233  परमेश्वर का उद्धार पाने वाले ही जीवित हैं

1

अ‍न्धेरे के प्रभाव में जो, शैतान के कब्ज़े में, मृत्यु में जिए।

ईश्वर न्याय न करे, न बचाए तो इंसान निकल न सके मौत के चंगुल से।

ये मृत लोग गवाही न दे सकें,

ईश्वर द्वारा इस्तेमाल न हो सकें, राज्य में न जा सकें।

जो जीवित हैं ईश्वर उन्हीं की गवाही चाहे।

"मृत लोग" ईश्वर-विरोधी, विद्रोही हैं,

उनकी आत्मा सुन्न है, उसके वचन नहीं समझते वे,

सत्य पर अमल नहीं, ईश्वर के प्रति निष्ठा नहीं।

शैतान से शोषित हैं, उसके कब्ज़े में हैं।


जीवित प्राणी बनने की, ईश्वर से मंज़ूरी पाने की,

उसकी गवाही देने की चाह रखने वालों को

ईश्वर के न्याय, काट-छाँट का पालन करना चाहिए।

तभी वो सत्य को अमल में लाएँगे,

तभी ईश्वर से उद्धार पाएँगे, और सच्चे जीवित प्राणी बन पाएँगे।


2

ईश्वर बचाए उन्हें जो ज़िंदा हैं।

ईश्वर उनकी ताड़ना और न्याय कर चुका है,

उसकी ख़ातिर वो अपनी जान देने को, जीवन समर्पित करने को तैयार हैं।

जीवित इंसान ईश्वर की गवाही देकर, शैतान को शर्मिंदा कर सकता है।

जीवित इंसान ही ईश-कार्य को फैला सकता है।

वह असली इंसान है, ईश्वर के अनुरूप है।


जीवित प्राणी बनने की, ईश्वर से मंज़ूरी पाने की,

उसकी गवाही देने की चाह रखने वालों को

ईश्वर के न्याय, काट-छाँट का पालन करना चाहिए।

तभी वो सत्य को अमल में लाएँगे,

तभी ईश्वर से उद्धार पाएँगे, और सच्चे जीवित प्राणी बन पाएँगे।

जीवित प्राणी बनने की, ईश्वर से मंज़ूरी पाने की,

उसकी गवाही देने की चाह रखने वालों को

ईश्वर के न्याय, काट-छाँट का पालन करना चाहिए।

तभी वो सत्य को अमल में लाएँगे, तभी ईश्वर से उद्धार पाएँगे,

और सच्चे जीवित प्राणी बन पाएँगे। जो जीवित प्राणी होंगे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम ऐसे व्यक्ति हो जो जीवित हो उठा है? से रूपांतरित

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