665  सत्य से प्रेम करने वाले ही परमेश्वर की संप्रभुता को समर्पित हो सकते हैं

1

हम्म ... हम्म ...

परमेश्वर के शासन और सच के बारे में तुम क्या सोचते हो,

दिखाता है कि क्या है तुम्हारे पास दिल और आत्मा।

तय करता है वो कि तुम

समझ सकते हो परमेश्वर के अधिकार को या नहीं।

परमेश्वर के शासन को अगर तुमने किया नहीं महसूस कभी,

किया नहीं स्वीकार उसका अधिकार कभी,

तो परमेश्वर तुम्हें देगा ठुकरा।

तुम्हारी राह और तुम्हारा चयन ले जाएंगे तुम्हें वहाँ।

परमेश्वर के परीक्षणों और शासन को स्वीकार करो।

परमेश्वर के वचनों को जीवन में सच में महसूस करो।

जानोगे तुम परमेश्वर का सामर्थ्य,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें।

2

जो जानते और स्वीकार करते हैं परमेश्वर का शासन,

वो पहचानते हैं और समर्पित हैं इस तथ्य के सामने

कि परमेश्वर करता है नियंत्रित मानव जाति के भाग्य को।

परमेश्वर के परीक्षणों और शासन को स्वीकार करो।

परमेश्वर के वचनों को जीवन में सच में महसूस करो।

जानोगे तुम परमेश्वर का सामर्थ्य,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें।

3

जब आएगी मौत, उन्हें होगा नहीं डर।

वो बस हर चीज़ में कर देंगे ख़ुद को अर्पित,

करेंगे नहीं कोई चयन या माँग।

वही हैं जो आ सकते हैं सृष्टिकर्ता के पास

वापस उसके बनाए सच्चे प्राणी की तरह।

परमेश्वर के परीक्षणों और शासन को स्वीकार करो।

परमेश्वर के वचनों को जीवन में सच में महसूस करो।

जानोगे तुम परमेश्वर का सामर्थ्य,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें,

मानोगे सृष्टिकर्ता का हुक्म, बचा लिया जाएगा तुम्हें।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III से रूपांतरित

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