337  मूल इंसान आत्मा युक्त सजीव प्राणी थे

1  आरंभ में मैंने मानवजाति का सृजन किया; अर्थात् मैंने मानवजाति के पूर्वज, आदम का सृजन किया। वह उत्साह से भरपूर, जीवन की क्षमता से भरपूर, रूप और छवि से संपन्न था, और इससे भी बढ़कर, मेरी महिमा के साहचर्य में था। वह महिमामय दिन था, जब मैंने मनुष्य का सृजन किया। इसके बाद आदम के शरीर से हव्वा उत्पन्न हुई, वह भी मनुष्य की पूर्वज थी, और इस प्रकार जिन लोगों का मैंने सृजन किया था, वे मेरे श्वास से भरे थे और मेरी महिमा से भरपूर थे।

2  आदम मूल रूप से मेरे हाथ से पैदा हुआ और वह मेरी छवि का प्रतिनिधित्व था। इसलिए "आदम" का मूल अर्थ था मेरे द्वारा सृजित किया गया प्राणी, जो मेरी जीवन-ऊर्जा से भरा हुआ, मेरी महिमा से भरा हुआ, रूप और छवि से युक्त, आत्मा और श्वास से युक्त है। आत्मा से संपन्न वह एकमात्र सृजित प्राणी था, जो मेरा प्रतिनिधित्व करने, मेरी छवि धारण करने और मेरा श्वास प्राप्त करने में सक्षम था।

3  आरंभ में, हव्वा दूसरी ऐसी इंसान थी जो श्वास से संपन्न थी, जिसके सृजन का मैंने आदेश दिया था, इसलिए "हव्वा" का मूल अर्थ था, ऐसा सृजित प्राणी, जो मेरी महिमा जारी रखेगा, जो मेरी प्राण-शक्ति से भरा हुआ, और इससे भी बढ़कर, मेरी महिमा से संपन्न है। हव्वा आदम से आई, इसलिए उसने भी मेरा रूप धारण किया, क्योंकि वह मेरी छवि में सृजित की जाने वाली दूसरी इंसान थी। "हव्वा" का मूल अर्थ था आत्मा, देह और हड्डियों से युक्त जीवित प्राणी, जीवित प्राणी। वह मेरी दूसरी गवाही थी और साथ ही मानवजाति के बीच मेरी दूसरी छवि थी। मानवजाति के ये पूर्वज मनुष्य का शुद्ध और बहुमूल्य खजाना थे, और शुरुआत से आत्मा से संपन्न जीवित प्राणी थे, शुरुआत से आत्मा से संपन्न जीवित प्राणी थे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक वास्तविक व्यक्ति होने का क्या अर्थ है

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