212  इंसान का शोधन बेहद सार्थक है परमेश्वर के द्वारा

1

इंसान की दशा और परमेश्वर के प्रति देखते हुए उसके रवैये को,

नया कार्य किया है परमेश्वर ने, ताकि इंसान रख सके,

ज्ञान और आज्ञाकारिता, प्रेम और गवाही उसके प्रति।

इस तरह इंसान को करना चाहिये अनुभव परमेश्वर के हाथों

अपने शोधन का, न्याय, व्यवहार और उसकी काटछाँट का,

बिना उसके इंसान न जान पाएगा परमेश्वर को

न कभी कर पाएगा सच्चा प्रेम, न कभी दे पाएगा गवाही उसकी।

परमेश्वर के हाथों इंसान का शोधन महज़ इक-तरफा प्रभाव की ख़ातिर नहीं

बल्कि है बहुआयामी प्रभाव के लिये।

इस तरह केवल करता है शोधन का कार्य परमेश्वर

उन पर जो तैयार हैं सत्य खोजने को, सत्य खोजने को।

ताकि पूर्ण करे परमेश्वर उनके संकल्प को

और परमेश्वर के लिए उनके प्रेम को।

पूर्ण करे परमेश्वर। ओह... पूर्ण करे परमेश्वर।

पूर्ण करे परमेश्वर। ओह... पूर्ण करे परमेश्वर।


2

सार्थक है ऐसा शोधन उनके लिये

जो खोजते हैं सत्य को और तड़पते हैं परमेश्वर के लिये।

सार्थक है ऐसा शोधन उनके लिये

जो खोजते हैं सत्य को और तड़पते हैं परमेश्वर के लिये।

शोधन के दौरान करता है सार्वजनिक परमेश्वर

अपने धार्मिक स्वभाव को, अपनी अपेक्षाओं को।

वो करता है प्रदान अधिक प्रबुद्धता,

अधिक असल काटछाँट, और अधिक व्यवहार।

तथ्य और सत्य में तुलना के ज़रिये,

देता है इंसान को उसका और सत्य का अधिक ज्ञान,

और अधिक समझ परमेश्वर की इच्छा की इंसान को,

इस तरह पाता है अधिक सच्चा, अधिक शुद्ध प्रेम परमेश्वर का इंसान,

शुद्ध प्रेम परमेश्वर का इंसान।

परमेश्वर के हाथों इंसान का शोधन महज़ इक-तरफा प्रभाव की ख़ातिर नहीं

बल्कि है बहुआयामी प्रभाव के लिये।

इस तरह केवल करता है शोधन का कार्य परमेश्वर

उन पर जो तैयार हैं सत्य खोजने को, सत्य खोजने को।

ताकि पूर्ण करे परमेश्वर उनके संकल्प को

और परमेश्वर के लिए उनके प्रेम को।

पूर्ण करे परमेश्वर। ओह... पूर्ण करे परमेश्वर।

पूर्ण करे परमेश्वर। ओह... पूर्ण करे परमेश्वर।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल शुद्धिकरण का अनुभव करके ही मनुष्य सच्चे प्रेम से युक्त हो सकता है से रूपांतरित

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