666  परमेश्वर की सत्ता अनुपम है

1

परमेश्वर की सत्ता है अनुपम; ये है उसका अनोखा सत्व और इज़हार,

जो नहीं और किसी के पास, चाहे वो सृजा था या हो अनसृजा।

इस ताकत का मालिक है बस सृष्टिकर्ता,

यह तत्व है बस अनुपम परमेश्वर के पास।

परमेश्वर ने बनाया सब कुछ,

सब पर है उसका, उसका ही अधिकार, अधिकार, अधिकार, अधिकार।

उसके अधीन नहीं महज कुछ तारे, मानवता और सृष्टि के कुछ हिस्से।

बल्कि रखे है वो सब कुछ अपने हाथों में,

बड़ा हो या हो छोटा, दृश्य या अदृश्य,

तारों से लेकर छोटे छोटे जीव, सब कुछ है उसके महान हाथों में।

बस यही मायने हैं ‘समस्त चीज़ों’ के, परमेश्वर जिनका संचालक है।

इस ताकत का मालिक है बस सृष्टिकर्ता,

यह तत्व है बस अनुपम परमेश्वर के पास।

परमेश्वर ने बनाया सब कुछ,

सब पर है उसका, उसका ही अधिकार, अधिकार, अधिकार, अधिकार।


2

प्रभु की सत्ता को समझना लगता है मुश्किल, पर नहीं है ये बस ख्यालों में।

रहता है ये इंसान के साथ हर दिन हर लम्हे में,

इंसान देखता महसूस करता कितना सच्चा है ये असल में।

परमेश्वर की शक्ति को साबित करती है ये हकीकत;

इंसान को समझाती केवल परमेश्वर की है ऐसी ताकत।

उसके अधीन नहीं महज कुछ तारे, मानवता और सृष्टि के कुछ हिस्से।

बल्कि रखे है वो सब कुछ अपने हाथों में,

बड़ा हो या हो छोटा, दृश्य या अदृश्य,

तारों से लेकर छोटे छोटे जीव, सब कुछ है उसके महान हाथों में।

बस यही मायने हैं ‘समस्त चीज़ों’ के, परमेश्वर जिनका संचालक है।

परमेश्वर अपनी ताकत दिखाता वह राज्य यही है,

दायरे हैं यही उसकी सत्ता और हुकूमत के।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III से रूपांतरित

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