620  परमेश्वर के स्वभाव को भड़काने के परिणाम

1 जो लोग परमेश्वर की निंदा करते हैं या उसका प्रतिरोध करते हैं, यहाँ तक कि जो उसकी बदनामी करते हैं—वे लोग, जो जानबूझकर उस पर हमला करते हैं, उसे बदनाम करते हैं और उसे कोसते हैं—परमेश्वर उनकी ओर आँख या कान बंद नहीं कर लेता, बल्कि उनके प्रति उसका एक स्पष्ट रवैया होता है। वह इन लोगों से घृणा करता है और अपने हृदय में उनकी निंदा करता है। यहाँ तक कि वह यह भी खुलकर घोषित कर देता है कि उनका परिणाम क्या होगा, ताकि लोग जान जाएँ कि जो लोग उसकी निंदा करते हैं, उनके प्रति उसका एक स्पष्ट रवैया है, और ताकि वे जान जाएँ कि वह उनका परिणाम कैसे निर्धारित करेगा।

2 कुछ लोगों के दुष्ट व्यवहार से निपटने के लिए परमेश्वर तथ्यों के घटित होने का उपयोग करता है। जब ये तथ्य घटित होते हैं, तो लोगों की देह कष्ट भुगतती है; अर्थात् दंड ऐसा होता है, जिसे मनुष्य की आँखें देख सकती हैं। कुछ लोगों के दुष्ट व्यवहार से निपटते हुए परमेश्वर बस वचनों से शाप देता है और उसका क्रोध भी उनके ऊपर पड़ता है, किंतु उन्हें मिलने वाला दंड ऐसा हो सकता है, जिसे लोग देख नहीं सकते। फिर भी, इस प्रकार का परिणाम उन परिणामों से कहीं ज़्यादा गंभीर हो सकता है, जिन्हें लोग देख सकते हैं, जैसे कि दंडित किया जाना या मार दिया जाना।

3 इसलिए जब लोग परमेश्वर का प्रतिरोध करते हैं, उसे बदनाम करते हैं और उसकी ईशनिंदा करते हैं, यदि वे उसके स्वभाव को भड़काते हैं, अथवा यदि वे परमेश्वर को उसकी सहनशीलता की सीमा से परे धकेल देते हैं, तो परिणाम अकल्पनीय होते हैं। सबसे गंभीर परिणाम यह होता है कि परमेश्वर हमेशा के लिए उनकी ज़िंदगी और उनकी हर चीज़ शैतान को सौंप देता है। उन्हें अनंत काल तक क्षमा नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति शैतान के मुँह का निवाला, उसके हाथ का खिलौना बन गया है, और तब से परमेश्वर का उसके साथ कुछ लेना-देना नहीं है।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III से रूपांतरित

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