286 तुम्हारा परिणाम क्या होगा?
1 समस्त वस्तुओं का परिणाम निकट आ रहा है और समस्त स्वर्ग और पृथ्वी अपने अंत पर पहुँच गए हैं। मनुष्य उस दिन से कैसे बचेगा जिस दिन मानवीय अस्तित्व का अंत होगा? वे जो परमेश्वर का भय मानते हैं और उसके प्रकट होने की प्रतीक्षा करते हैं, वे परमेश्वर की धार्मिकता के प्रकटन के दिन को कैसे नहीं देख सकते? वे नेकी के लिए अन्तिम पुरस्कार कैसे नहीं प्राप्त कर सकते? क्या तुम वह व्यक्ति हो, जो भला करता है या वह जो बुरा करता है? क्या तुम वह हो जो धार्मिक न्याय को स्वीकार करता है और फिर समर्पण करता है या तुम वह हो जो धार्मिक न्याय को स्वीकार करता है फिर शापित किया जाता है? क्या तुम रोशनी में न्याय के सिंहासन के समक्ष जीते हो या तुम रसातल के अन्धकार के बीच जीते हो? क्या तुम्हीं सबसे साफ तौर पर नहीं जानते हो कि तुम्हारा परिणाम पुरस्कार पाने का होगा या दंड? क्या तुम सबसे साफ तौर पर नहीं जानते और गहराई से नहीं समझते हो कि परमेश्वर धार्मिक है? तो तुम्हारा आचरण और तुम्हारा हृदय किस प्रकार का है? तुमने मेरे लिए कितना त्याग किया है? तुम मेरी आराधना कितनी गहराई से करते हो? क्या तुम मेरे प्रति अपने व्यवहार को सबसे स्पष्ट नहीं जानते? किसी और से ज्यादा खुद तुम्हें अच्छी तरह ज्ञात होना चाहिए कि आखिरकार तुम्हारा पारिणाम क्या होगा!
2 मैं तुम्हें सच में कहता हूँ : मैंने ही मनुष्यजाति को सृजा है और मैंने ही तुम्हें सृजा है; परन्तु मैंने तुम लोगों को शैतान के हाथों में नहीं दिया; और न ही मैंने जानबूझकर तुम्हें अपने विरुद्ध किया या तुमसे अपना विरोध करवाया और इस प्रकार तुम्हें दण्डित किया। क्या ये सारी विपत्तियाँ इसलिए नहीं हैं कि तुम्हारे हृदय बहुत कठोर हैं और तुम्हारा आचरण बहुत घिनौना है? तो क्या जो परिणाम तुम्हें मिलेगा, वह तुम स्वयं निर्धारित नहीं करते? क्या तुम अपने हृदय में किसी से भी बेहतर नहीं जानते कि तुम्हारा परिणाम क्या होगा? मैं लोगों को इसलिए जीतता हूँ, क्योंकि मैं उन्हें प्रकट करना और बेहतर ढंग से तुम्हारा उद्धार करना चाहता हूँ। यह तुम से बुरा करवाने या जानबूझकर तुम्हें विनाश के नरक में ले जाने के लिए नहीं है। समय आने पर, तुम्हारी समस्त बड़ी पीड़ाएँ, तुम्हारा रोना और दाँत पीसना—क्या यह सब तुम्हारे पापों के कारण नहीं होगा? इस प्रकार, क्या तुम्हारी अपनी भलाई या तुम्हारी अपनी बुराई ही तुम्हारा सर्वोत्तम न्याय नहीं है? क्या यह उसका सर्वोत्तम प्रमाण नहीं है कि तुम्हारा परिणाम क्या होगा?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (1)