235  मनुष्य का स्वभाव अत्यंत दुष्ट हो गया है

1 भ्रष्टाचार के हजारों सालों बाद, मनुष्य संवेदनहीन और मूर्ख बन गया है; वह एक दुष्ट आत्मा बन गया है जो परमेश्वर का विरोध करती है, इस हद तक कि परमेश्वर के प्रति मनुष्य की विद्रोहशीलता इतिहास की पुस्तकों में दर्ज की गई है, यहाँ तक कि मनुष्य खुद भी अपने विद्रोही आचरण का पूरा लेखा-जोखा देने में असमर्थ है—क्योंकि मनुष्य शैतान के द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट किया जा चुका है, और शैतान के द्वारा रास्ते से भटका दिया गया है इसलिए वह नहीं जानता कि कहाँ जाना है। आज भी, मनुष्य परमेश्वर को धोखा देता है : जब मनुष्य परमेश्वर को देखता है, तो वह उसे धोखा देता है, और जब वह परमेश्वर को नहीं देख पाता, तब भी वह उसे धोखा देता है। कुछ ऐसे भी हैं, जो परमेश्वर के श्रापों और परमेश्वर के कोप का अनुभव करने के बाद भी उसे धोखा देते हैं। इसलिए मैं कहता हूँ कि मनुष्य की समझ ने अपने मूल प्रकार्य को खो दिया है, और मनुष्य की अंतरात्मा ने भी, अपने मूल प्रकार्य को खो दिया है। मनुष्य जिसे मैं देखता हूँ, वह मानव रूप में एक जानवर है, वह एक जहरीला साँप है।

2 मनुष्य का स्वभाव अत्यंत शातिर बन गया है, उसकी समझ अत्यंत मंद हो गई है, और उसका अंत:करण दुष्ट के द्वारा पूरी तरह से रौंद दिया गया है और मनुष्य के मौलिक अंत:करण का अस्तित्व बहुत पहले ही समाप्त हो गया था। मनुष्य, मानवजाति को बहुत अधिक जीवन और अनुग्रह प्रदान करने के लिए देहधारी परमेश्वर का न केवल एहसानमंद नहीं है, बल्कि परमेश्वर के द्वारा उसे सत्य दिए जाने पर वह आक्रोश में भी है; ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्य को सत्य में थोड़ी-सी भी रूचि नहीं है, इसलिए वह परमेश्वर के प्रति आक्रोश में आ गया है। मनुष्य न सिर्फ देहधारी परमेश्वर के लिए अपनी जान देने के नाकाबिल है, बल्कि वह उससे उपकार हासिल करने की कोशिश भी करता रहता है, और परमेश्वर से ऐसे सूद की माँग करता है जो उससे दर्जनों गुना बड़ी हैं जो मनुष्य ने परमेश्वर को दिया है। ऐसे विवेक और समझ के लोग इसे कोई बड़ी बात नहीं मानते हैं, वे अब भी ऐसा मानते हैं कि उन्होंने परमेश्वर के लिए स्वयं को बहुत अधिक खर्च किया है, और परमेश्वर ने उन्हें बहुत थोड़ा दिया है। ऐसी मानवता, और ऐसे विवेक के साथ, कैसे तू अब भी जीवन पाने की कामना कर सकता है? तू कितना घृणित अभागा है!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपरिवर्तित स्वभाव होना परमेश्वर के साथ शत्रुता रखना है से रूपांतरित

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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