288  विश्वास की वजह से ही तुमने पाया इतना कुछ

1

न्याय की इस प्रक्रिया में ही तुम परमेश्वर की सृष्टि की अंतिम मंज़िल देखते हो,

सृष्टिकर्ता से प्रेम करना है ये देखते हो।

जीत के कार्य में ही तुम समझते हो इंसान के जीवन को पूरी तरह,

तुम देखते हो परमेश्वर के हाथ को।


2

जीत के इस कार्य में ही तुम समझते हो इंसान शब्द के असली मायने,

तुम पाते हो इंसानी जीवन की सही राह,

तुम देखते हो परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव।

जीत के इस कार्य में ही तुम देखते हो परमेश्वर का सुंदर महिमामय चेहरा,

जानते हो इंसान की उत्पति के बारे में,

समझते हो इंसान का अजर अमर इतिहास।

आस्था शब्द की वजह से किया जाता है तुम्हारा न्याय, पाते हो बहुत शाप तुम,

लेकिन तुम्हारे पास है सच्चा विश्वास

और सबसे सच्ची, असली और बहुमूल्य चीज़।

सच्चा विश्वास, सच्चा विश्वास, विश्वास की वजह से।


3

जीत के इस कार्य में ही तुम जान पाते हो मनुष्य जाति के पूर्वजों

और मनुष्य जाति के भ्रष्टाचार के उद्गम को,

पाते हो वे आशीष, दुर्भाग्य जिसके हो तुम लायक।

जीत के इस कार्य में ही तुम पाते हो आनंद और आराम के साथ-साथ

अनंत ताड़ना, अनुशासन और मनुष्य जाति के लिए सृष्टिकर्त्ता की फटकार।

आस्था शब्द की वजह से किया जाता है तुम्हारा न्याय, पाते हो बहुत शाप तुम,

लेकिन तुम्हारे पास है सच्चा विश्वास

और सबसे सच्ची, असली और बहुमूल्य चीज़।

सच्चा विश्वास, सच्चा विश्वास, विश्वास की वजह से।

क्या यह सब तुम्हारे थोड़े-से विश्वास की वजह से नहीं?

इन चीज़ों को प्राप्त करने के बाद क्या तुम्हारा विश्वास बढ़ा नहीं?

क्या तुमने पाया नहीं बहुत कुछ?

विश्वास की वजह से, विश्वास की वजह से।

विश्वास की वजह से, विश्वास की वजह से।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (1) से रूपांतरित

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