632  शैतान कभी भी परमेश्वर के अधिकार से आगे नहीं निकल सकता

1 शैतान के हर कार्य की प्रकृति नकारात्मक शब्दों जैसे अड़चन डालना, रूकावट डालना, नष्ट करना, नुकसान पहुँचाना, बुराई, ईर्ष्‍या और अँधकार के साथ मेल खाती है और बिलकुल सही बैठती है, इस प्रकार उन सबका घटित होना जो अधर्मी और बुरा है, वह पूरी तरह शैतान के कार्यों के साथ जुड़ा हुआ है, इसे शैतान के बुरे सार से जुदा नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद कि शैतान कितना "सामर्थी" है, इसके बावजूद कि वह कितना ढीठ और महत्वाकांक्षी है, इसके बावजूद कि नुकसान पहुँचाने की उसकी क्षमता कितनी बड़ी है, इसके बावजूद कि उसकी तकनीक का दायरा कितना व्यापक है जिससे वह मनुष्य को भ्रष्ट करता और लुभाता है, इसके बावजूद कि उसके छल और प्रपंच कितने चतुर हैं जिससे वह मनुष्य को डराता है, इसके बावजूद कि वह रूप जिसमें वह अस्तित्व में रहता है कितना परिवर्तनशील है, वह एक भी जीवित प्राणी को बनाने में कभी सक्षम नहीं हुआ है।

2 शैतान सभी चीज़ों के अस्तित्व के लिए व्यवस्थाओं और नियमों को निर्धारित करने में कभी सक्षम नहीं हुआ है, किसी भी जीवित या निर्जीव वस्तु पर शासन और नियन्त्रण करने में कभी सक्षम नहीं हुआ है। ब्रह्मांड और नभमंडल के भीतर, एक भी व्यक्ति या वस्तु नहीं है जो उससे उत्पन्न हुआ हो या उसके द्वारा अस्तित्व में बना हुआ हो; एक भी व्यक्ति या वस्तु नहीं है जिस पर उसके द्वारा शासन किया जाता हो या उसके द्वारा नियन्त्रण किया जाता हो। इसके विपरीत, उसे न केवल परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन जीना है, बल्कि, उसे परमेश्वर के सारे आदेशों और आज्ञाओं को भी मानना होगा। परमेश्वर की अनुमति के बिना शैतान के लिए भूमि की सतह पर पानी की एक बूँद या रेत के एक कण को भी छूना कठिन है; परमेश्वर की अनुमति के बिना, शैतान के पास इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वह भूमि की सतह पर से एक चींटी को हटा सके, परमेश्वर द्वारा सृजित इंसान को हटाने की तो बात ही क्या है।

3 परमेश्वर की नज़रों में शैतान पहाड़ों के सोसन फूलों, हवा में उड़ते हुए पक्षियों, समुद्र की मछलियों और पृथ्वी के कीड़े-मकौड़ों से भी कमतर है। सभी चीज़ों के बीच में उसकी भूमिका यह है कि वह सभी चीज़ों की सेवा करे, मानवजाति के लिए कार्य करे, परमेश्वर और उसकी प्रबंधकीय योजना के कार्य करे। इसके बावजूद कि उसका स्वभाव कितना ईर्ष्यालु है, उसका सार कितना बुरा है, एकमात्र कार्य जो वो कर सकता है वह है आज्ञाकारिता से अपने कार्यों को करना : परमेश्वर की सेवाके योग्य होना, परमेश्वर के कार्यों में पूरक होना। शैतान का सार-तत्व और हैसियत ऐसे ही हैं। उसका सार जीवन से जुड़ा हुआ नहीं है, सामर्थ्‍य से जुड़ा हुआ नहीं है, अधिकार से जुड़ा हुआ नहीं है; वह परमेश्वर के हाथों में मात्र एक खिलौना है, परमेश्वर की सेवा में लगा मात्र एक मशीन है!

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I से रूपांतरित

पिछला:  631  कोई भी मनुष्य या वस्तु परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य से बढ़कर नहीं हो सकता

अगला:  633  परमेश्वर के अधिकार के तहत शैतान कुछ नहीं बदल सकता

संबंधित सामग्री

396  उद्धार-कार्य के अधिक उपयुक्त है देहधारी परमेश्वर

1 अन्त के दिनों में, परमेश्वर देहधारी रूप में प्रकट होकर अपना न्याय का कार्य करता है। क्योंकि जिसका न्याय किया जाता है वह मनुष्य है, मनुष्य...

775  जब तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते तो तुम पौलुस के रास्ते पर चलते हो

1 इन दिनों, अधिकांश लोग इस तरह की स्थिति में हैं : "आशीष प्राप्त करने के लिए मुझे परमेश्वर के लिए खुद को खपाना होगा और परमेश्वर के लिए कीमत...

610  मानवता में परमेश्वर के कार्य का तरीक़ा और सिद्धांत

1जब परमेश्वर देहधारी न था, तो उसके वचन इंसान समझ न पाता था,क्योंकि उसकी दिव्यता से आये थे वचन।न समझ पाता था वो उनका प्रसंग या दृष्टिकोण।वे...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

Connect with us on Messenger