631  कोई भी मनुष्य या वस्तु परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य से बढ़कर नहीं हो सकता

1 यद्यपि शैतान अय्यूब को लालच भरी नज़रों से देख रहा था, परन्तु बिना परमेश्वर की इजाज़त के वह अय्यूब के शरीर के एक बाल को भी छूने की हिम्मत नहीं कर सकता था। यद्यपि वह स्वाभाविक रूप से बुरा और निर्दयी है, किन्तु परमेश्वर के द्वारा उसे आज्ञा दिये जाने के बाद, शैतान के पास उसकी आज्ञा में बने रहने के सिवाए और कोई विकल्प नहीं था। शैतान यहोवा परमेश्वर के किसी भी वचन का विरोध करने की हिम्मत नहीं करता। शैतान के लिए, परमेश्वर के मुँह से निकला हर एक वचन एक आदेश है, एक स्वर्गीय नियम है, परमेश्वर के अधिकार का प्रकटीकरण है—क्योंकि परमेश्वर के हर एक वचन के पीछे, परमेश्वर के आदेशों को तोड़ने वालों, स्वर्गीय व्यवस्थाओं की आज्ञा का पालन नहीं करने और विरोध करने वालों के लिए, परमेश्वर का दण्ड निहित है।

2 अय्यूब के खिलाफ शैतान के कार्य उसके द्वारा मनुष्य की भ्रष्टता का एक छोटा-सा दृश्य था, जब शैतान इन कार्यों को अन्जाम दे रहा था, तब वे सीमाएँ जिन्हें परमेश्वर ने ठहराया था और वे आदेश जिन्हें उसने शैतान को दिया था, वह शैतान के हर कार्य के पीछे के सिद्धांतों की महज एक छोटी-सी झलक थी। इसके अतिरिक्त, इस मामले में शैतान की भूमिका और पद परमेश्वर के प्रबन्धन कार्य में उसकी भूमिका और पद का मात्र एक छोटा-सा दृश्य था, शैतान के द्वारा अय्यूब की परीक्षा में परमेश्वर के प्रति उसकी सम्पूर्ण आज्ञाकारिता की महज एक छोटी-सी तस्वीर थी कि किस प्रकार शैतान ने परमेश्वर के प्रबन्धन कार्य में परमेश्वर के विरूद्ध ज़रा-सा भी विरोध करने का साहस नहीं किया।

3 शैतान समेत सभी चीजों में ऐसा कोई व्यक्ति या चीज़ नहीं है जो सृष्टिकर्ता द्वारा निर्धारित स्वर्गीय कानूनों और आदेशों का उल्लंघन कर सके, और किसी व्यक्ति या वस्तु की इतनी हिम्मत नहीं है जो सृष्टिकर्ता द्वारा स्थापित की गयी इन स्वर्गीय व्यवस्थाओं और आदेशों को तोड़ सके, क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति या वस्तु नहीं है जो उस दण्ड को पलट सके या उससे बच सके जिसे सृष्टिकर्ता उसकी आज्ञा न मानने वाले लोगों को देता है। केवल सृष्टिकर्ता ही स्वर्गीय व्यवस्थाओं और आदेशों को बना सकता है, केवल सृष्टिकर्ता के पास ही उन्हें प्रभाव में लाने की सामर्थ्‍य है, किसी व्यक्ति या वस्तु के द्वारा मात्र सृष्टिकर्ता की सामर्थ्‍य का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। यह सृष्टिकर्ता का अद्वितीय अधिकार है, यह अधिकार सभी चीज़ों में सर्वोपरि है, इस प्रकार, यह कहना नामुमकिन है कि "परमेश्वर सबसे महान है और शैतान दूसरे नम्बर पर है।" उस सृष्टिकर्ता को छोड़ जिसके पास अद्वितीय अधिकार है, और कोई परमेश्वर नहीं है!

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I से रूपांतरित

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610  मानवता में परमेश्वर के कार्य का तरीक़ा और सिद्धांत

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902  परमेश्वर अंततः उसी को स्वीकार करते हैं, जिसके पास सत्य होता है

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396  उद्धार-कार्य के अधिक उपयुक्त है देहधारी परमेश्वर

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परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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