होकर, उसे पूरी तरह पा चुका होगा इंसान।

बड़ी मुश्किलों से फिर देहधारण किया परमेश्वर ने,

ताकि जान सके, देख सके परमेश्वर को इंसान।


पूरा हो जाने पर काम परमेश्वर का,

परमेश्वर को जान लेना, अंतिम परिणाम है,

परमेश्वर की इंसान से अंतिम अपेक्षा है।

ये उसकी अंतिम गवाही के लिये है।

परमेश्वर के इस काम को करने की वजह है,

मुड़ जाए पूरी तरह उसकी ओर इंसान आख़िरकार।


परमेश्वर को जानकर ही उसे प्रेम कर सकता है इंसान।

और प्रेम करने के लिये, परमेश्वर को जाने इंसान।

कैसे भी खोजे, परमेश्वर को अवश्य जाने इंसान।

यही तरीका है ईश-इच्छा को पूरा करने का।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर को जानने वाले ही परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं से रूपांतरित

पिछला:  205  परमेश्वर के गवाहों के लिए स्वभाव में बदलाव आवश्यक है

अगला:  207  केवल ईश्वर को जानकर ही इंसान ईश्वर से प्रेम कर सकता है

संबंधित सामग्री

902  परमेश्वर अंततः उसी को स्वीकार करते हैं, जिसके पास सत्य होता है

1 अंत के दिनों में जन्म लेने वाले लोग किस प्रकार के थे? ये वो लोग हैं जो हजारों सालों से शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए थे, वे इतनी गहराई तक...

775  जब तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते तो तुम पौलुस के रास्ते पर चलते हो

1 इन दिनों, अधिकांश लोग इस तरह की स्थिति में हैं : "आशीष प्राप्त करने के लिए मुझे परमेश्वर के लिए खुद को खपाना होगा और परमेश्वर के लिए कीमत...

396  उद्धार-कार्य के अधिक उपयुक्त है देहधारी परमेश्वर

1 अन्त के दिनों में, परमेश्वर देहधारी रूप में प्रकट होकर अपना न्याय का कार्य करता है। क्योंकि जिसका न्याय किया जाता है वह मनुष्य है, मनुष्य...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

Connect with us on Messenger